कार्तिक एकादशी स्नान के साथ ही पुष्कर में कार्तिक पंचतीर्थ मेला शुरू

pusअजमेर 22 नवम्बर। कार्तिक एकादशी स्नान के साथ ही पुष्कर सरोवर मे कार्तिक पंचतीर्थ स्नान प्रारम्भ हुआ जो कार्तिक पूर्णिमा 25 नवम्बर तक चलेगा।
कार्तिक पंचतीर्थ स्नान के इस धार्मिक कार्तिक मेले में देश विदेश से श्रद्धालुओं का आज जल्दी प्रातः से ही पुष्कर पहंुचना प्रारम्भ हो गया और प्रातः चार बजे से ही सरोवर में श्रद्धालुओं ने कार्तिक पंचतीर्थ स्नान प्रारम्भ कर दिया कार्तिक पूर्णिमा तक हजारो की तादाद में श्रद्धालु सरोवर में स्नान कर पुण्य कमाएंगे।
पुष्कर सरोवर के सभी 52 घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ प्रातः से ही लगी रही प्रशासन द्वारा सभी घाटों पर व्यापक इंतजाम किए गए।

आध्यात्मिक यात्रा से पुष्कर आलोकित
अजमेर 22 नवम्बर। अन्तर्राष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले का धार्मिक पक्ष रविवार को देव प्रबोधनी एकादशी के दिन आघ्यात्मिक यात्रा के साथ आलोकित हुआ। सम्पूर्ण पौराणिक नगरी धर्म सुधा से सराबोर हो गई। साधुओं के गेरवा वस्त्रों की रंगत से आध्यात्मिक मार्ग निखर उठा।
पुष्कर मेले में देव प्रबोधनी एकादशी के अवसर पर प्रातः 8.30 बजे गुरूद्वारे के पास से आध्यात्मिक यात्रा का शुभारम्भ वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ स्थानीय विधायक श्री सुरेश सिंह रावत तथा राम रमैया आश्रम के महंत प्रेम दास जी महाराज के द्वारा झण्डी दिखाकर किया गया। वहां से यात्रा और पवित्रा सरोवर और पुष्कर राज की परिक्रमा लगाती हुई, मेला मैदान पहुंची जहां पर इसका भव्य स्वागत किया गया। यात्रा को गुरूद्वारा पुष्कर के सचिव जोगेन्द्र सिंह दुआ, हाजी शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती, काजी मुनवर अली, डाॅ. मन्सुर अली, श्रीमती रूखसाना हुसैन, कर्नल हाकिम अली सहित विविध पूजा पद्धतियों के संगम ने इसे सर्व धर्म समागम बनाया। यात्रा में पुष्कर पालिका अध्यक्ष श्री कमल पाठक तथा मेला मजिस्ट्रेट श्री हीरालाल मीना भी उपस्थित थे।
आध्यात्मिक यात्रा के दौरान ब्रह्मा सावित्राी वेद विद्या पीठ द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण किया गया। स्काउट दल के द्वारा वराह, नृसिंह, गणेश, ब्रह्मा सहित विविध अवतारों तथा देवताओं के स्वांग का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर शिव का रूप धरे डमरू धारक, जटाधारी, सांपों के श्रृंगार किए त्रिशुल के साथ लोक कलाकार सबके लिए आकर्षण का केन्द्र रहा। साधु रामचरण दास ने एकतारे पर रामधुन के साथ छेड़ी तान के कारण वातावरण में संगीत घूल गया। यात्रा में सन्यासियों के जत्थे अपने मठ्ों की मान्याताओं के अनुसार धर्मिक वेशभूषा में त्याग की भारतीय परम्परा का धर्मिक स्वरूप जीवंत कर रहे थे। उनके वाद्य तथा जयकारों ने पुष्कर के वातावरण को स्वर्गमयी बना दिया।
यात्रा में विविध झांकियों ने तीर्थ यात्रियों का मन मोह लिया। जिनमें रमा वैकुण्ड आश्रम संस्कृत महाविद्यालय की ब्रह्मा गायत्राी द्वारा यज्ञ की झांकी, राधा-कृष्ण स्वरूप दर्शन, आदर्श परिवार को चित्रित करती शिव परिवार की झांकी, लोंक नायक रामदेवजी की झांकी, त्रिदेव, अखिल विश्व गायत्राी परिवार, दुर्गा रूप, राम दरबार, जोगणिया धाम की झांकिया प्रमुख थी। यात्रा के साथ नगाड़ा वाद्य व्रन्द लिए केमल सफारी की वृन्द पंकितयां भी थी। इस अवसर पर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की झांकी ने प्लास्टिक फ्री- क्लीन -ग्रीन पुष्कर का संदेश दिया।
लोक कलाकारों ने अपनी परम्परागत रंगत की छठा को पूरे आध्यात्मिक मार्ग में बिखेर दिया। लोक वादक, लोक नर्तक अपने ढ़ोल, चंग, नगाड़े, संग, पूंगी तथा डपली के साथ लोक संस्कृति से रूबरू करवा रहे थे। निवाई के तेजाजी के लोक गीतों का अलबोजा वादन के साथ गायन , भोपा-भोपी, जोधपुर के छंवर लाल गहलोत का कच्छी-घोड़ी परिवार, भगवान सिंह बारां के चकरी नृत्य दल ने यात्रा को लोक रंग प्रदान किया। लोक कलाकारों के परम्परागत वस्त्रों, हंसते मुख मण्डल, थिरकते पांव, लरजते हाथ, लचकती गर्दन, बरबसती अपनी तरफ आकर्षित कर देते है।
आध्यात्मिक यात्रा मार्ग पर सर्व दिशाओं से पुष्प वर्षा हो रही थी। गवाक्षों और छज्जों के साथ-साथ सम्पूर्ण यात्रा मार्ग पुष्पाछादित हो रहा था।
एकादशी के साथ ही तीर्थ यात्रियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। श्रृद्धालु पुष्कर सरोवर में प्रबोधनी एकादशी के दिन से पंच तीर्थ का स्नान करके स्वयं को धन्य समझेंगे। आज स्नान का सिलसिला ब्रह्म मूर्हत के पूर्व से ही शुरू हो गया।

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