‘बाल नाट्य संग्रह‘ का लोकार्पण हुआ

चौरसिया की इक्कीसवीं कृति का विमोचन

चौरसिया द्वारा संपादित पुस्तक का लोकार्पण शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष प्रो. बी.एल.चौधरी के करकमलों से सम्पन्न हुआ।
चौरसिया द्वारा संपादित पुस्तक का लोकार्पण शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष प्रो. बी.एल.चौधरी के करकमलों से सम्पन्न हुआ।

अजमेर / राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में कार्यरत सुपरिचित रंगकर्मी एवं साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया की नयी संपादित कृति ‘रवीन्द्रनाथ ठाकुर के बाल नाटक‘ का लोकार्पण आज बुधवार 25 फरवरी,2015 को प्रातः राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. बी. एल. चौधरी द्वारा किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए बी.एल.चौधरी ने कहा कि नाटक एक लोकप्रिय विधा है और इसके माध्यम से बच्चों को रोचक तरीके से भारतीय संस्कृति, साहित्य का ज्ञान कराने के साथ-साथ संस्कारित किया जा सकता है। विश्वविख्यात साहित्यधर्मी रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने बच्चों के लिए विपुल साहित्य की रचना की है। रचनाकार उमेश कुमार चौरसिया ने उनके लिखे नाटकों में से बालोपयोगी छः ऐसे हास्य-व्यंग्य से ओतप्रोत नाटकों को सरल हिन्दी में अनूदित करते हुए इस संकलन में शामिल किया है जो बच्चों को इर्द-गिर्द के वातावरण से परिचित कराते हुए जीवन मूल्यों की शिक्षा भी देते हैं। निश्चय ही संकलन बच्चों व विद्यालयों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
उल्लेखनीय है कि उमेश कुमार चौरसिया रंगकर्मी भी हैं और 28-30 वर्ष से नाट्य निर्देशन भी कर रहे हैं। यह उनकी इक्कीसवीं प्रकाशित कृति है। चौरसिया अधिकांशतः बालोपयोगी नाटकों की रचना करते हैं और समय-समय पर विविख बाल नाट्य शिविरों के माध्यम से बच्चों को नाट्यविधा का प्रशिक्षण भी देते हैैं। चौरसिया ने अब तक 14 नाट्य संकलन तथा 6 संपादित कृतियां प्रकाशित हुई हैं, 65 से अधिक हिन्दी व लगभग 7 राजस्थानी नाटकों की रचना की है, जिनमें 50 से अधिक बाल नाटक हैं। पुस्तक का परिचय

रवीन्द्रनाथ ठाकुर के बाल नाटक
– इस संकलन में रवीन्द्रनाथ के ऐसे ही छः बाल नाटक लिये गये हैं, जो हास्य-व्यंग्य से भरपूर भी हैं और बच्चों को विविध विषयों की शिक्षा देने में भी सक्षम हैं। प्रसिद्धि का कौतुक नाटक में प्रसिद्धि के लोभ में चन्दा लेने वाले विविध प्रकार के आगन्तुकों से परेशान होने के रोचक घटनाक्रम हैं, छात्र की पढ़ाई में बालक की पढ़ाई को लेकर किये गये रोचक जतन दिखाये गये हैं। शुभचिंतक नाटक मुफ्त की सलाह की प्रवृति पर कटाक्ष, बिरछा बाबा सुनी सुनाई कथा पर भरोसा कर लेने का व्यंग्य और स्वागत अपनी ही ढपली बजाने की मनोवृत्ति को रोचकता से प्रस्तुत करता है। लक्ष्मी की परीक्षा एक ऐतिहासिक कथानक की गीतिनाट्य के रूप में मनोरंजक प्रस्तुति है। ये सभी नाटक मंचों पर सरलता से एवं कम संसाधनों के साथ ही मंचित किये जा सकते हैं। निश्चय ही संकलन बच्चों व विद्यालयों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा
प्रकाशक-अपोलो/वर्ष 2014/हिन्दी

लेखक का संक्षिप्त परिचय

उमेश कुमार चौरसिया
उमेश कुमार चौरसिया

उमेष कुमार चौरसिया
(रंगकर्मी एवं नाटककार)
प्रयोगधर्मी रंगकर्मी और संवेदनशील साहित्यकार के रूप में देशभर
में सुपरिचित हैं।
27 वर्षाें से नाट्य लेखन, निर्देशन एवं अभिनय। नाटक के साथ-साथ लघुकथा, गजल, गीत एवं सामयिक आलेखों का निरन्तर लेखन।
विगत 27 वर्षाें में आपने 65 से अधिक नाटकों का निर्देशन किया है, तथा 40 से अधिक नाटकों में अभिनय किया।
आपकी अब तक 14 नाट्य संकलन तथा 6 संपादित कृतियां प्रकाशित हुई हैं। 71 हिन्दी व 7 राजस्थानी नाटकों की रचना की है, जिनमें 50 से अधिक बाल नाटक हैं। विविध राष्ट्रीय प्रतिनिधि संकलनों में भी नाटक एवं लघुकथाएं प्रकाशित हुई हैं।
विगत 12 वर्षाें से ‘चिल्ड्रन थियेटर‘ एवं ‘थियेटर इन एजुकेशन‘ के लिए सक्रिय हैं। एनसीईआरटी और राजस्थान संगीत नाटक अकादमी नाट्य षिविरों में निर्देशन। शिविरों/प्रदर्शनों के माध्यम से बच्चों व युवाओं को नाट्यविधा के गुर सिखाने के साथ-साथ महापुरूषों के प्रेरक जीवन प्रसंगों व पौराणिक कथाओं पर आधारित नाटकांे के द्वारा उनमें संस्कार व नैतिक मूल्यों की स्थापना का कार्य तथा युवाओं को समसामयिक चुनौतियों के प्रति जागरूक करने का प्रयास।
राजस्थान साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित ‘शंभूदयाल सक्सेना बाल साहित्य पुरस्कार 2011-12‘ से सम्मानित। नाटक ‘नन्हीं हवा‘ राजस्थान राज्य में प्रथम पुरस्कार से पुरस्कृत हुआ तथा हिन्दी व राजस्थानी के चार अन्य नाटक भी राज्यस्तर पर पुरस्कृत हुए। आकाशवाणी व दूरदर्शन पर नाटक एवं वार्ताएं निरन्तर प्रसारित होते रहते हैं।

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