किडनी फेल मरीज को मित्तल हॉस्पिटल से मिली राहत

तीन दिन में तीन बार किया डायलिसिस
aaअजमेर, 4 फरवरी। किडनी फेल के एक मरीज को मित्तल हॉस्पिटल ने त्वरित उपचार कर बड़ी राहत प्रदान की है। मरीज का उपचार शुरू करने में दो घंटे की भी देरी और हो जाती तो उसका जीवन जोखिम में पड़ सकता था। मरीज जब मित्तल हॉस्पिटल लाया गया तब वह बेहोश था। उसके खून में यूरिया की मात्रा 399 पाई गई थी, वहीं खून में क्रिटिनिन(खून में अशुद्धि) की मात्रा 22 थी। सामान्य रूप से खून में यूरिया की मात्रा चालीस व क्रिटिनिन की मात्रा 1.2 होनी चाहिए। मित्तल हॉस्पिटल में गुर्दा रोग विशेषज्ञ सेवाओं के उपलब्ध रहते यह संभव हो सका। मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है और उसे हॉस्पिटल से छुट्टी भी दी जा चुकी है।

Dr Ranveer Singh Choudhary
Dr Ranveer Singh Choudhary
मित्तल हॉस्पिटल के गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. रणवीरसिंह चौधरी ने बताया कि सीकर जिले के दोध तहसील स्थित गांव बेवा निवासी राजेन्द्र मीणा के भाई 29 वर्षीय गोवर्धन मीणा को बेहद ही नाजुक और गंभीर अवस्था में 27 जनवरी 16 की सुबह मित्तल हॉस्पिटल लाया गया था। इस दौरान मरीज को दौरे पड़े थे और वह बेहोश था। हॉस्पिटल पहुंचते ही उसका उपचार शुरू किया गया।
डॉ. चौधरी ने मरीज के भाई राजेन्द्र मीणा के हवाले से बताया कि गोवर्धन मीणा को पहली बार 24 जनवरी को सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई थी। तब उसे अजमेर के ही किसी अन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में भर्ती रहते तीन दिन में मरीज की तबीयत तेजी से बिगड़ती ही चली गई। जांच रिपोर्ट के अनुसार मरीज के खून में यूरिया की मात्रा पहले दिन तीन सौ चालीस दूसरे दिन तीन सौ सत्तर तथा तीसरे दिन 399 हो गई। अस्पताल से मरीज को बेहोशी की अवस्था में किसी बड़े अस्पताल ले जाने की सलाह के साथ रेफर कर दिया गया। मरीज को यदि उपचार के लिए अजमेर से बाहर ले जाया जाता तो भी उसकी जान को जोखिम था, लिहाजा मरीज का भाई उसे अलसुबह ही मित्तल हॉस्पिटल ले पहुंचा।
Govardhan Meena
Govardhan Meena
मित्तल हॉस्पिटल में मरीज के आते ही उसका उपचार शुरू किया गया और फिर डायलिसिस भी किया गया। डायलिसिस होने से दूसरे ही दिन मरीज होश में आ गया। मरीज का तीन दिन में तीन बार डायलिसिस किया गया और उसके जीवन को रक्षित कर लिया गया।
डॉ. रणवीरसिंह चौधरी ने बताया कि कई बार ऐसी अवस्था में मरीज को तुरन्त उपचार की जरूरत होती है। अजमेर से बाहर जयुपर, दिल्ली अथवा अहमदाबाद ले जाने और वहां उपचार शुरू होने में देरी होने से मरीज की हालत ज्यादा गंभीर हो सकती थी।

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