कविता संग्रह ‘ऊर्मियाँ का विमोचन

singla jiअजमेर। रेलवे से सेवा निवृत्त वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार एम. एस. सिंगला के काव्य संग्रह ‘ऊर्मियाँÓ का विमोचन सेवानिवृत्त रेल अधिकरी संस्था के तत्वावधान में रेल अधिकारी क्लब, अजमेर में संपन्न हुआ।
कृति पर चार विद्वानों द्वारा समीक्षा प्रस्तुत की गई। रा.प्र.चौ. राजकीय महाविद्यालय, अजमेर के डॉ. राजेश शर्मा ने कहा कि यद्यपि पुस्तक में 37 कृतियाँ हैं, किन्तु उनमें राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक आदि विसंगतियों को न केवल उजागर किया गया है, अपितु समाधान देने का भी प्रयास किया गया है। इस प्रकार कृति छोटी किन्तु सारगर्भित है। आपके मतानुसार कविताऐं भावनाओं का विषय होती हैं किन्तु इस संग्रह में विचारों की प्रधानता है।
डॉ. मोक्षराज का विवेचन विशिष्ट रहा। आपका संस्कृत वांग्मय के अनुसार मत था कि श्रेष्ठ कविता करुण रस प्रधान होती है। तब भी प्रस्तुत कविताओं में प्रचलित राजनीतिक-आर्थिक समस्याओं का विवेचन कर करुण रस ही उत्पन्न कर दिया गया है। किन्तु इससे हटकर आपने ‘मैं उसको कविता कहता हूंÓ का उद्धरण प्रस्तुत किया, जिसमें कहा जाय तो कवि ने कविता को अपने ढंग से परिभाषित किया है। उन्होंने कहा कि सिंगलाजी राजनीतिक लेख लिखते रहे हैं, उनसे ऐसी कृति की आशा नहीं थी।
डॉ. शकुन्तला किरण ने काव्य संग्रह को अनुपम काव्य कृति बताते हुए कहा कि इसमें भाव-सागर की मचलती-रूठती, रोती, हंसती तरंगें हैं। उन्होंने कृति से अनेक उद्धरण प्रस्तुत किये। अन्त में आपने ‘ ‘मंगलÓ की हर इक उर्मि पर, जन-मंगल के दीप जले हैं।Ó से समाप्त कर अपनी भावनाओं को उत्ताल तरंगों पर पहुंचा दिया।
वरिष्ठ पत्रकार गिरधर तेजवानी ने क्षणिकाओं को मंत्र की संज्ञा दी और ‘भंवरी देवी, पारसी देवी, ये देवी और वो देवी, कहने भर को देवी पर राजनीति की बलिवेदीÓ का उदाहरण पेश किया। उन्होंने एक रचना की पंक्तियाँ उद्धृत करके कवि कर नीछर को इंगित किया यथा ‘भाषा को भाँज कर, हिन्दुत्व की होली जला, संस्कृति को सूली पर चढ़ाया है। श्री सिंगला की अन्य अनेक विशेषताओं का हवाला दिया। वस्तुत: ऊर्मियाँ ऐसा गुलदस्ता है जिसमें हिन्दी-अंग्रेजी दोनों भाषाओं में रचनाएं हैं तो अनूदित और प्रतिक्रियात्मक रचनाएं भी हैं।
कृति का विमोचन मण्डल रेल प्रबन्धक द्वारा किया जाना था, किन्तु अति व्यस्तता के कारण वे नहीं आ सके। उन्होंने अपना सन्देश भिजवाया, जिसे कायक्रम संचालक सचिव एम. एस. परिहार ने पढ़ कर सुनाया। ऐसे में संस्था के सबसे बुजुर्ग 95 वर्षीय सदस्य श्री नाथूराम अरोड़ा द्वारा कृति का विमोचन किया गया। कार्यक्रम के आरम्भ में श्री सिंगला ने माँ सरस्वती और लक्ष्मी की संस्कृत श्लोकों से स्तुति की तथा अन्त में आभार प्रदर्शन किया।

error: Content is protected !!