जानकारी के अनुसार दिनेश शर्मा आत्महत्या प्रकरण में भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ पर्सनल, पब्लिक ग्रिवेंसेज एंड पेंषंस के अडर सेंक्रेट्री एस पी आर त्रिपाठी ने अंडर सेक्रेट्री एवीडी थर्ड सेक्षन डीओपी एंड टी को एक षासकीय पत्र के जरिए कहा है कि षिकायतकर्ता सुदामा षर्मा पत्र क्रमांक 1 जून 2016 को लिखे पत्र के आधार पर षिक्षा मंत्री प्रो वासुदेव देवनानी के खिलाफ सीबीआई जांच पर विचार किया जाए। ज्ञातव्य है कि इस मामले में राजस्थान ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष सुदामा शर्मा ने प्रधानमंत्री को शिकायत भेज कर मामला सीबीआई को सौंपने की मांग की थी। मामले की गंभीरता इसी बात से नजर आती है कि राज्य और केन्द्र दोनों जगह भाजपा की सरकार होने के बाद भी केन्द्र सरकार के स्तर पर यह मामला सीबीआई जांच के योग्य होने की श्रेणी में आ गया है। एक सवाल ये भी उठता है कि क्या राजस्थान के एक मंत्री के मामले में इस प्रकार की पत्रावली बिना उच्चस्तरीय राजनीतिक सहमति के चल सकती है। कहीं ये भाजपा की राज्य स्तरीय धडेबाजी का परिणाम तो नहीं है। हालांकि यह पत्रावली आगे चल कर कहीं फाइलों में दफन तो नहीं हो जाती या तूल पकडती है, इस बारे में अभी कुछ कहना असंभव है, मगर इस प्रकार सत्तारूढ पार्टी के मंत्री बाबत फाइल चलना चौंकाता है।
एक और गंभीर तथ्य ये है कि मामले के आरोपियों में से एक कर्मचारी शिव शंकर शर्मा को आत्महंता ने अपने सुसाइड नोट में शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी का पीए बताया था। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी, मगर इतना पक्के तौर पर बताया जा रहा था कि वे देवनानी के बेहद करीब है। यह तो जांच से ही स्पष्ट हो पाता कि उसकी देवनानी के दफ्तर में कितनी घुसपैठ थी, मगर दैनिक नवज्योति समाचार पत्र ने तो बाकायदा संकेत दिए थे कि वह देवनानी का करीबी है। तब तक तो मामला केवल षिवषंकर षर्मा तक ही सीमित था, उसमें देवनानी की संलिप्तता कहीं भी नजर नहीं आ रही थी, मगर ताजा पत्रावली में सीधे तौर पर देवनानी के खिलाफ सीबीआई जांच विचारणीय हो जाना मामले को संगीन बना रहा है।