अमिट छाप छोड़ी नाटक ‘विठ्ठला‘ ने

P23-02-14_19.08P23-02-14_19.49अजमेर / राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के तत्वावधान में नाट्यवृंद के सहयोग से आज 23फरवरी, 2014 रविवार को रेडक्रास सोसाइटी सभागार में असत प्रवृतियों पर सत की विजय को रोचक तरीके से पेष करने वाले नाटक ‘विठ्ठला‘ का का प्रभावी मंचन हुआ। अकादमी की नाट्य प्रस्तुति योजना के अन्तर्गत मयूर नाट्य संस्था जोधपुर द्वारा प्रस्तुत इस नाटक को प्रख्यात नाटककार विजय तेंदुलकर ने लिखा तथा वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ एस पी रंगा ने कुषलतापूर्वक निर्देषित किया। मराठी मूल के इस नाटक का हिन्दी अनुवाद सुषमा बक्षी ने किया। नाटक में विठ्ठल जोषी के भूत और भगवान विठ्ठल के भक्त नामा के माध्यम से यह दर्षाया गया कि एक ओर पापी मनुष्य सत्कर्म का ढोंग कर नौटंकी कर रहा है दूसरी ओर साधारण मानव को पिषाच माया में घेरकर जबरन संत बनाया जा रहा है। इसका लाभ धूर्त लोग मजे से ले रहे हैं और संत बना मनुष्य खामोंखां घमंड में अकड़कर जीवन व्यर्थ कर रहा है। अंत में नामा में भूत का प्रवेष कर यह बताया गया कि मानवीय जीवन की विकृतियां ही भूत हैं और सत्कर्म-भक्ति ही सत है। कुषल निर्देषन, बांधने वाले संगीत संयोजन और ‘मुझे इंसानों से डर लगता है वे मक्कार-झूठे होते हैं‘, ‘मनुष्य मुट्ठीभर बुद्धि से दुनिया की विषाल पहेली को सुलझाने चला है, मूर्ख है‘ और ‘तुम पुण्य कमाने में सब त्याग करते रहे और पापी अपनी सत्ता और संपत्ती बनाते रहे‘ तथा ‘चमत्कार भगवान की कृपा नहीं पिषाच माया है‘ जैसे संवादों की बुलंदी से सभागार गूंज उठा, दर्षकों ने देर तक तालियों की गड़गडाहट से इन्हें सराहा।
मंच संचालन नाट्यवृंद के उमेष कुमार चौरसिया ने किया इस अवसर पर अनेक वरिष्ठ व युवा रंगकर्मी तथा प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
इनके अभिनय ने किया प्रभावित- नाटक के प्रमुख पात्र भूत की भूमिका में भरत वैष्णव और नामा के रूप में अजय सिंह गहलोत के मर्मस्पर्षी अभिनय ने खूब तालियां बटोरीं। तुम्बाजी बने दिनेष सारस्वत, जटायू के रूप में एमएस जई और पत्नि बनी नीतू परिहार के सधे हुए अभिनय ने दर्षकांे को खासा प्रभावित किया। अन्य भूमिकाओं में राधिका गहलोत, रवि गोदारा, भरत राज शर्मा, विषाल पंवार, ध्रुव सिंह, प्रवीण कुमार, लक्ष्मण परिहार ओर किषन जांगिड़ के भावपूर्ण अभिनय को दर्षकों ने सराहा। मंच कल्पना रमेष भाटी नामदेव की थी तथा रंगदीपन ताहिर हुसैन, मंच सज्जा कैलाष गहलोत व हरि वैष्णव, रूप सज्जा शब्बीर हुसैन, संगीत निर्माण एल एन व्यास व संगीत संचालन सुमित व्यास ने किया। सहयोग सुमित्रा मोहता का रहा।

error: Content is protected !!