शब्द बरखा के साथ लिटरेचर फेस्टिवल का आगाज

literature festivalअजमेर। जानी मानी हस्तियों की शिरकत, पहलेे दिन हुए पंाच सत्र, सैंकड़ो लोगों ने लिया भाग। बारिश में भी लोग जुटे रहे। फिल्मकार मुजफ्फर अली और मशहूर शायर शीन काफ निजाम रहे युवाओं का आकर्षण। आज होंगे सात सत्र। कवि अशोक वाजपेई, संतोष भारतीय, उर्मिलेशसिंह , अरुणा रॉय, कथाकार मृदला गर्ग लेंगी सत्रों में भाग।

जब तहजीब खत्म हो रही तो बुनियाद कैसी-मुजफ्फर अली
जाने माने फिल्मकार पदमश्री मुजफ्फर अली ने कहा कि जब देश की तहजीब ही खत्म हो रही है तो फिर बुनियाद कैसी। हम कौनसी बुनियाद की बात कर रहे हैं। मुजफ्फर अली बिरला सिटी वाटर पार्क में गुरुवार से शुरू हुए तीन दिवसीय अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल के पहले दिन आगाजे गुफ्तगूं सत्र में लोगों से रूबरू थे। उन्होंने कहा कि भौतिक उन्नति के साथ इंसान की अंदरुनी तरक्की भी जरुरी है। विज्ञान अगर सभ्यता है तो शायरी सुगंध है। दोनों का महत्व है और दोनों में तालमेल जरुरी है। मुजफ्फर अली और देश के जाने माने शायर शीन काफ निजाम के बीच पहले सत्र में कई सामाजिक और फिल्म क्षेत्र से जुड़े कई मुद्दों और समस्याओं पर खुलकर बातचीत हुई। अली ने कहा कि एक इंसान दूसरे इंसान का दर्पण है। यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए हमें दूसरों से जैसा व्यवहार चाहिए वैसा ही उसके प्रति करना चाहिए। मीरा अली ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आधुनिक दौर में बच्चों का अधिकांश समय इंटरनेट और कंप्यूटर पर बीत रहा है। ऐसे में माता पिता की जिम्मेदारी और बढ गई है। इन बच्चों को क्रिएटिव कामों से जोड़कर उनके खराब हो रहे समय को रोकने का प्रयास करना चाहिए। शीन काफ निजाम ने सियासत से जुड़े विषय पर कहा कि सरकार और लिटरेचर फेस्टिवल का कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि गंगा की सफाई के साथ यमुना की सफाई भी हो जाए तो दो तहजीब भी निकट आ जाएगी।
इससे पहले पदमश्री मुजफ्फर अली, मीरा अली और मेयर कमल बाकोलिया ने दीप प्रज्जवलन कर फेस्टिवल का शुभारंभ किया। इस मौके पर मुजफ्फर अली ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है। साहित्य हमें आत्मीय बनाता है। इससे हमे सही दिशा मिलती है। इस तरह के कार्यक्रमों से समाज में अच्छा वातावरण बनता है। मीरा अली ने कहा कि बच्चे किताबों से दूर हो रहे हैं। यह चिंता का विषय है। साहित्य के मेले उनमें प्रेरणा पैदा करने का अच्छा प्रयास है। मेयर बाकोलिया ने फेस्टिवल को शहर के साहित्यकारों के लिए अच्छी शुरुआत बताया। उन्होंने कहा इस तरह के आयोजनों से शहर को नई पहचान मिलेगी। संयोजक रास बिहारी गौड ने कहा कि साहित्य और संस्कृति के संवर्धन के लिए देश भर के ख्यातनाम साहित्यकार और कलाविद एक मंच पर आए हैं, यह अजमेर का सौभागय है। इस सत्र का संचालन सोमरत्न आर्य ने किया।

दूसरा सत्र – सूफीमत और प्रेम तत्व
सत्र में लियाकत मोइर्नी, याकूब खान बख्शीशसिंह ने सूफीज्म और प्रेमतत्व के पहलुओं पर विस्तृत प्रकाश डाला। लियाकत मोईनी ने कहा कि सूफिज्म गहरा भाव है। उन्होंने सूफिज्म और भक्ति में अंतर बताते हुए कहा कि सूफिज्म प्रेम है और भक्ति समर्पण है। सूफिज्म पर कहानियां, कविताओं और अन्य माध्यमों से प्रकाश डाला। याकूब खान ने सूफिज्म की व्याख्या करते हुए उसकी विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उनहोंने कहा कि खुदा से एकाकार होना ही सूफी हो जाना है। यह ऐसी अवस्था को प्राप्त होना है जब कोई खुद अपने आपको भुला बैठे और फना हो जाए।

