अजमेर। अजमेर उत्तर विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी ने जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय प्रषासन द्वारा लेप्रोस्कोपिक सर्जरी थियेटर के सम्बंध में उनके द्वारा पूछे गये विधान सभा प्रष्न के जवाब में भ्रामक जानकारी दिये जाने का आरोप लगाया है।
देवनानी ने बताया कि जलाने चिकित्सालय में गत भाजपा सरकार के समय लेप्रोस्कापिक सर्जरी के लिए पृथक थियेटर का निर्माण कराया गया था जिसका विधिवत् उद्घाटन 26.01.2008 को किया गया परन्तु आज तक उक्त थियेटर को काम में नहीं लिया जा रहा है। गत दिनों समाचार पत्रों में भी इस सम्बंध में खबरें छपी थी। इस सम्बंध में देवनानी ने विधान सभा में प्रष्न पूछा था जिसका जवाब आज सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया है जिसके अनुसार जलाने चिकित्सालय में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी लेप्रोस्कोपिक थियेटर तथा न्यू ओ.टी. में की जा रही है। देवानानी ने आरोप लगाया कि उनका सवाल यह था कि सर्जरी लेप्रोस्कोपिक थियेटर में की जाती है अथवा नहींे तथा यदि हॉ तो उक्त थियेटर में आज तक कितनी सर्जरी की गयी। देवनानी ने आरोप लगाया कि चिकित्सालय प्रषासन द्वारा अपनी गलती छुपाने के लिए जवाब में लेप्रोस्कोपिक थियेटर के साथ-साथ न्यू ओ.टी. का उल्लेख करते हुए की गयी सर्जरी का विवरण प्रस्तुत किया गया है।
देवनानी ने यह भी आरोप लगाया कि सम्भागस्तरीय चिकित्सालय में मरीजों को बिनाा चीर फाड़ के दूरबीन के माध्यम से आपरेषन की सुविधा भी सभी मरीजों को उपलब्ध नहीं करायी जा रही है क्यों कि प्रष्न के जवाब में यह जानकारी दी गई है कि वर्ष 2008 से लेकर आज तक मात्र 408 लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की गयी है यानि एक वर्ष में मात्र 80 केस। देवानानी ने कहा कि जलाने चिकित्सालय में एक तो मरीजों को उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं का भी बेहतर लाभ नहीं दिया जा रहा है उलटे विधान सभा तक को भ्रामक जानकारी उपलब्ध कराई गयी है।
जीसीए में वित्तीय अनियमितता
अजमेर उत्तर विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी ने आज विधान सभा में अतारांकित प्रष्न के माध्यम से राजकीय महाविद्यालय अजमेर – जीसीए द्वारा गत 2010-11 से जनवरी 2013 तक भवन मरम्मत, रंगरोषन, फर्नीचर, कम्प्यूटर, प्रिंटर, फोटो स्टेट मषीन की खरीद एवं छात्र निधि के उपयोग व खर्च के सम्बंध में जानकारी चाही। इस सम्बंध में सरकार द्वारा आज दिये गये जवाब में महाविद्यालय प्रषासन द्वारा छात्र निधि के उपयोग में वित्तीय अनियमितता बरते जाने के साथ ही बड़ी राषि खर्च कर की गयी उपकरणों की खरीद के औचित्य व उनके समुचित उपयोग पर सवाल उत्पन्न होता है।
देवनानी ने बताया कि राजस्थान सरकार के उच्च षिक्षा विभाग द्वारा स्नातकोतर महाविद्यालय के प्राचार्य को एक वर्ष में छात्र निधि के 8 लाख रू. व्यय किये जाने की शक्ति प्रदान की गयी है जबकि जीसीए द्वारा वर्ष 2010-11 में इस सीमा को लांघते हुए 8.91 लाख रू. व्यय किये गये है जिसकी राज्य सरकार से कोई अनुमति भी प्राप्त नहीं की है। उन्होंने यह भी बताया कि छात्र निधि से भवन की मरम्मत एवं रंगरोषन के कार्य पर भी तीन वर्षो में बड़ी राषि खर्च की गयी हैं ।
देवनानी ने बताया कि सरकार ने प्रष्न के जवाब में जीसीए द्वारा वर्ष 2011-12 एवं 2012-13 दो वर्षो में कम्प्यूटर, प्रिंटर व फोटो स्टेट मषीन की खरीद पर भी बडी राषि खर्च की गयी हे। इन दो वर्षो में 3603200 के कम्प्यूटर, 548222 के प्रिंटर एवं 1740375 रू. से फोटोस्टेट मषीने खरीदी गयी हैं। उन्होंने कहा कि एक षिक्षण संस्थान में इतनी बड़ी राषि से फोटोस्टेट मषीन व प्रिंटर की खरीद एवं इसके उपयोग पर स्वाभाविक रूप से सवाल उत्पन्न होता है कि क्या षिक्षण संस्थान में इनके समुचित उपयोग की आवष्यकता भी है अथवा इनकी खरीद के पिछे कोई अन्य मंषा महाविद्यालय प्रषासन की रही है, यह जांचयोग्य विषय है।