गांधी को प्रत्यक्ष किया ‘काया में काया‘ ने

DSC_0109अजमेर / राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के तत्वावधान में नाट्यवृंद के सहयोग से आयोजित किये जा रहे ‘नाट्य उत्सव‘ के दूसरे दिन आज 12 जनवरी, 2014 रविवार को सूचना केन्द्र सभागार में महात्मा गांधी के चिंतन पर आधारित नाटक ‘काया में काया‘ का का प्रभावी मंचन हुआ। अकादमी की नाट्य प्रस्तुति योजना के अन्तर्गत संकल्प नाट्य समिति बीकानेर द्वारा प्रस्तुत इस नाटक का लेखन व निर्देषन आनन्द वि. आचार्य ने किया । गांधीवाद के आस-पास विचरते इस नाटक के पात्रों के रूप में गांघी, गोडसे और जिन्ना की आत्माओं के रोचक संवादों और भावपूर्ण अभिनय के माध्यम से आजादी के संघर्ष की गाथा, बंटवारे की हिंसा का दर्द और इससे भी अधिक जिस आजाद भारत का सपना गांधी ने देखा था, वैसा न हो पाने की व्यथा को बखूबी प्रस्तुत किया। कुछ अन्य पात्र पटेल, नेहरू व मौलाना आदि भी नाटक के जरिये अपनी तात्कालिक स्थिति को स्पष्ट करते दिखा। ‘सरकार हुकुमत करती है सेवा नहीं‘, ‘असली आजादी मन और विचारों की आजादी होती है‘, ‘विचार को गोली से नहीं विचार से मारा जा सकता है‘ जैसे सटीक-प्रभावी संवादों ने दर्षकों की जमकर तालियां बटोरीं। नाटक में वर्तमान की परिस्थितियों पर भी तीखा कटाक्ष किया गया। ऐसे गंभीर विषय पर नाटक खेलने की चुनौति को अजमेर के सुधि दर्षकों ने खुलकर सराहा।
इस अवसर पर पद्मश्री चन्द्रप्रकाष देवल विषिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे तथा डॉ अनन्त भटनागर, अषोक सक्सेना,योबी जॉर्ज, मीना मुखर्जी, स्मिता भार्गव, गोपाल बंजारा सहित अनेक युवा रंगकर्मी व प्रबुद्धजन भी उपस्थित थे।
DSC_0039इनके अभिनय ने किया प्रभावित- नाटक के प्रमुख पात्र महात्मा गांधी की भूमिका में अषोक जोषी के सटीक अभिनय ने दर्षकांे को खासा प्रभावित किया। अन्य भूमिकाओं में जसदेव सिंह, भुवनेष स्वामी, इरषाद अजीज, प्रमोद चमोली, चांद रजनीकर, पंकज छींपा, मोहित चौधरी, डिम्पल खत्री व जय मयूर टांक के भावपूर्ण अभिनय को दर्षकों ने सराहा। रूप सज्जा केषव गुप्ता, वेषभूषा कविता व अविनाष व्यास, ध्वनि मुद्रण येषुदास, जयकमल रिकार्डिग स्टूडियो, प्रकाष प्रभाव विजय सिंह राठौड़ तथा प्रदर्षन प्रबंध अभिषेक आचार्य व पंकज शर्मा ने किया। प्रस्तुति सहयोग उमेष कुमार चौरसिया व तरूण भटनागर का रहा।

error: Content is protected !!