स्मार्ट सिटी का प्रस्ताव रद्दी के टुकड़े ज्यादा कुछ नहीं

विजय जैन
विजय जैन
अजमेर 21 जून। कांग्रेस का आरोप है कि 22 जून को नगर निगम की साधारण सभा में अनुमोदन के लिये शामिल किये गऐ स्मार्ट सिटी का प्रस्ताव रद्दी के टुकड़े ज्यादा कुछ नहीं है भाजपा बोर्ड का यह शहर की जनता को भ्रमित करने का प्रयास है, स्मार्ट सिटी के प्रस्ताव मे कुछ क्षेत्रों को नही अपितु पूरे शहर को शामिल किया जाऐ तो ही सिटी स्मार्ट होगी।
शहर कांग्रेस के अध्यक्ष ने एक ब्यान जारी करके बताया कि स्मार्ट सिटी के प्रस्तावित प्लान मे शहर के आधे हिस्से को शामिल किया जाना दोनों मंत्रियों की आंतरिक गुटबाजी को जाहिर कर रहा है और उसका खामियाजा शहर के एक बड़े एवं अविकसित क्षेत्र की जनता को उठाना पड़ेगा। कांग्रेस ने स्मार्ट सिटी के आधे अधूरे प्रस्ताव को नामंजूर करते हुऐ इसकी पुर्नसमिक्षा की मांग करते हुऐ जैन ने कहा कि शहर के महज 12 वार्डो को प्रस्ताव में समाहित करके भाजपा बोर्ड और सरकार के मंत्री क्या संदेष देना चाहते हैं। उन्होने कहा कि शहर 14.60 फिसदी जनसंख्या कच्ची बस्तियों में निवास कर रही हैं ऐसे में कुछ वार्डो को स्मार्ट सिटी मे शामिल कर लेना जनता के साथ धोखा नही ंतो क्या है।
जैन ने कहा कि शहर का संषोधित मास्टर प्लान अभी प्रस्तावित है तो किस आधार पर स्मार्ट सिटी का प्रस्ताव तैयार किया गया है। स्मार्ट सिटी का मकसद है शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना स्वच्छ पर्यावरण उपलब्ध कराना परिवहन व्यवस्था को बेहतरीन बनाना शहरों की झुग्गी झोपड़ियों को हटाना झुग्गी में रहने वाले लोगों को वैकल्पिक सुविधा मुहैया कराना शहरी संसाधनों, स्रोतों और बुनियादी संरचनाओं का सक्षम ढंग से विकास करना 2022 तक सभी को आवास उपलबध कराना मगर अजमेर नगर निगम के प्रस्ताव मे ऐसा कुछ नजर नही आता जिससे लग रका है कि निगम एक मंत्री को खुष करने के चक्कर मे स्मार्ट सिटी के के मकसद से ही भटक गया है जिससे उसका अजमेर को स्मार्ट करने का प्रस्ताव रद्दी का टुकड़ा बन कर रह गया है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि शहर की जनता ने स्मार्ट सिटी की ऐसी परिकल्पना की थी जिसमे एक शहर जहां की जलवायु शुद्ध हो, लोग खुली हवा में सांस ले सकें। बिजली-पानी की सप्लाई 24 घंटे सुचारू हो। बिजली कटौती कतई न हो। दिनभर लोगों को ट्रैफिक में न जूझना पड़े, सार्वजनिक यातायात उपलब्ध हो जो विश्व स्तरीय हों। बुनियादी सुविधाएं जैसे किसी चीज की बुकिंग, बिल जमा करना, आदि बेहद सुगम हो। सड़कें, इमारतें, शापिंग माल, सिनेप्लैक्स सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से बने हों। अनाधिकृत कालोनियों की सड़ांध मारती गलियां न हों। झुग्गी-बस्तियां न हों। कुछ ऐसा शहर दिखे जहां लोगों के रहन-सहन में समानता दिखे। सड़कों पर कूड़ा-करकट कतई न दिखे। सड़कें एकदम साफ हों। स्कूल-कॉलेज, अस्पताल, आदि अत्याधुनिक सुविधओं से लैस हों। शहर में बिजली के ग्रिड से लेकर सीवर पाइप सब कुछ अच्छे नेटवर्क में हों। सड़कें, कारें और इमारतें हर चीज एक एक नेटवर्क से जुड़ी हों। इमारत अपने आप बिजली बंद करें, स्वचालित कारें खुद अपने लिए पार्किंग ढूंढें। शहर ऐसा जिसका कूड़ादान भी स्मार्ट हो। गैस सिलेंडर के लिये लाइन लगने के बजाये, पाइपलाइन घर तक आये। ऐसी व्यवस्था हो जिससे अपराध कम हों और लोग चैन से रह सकें मगर निगम की जल्द बाजी के प्रस्ताव में जनता की आकांक्षाऐं धुमिल हो गई है।

विजय जैन

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