नाटक जीने की दिशा देता है-डॉ. परमेन्द्र दशोरा

100_2832अजमेर / नाट्यवृंद थियेटर एकेडमी, अजमेर फोरम एवं इण्डोर स्टेडियम के संयुक्त तत्वावधान में इण्डोर स्टेडियम में चल रही 15 दिवसीय ग्रीष्मकालीन ‘यूथ एक्टिंग वर्कशॉप (युवा अभिनय कार्यशाला)‘ में आज 18 जून, 2014 बुधवार को आयोजित विशेष सत्र में राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य डॉ. परमेन्द्र दशोरा ने प्रशिक्षणार्थी युवाओं को नाट्यकला की विशिष्टताओं के बारे में बताया। उन्होंनें अपने थियेटर के अनुभवों की जानकारी देते हुए कहा कि नाट्यकला सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ विधा है। इसमें नृत्य, नृत, संवाद और अभिव्यक्ति के आधार पर अभिनय व प्रदर्शन सिखाया जाता है। नाटक में सभी प्रकार की कलाओं का समावेश होता है और जीवन के विविध स्वरूपों का अभ्यास भी होता है। जीवंत प्रस्तुति होने से आत्मविश्वास, प्रत्युत्पन्नमति, भाव प्रवीणता में प्रवीणता आने के साथ-साथ टीम भावना का विकास होता है। नाट्य हमें परस्पर सामंजस्य, प्रेम और सहयोग से जीने की दिशा देता है। डॉ. दशोरा ने युवाआंे को देश की वर्तमान चुनौतियों को समझने और देश के प्रति समर्पण का भाव रखने की आवश्यकता है। कार्यशाला निर्देशक उमेश कुमार चौरसिया ने बताया कि इन दिनों युवा कलाकार नुक्क्ड़ शैली व मंचीय शैली के नाटकों की तकनीक का अभ्यास कराया जा रहा है। सह संयोजक डॉ. पूनम पाण्डे ने आभार व्यक्त किया तथा अंकित शांडिल्य ने स्वागत किया। इस अवसर पर कृष्णगोपाल पाराशर, हेमंत शर्मा आदि उपस्थित थे।
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उमेश कुमार चौरसिया
निर्देशक व संयोजक
9829482601

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