तीसरा सत्र – राजस्थानी लोक की चुनौतियां
इस सत्र में पदमश्री सीपीदेवल, नंद भारद्वाज उमेश चौरसिया ने राजस्थानी भाषा की मतत्वता पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि राजस्थानी भाषा संस्कृति की मूल है। यह भाषा दुनिया में अलग पहचान देती है। दुर्भागय की बात है कि 11 सौ साल पुरानी भाषा अपने अस्तित्व के लिए संर्घष कर रही है। जो राजनेता गांव गांव में जाकर इस भाषा का सहारा लेकर वोट मांगते हैं। विधानसभा और लोकसभा में पहुंचते हैं वो ही इस भाषा को नजर अंदाज करते हैं।

चौथा सत्र – खबरें उत्पाद और पाठक उपभोक्ता में कृष्ण कल्पित, आलोक श्रीवास्तव, डॉ. रमेश अग्रवाल और राजेंद्र गुंजल ने पत्रकारिता, अखबार और पाठकों के संबंधों पर विस्तृत चर्चा की। वक्ताओं ने कहा कि अखबार लोगों को साक्षर और जागरुक करने का काम कर रहा है। विज्ञापन अखबार की आवश्यकता है। इसके बिना अखबार की कल्पना नहीं की जा सकती है। इन्हीं विज्ञापनों के कारण उपभोक्ता संस्कृति विकसित हो गई। यह एक बड़ी समस्या भी है। बिना विज्ञापन के अखबार छापा जाएं तो उसकी कीमत 45रुपए तक हो जाएगी। जहां एक ओर विज्ञापन मजबूरी है वहीं कई बार अखबार की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठते हैं।
पांचवा सत्र मिलिए अपने शायर से में शीन काफ निजाम लोगों से रूबरू हुए। उन्होंने शायरी के अदब, उूर्द शायरी की गंभीरता और शालीनता से परिचय कराया। शीन काफ ने मोहब्बत, रुसवाई, खामेाशी और जज्बात पर कई शेर सुनाकर लोगों का मन मोह लिया। उन्होंने भाषा के हो रहे पतन पर दुख जताया। शेर लिखने की बारीकियां भी समझाई। सत्र का समन्वयन श्याम माथुर ने किया। आईटी प्रभारी गिरीश टांक ने बताया कि शहरवासी अजमेर लिट डॉट ओआरजी पर फेस्टिवल को लाइव देखा जा सकता है। फेस्टिवल के पहले दिन दो हजार सात सौ नब्बे लोगों ने पंजीयन कराकर विभिन्न सत्रों में भाग लिया।

आज होने वाले सत्र
पहला सत्र – साहित्य में संप्रेषण विषय पर लेख और विश्रलेषक अशोक वाजपेई, कृष्ण कांत कल्पित और पत्रकार आलोक श्रीवास्तव भाग लेंगे।
दूसरा सत्र – आधी आबादी सत्र में स्त्री तुम कौन हो विषय पर कथाकार मृदुला गर्ग, समाज सेवी अरुणा रॉय, कवियत्री ईला कुमार चर्चा करेंगी। समन्वय शाम खान करेंगी।
तीसरा सत्र – कैंपस नामक इस सत्र में शिक्षा पद्धति और जूझते सवाल पर शिक्षाविद पुरषोतम अग्रवाल, इलेक्ट्रिोनिक मीडिया के जाने पहचाने चेहरे उर्मिलेशसिंह हिस्सा लेंगे।
चौथा सत्र – मिलिए अपने कवि से सत्र में कवि अशोक वाजपेई लोगों से सीधा संवाद करेंगे।
पांचवा सत्र – रोजनामचा में अच्छे दिनों की राजनीतिऔर राजनीति के अच्छे दिन विषय पर चर्चा होगी। सत्र में खोजी पत्रकार संतोष भारतीय, आलोक श्रीवास्तव, राजनेता पूर्णा शंकर दशोरा चर्चा करेंगे।
छठा सत्र – कविता एक परंपरा विषय पर कवि अशोक वाजेपई, शायर शीन काफ निजाम और रास बिहारी गौड चर्चा करेंंगे।
सातवां सत्र – मिलिए अपने कथाकार से में कथाकार मृदुला गर्ग लोगों से गुफ्तगंू करेंगी।

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