एसपी मंथली प्रकरण में कुछ हुआ या न हुआ हो, लेकिन जिले में ठठेरों का अकाल जरूर पड़ गया है। कोई भी किसी अधिकारी का ठठेरा बनने को तैयार नहीं। कानाफू सी है कि जिले की एक अधिकारी ने गत दिनों राजकार्य में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए तीन नेताओं पर मुकदमा करा दिया। विभाग का कोई भी इंस्पेक्टर या कर्मचारी आरोपियों के खिलाफ तथा अपने अधिकारी के पक्ष में गवाही देने को तैयार नहीं हुआ। मामला मंथली का था तो अधिकारी की समस्या ये भी थी कि कोई उनके लिए ठठेरा बनने को तैयार नहीं था तो, वे नेताओं की मांग कैसे पूरी करें। लिहाजा वे यहां से तबादले की जुगत में हैं।
बेचारा हेमंत जैन
पुलिस व पत्रकारों को जेब में रखने का अहंकार पालने वाले भू-माफि या हेमंत जैन को परमात्मा(भैरूंजी) से पंगा लेना भारी पड़ गया। जिस दिन मामले कि सुनवाई होनी होती है, कोई न कोई अखबार हेमंत जैन की कर्म कुंडली का अनछपा पन्ना उजागर कर देता है। गिरफतारी का डर बेचारे को सोने नहीं देता। तो दूसरी ओर कर्म कुंडली के पन्ने उसे जागने नहीं देते। बेचारा हेमंत जैन! इसलिए तो कहते हैं पुलिस और पत्रकार से बचके रहना। एक बार पीछे पड़ जायें तो फि र प्रभु भी…।
-प्रवेश शर्मा, प्रबंध संपादक, दैनिक न्याय सबके लिए