नोटबंदी से सरकारने जनता के धैर्य कीपरीक्षा ली- अरुणारॉय

चूहा पकड़ने के लिएसारा घर ही जलादिया – नितिन सेठी

aruna roy 450ब्यावर, 26 दिसंबर
नोटबंदी जैसा क़दम उठाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीने मनमानी की है। और लोगों के जानने केअधिकार पर चोट पहुँचाकर लोकतंत्र की तोहीनकी है। यह देश अर्थव्यवस्था को कमज़ोर करनेवाला क़दम है जिससे आम मज़दूर, किसान बेहददुखी है। सरकार को आने वाले दिनों में इसकेपरिणाम भुगताने पड़ेंगे। यह उद्गार मेगसेसे अवार्डप्राप्त विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रोय नेब्यावरमें मज़दूर किसान शक्ति संगठन द्वाराआयोजित जन सुनवाई में व्यक्त किए। नोटबंदी कीघोषणा, प्रभाव और परिणाम को लेकर देश कीपहली जन सुनवाई चांग गेट पर आयोजित कीगई। आज ब्यावर के चांग गेट पर मज़दूर किसानशक्ति संगठन, सूचना रोज़गार अभियान एवं हिंदीदैनिक ‘निरंतर’ आयोजित इस नोटबंदी जनसुनवाई में 15 राज्यों के 55 प्रतिनिधियों, कईविश्वविध्यालयों के शोधार्थियों तथा राजस्थान के 12 जिलों के सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित आस-पास के जिलों के 500 से अधिक मज़दूरों, किसानोंऔर व्यापारियों ने हिस्सा लिया। स्थानीय नागरिकोंऔर कई नोटबंदी से पीड़ित लोगों ने अपनी पीड़ाबताई। जनता को सम्बोधित करते हुए अरुणा रॉयने कहा कि नोटबंदी लागू करके प्रधानमंत्री नेदेशवासियों के धैर्य की परीक्षा ली है और उनकीपीड़ा को देशभक्ति के नाम पर बलिदान माँगने कीमुद्रा में कष्ट सहने हेतु गुमराह किया है। उन्होंनेकहा की पिछले 45 दिनों में नोटबंदी के बाद देशके उधयोगों में उत्पादन गिर गया है, किसान अपनीउपज मंदी में नहीं ला पा रहे हैं, सरकार ने गेहूँ काआयात शुल्क समाप्त कर देश के किसानों कोअपनी फ़सल सस्ते में बेचने पर मजबूर कर उनकाशोषण किया है। नोटबंदी के कारण नक़दी संकटसे काम ठप्प हो रहा है, अगर लोगों को काम नहींमिलेगा तो देश नहीं बचेगा। असली देशभक्त वह हैजो देश और देशवासियों के दुःख तकलीफ़ के बारेमें सोचे। प्रधानमंत्री ने तो देशवासियों को बेवजहदर्द दिया है, जिस काले धन और भ्रष्टाचार के नामपर नोटबंदी लागू की गई है उसके नतीजे अभी तकशून्य निकले हैं। नई मुद्रा जारी करके का देश कोभारी बोझा उठाना पद रहा है जिसका कोइ मतलबनहीं है।

लोगों का कहना था कि मोदी सरकार का यहनोटबंदी का फ़ैसला महज़ सरकार कीनाकामयाबियों को छुपाने का पैंतरा है। इसकीसबसे ज़्यादा मार ग़रीब, वंचित, मज़दूर और छोटेव्यापारियों पर पड़ी है। आज दिहाड़ी मज़दूरों कोकाम नहीं मिल पा रहा। पिछले 45 दिनों से देशभर में अफ़रा-तफ़री मची है। सारे काम छोड़करलोग अपनी ही मेहनत और बचत के पैसे पाने केलिए धक्के खा रहे हैं। नोटबंदी के कारण अब तकलगभग 100 लोगों की जान जा चुकी है। सरकारहै कि इन निर्दोष लोगों की मौतों की कोईज़िम्मेदारी नहीं ले रही।

जन सुनवाई में दूर-दराज़ से पहुँचे महिला व पुरुषोंने बताया कि मोदी सरकार नोट बंद कर काले धनके जुमले के बहाने अपने को देश-भक्त सिद्ध करनेकी कोशिश कर रही है पर देश-भक्ति को आँकनेका ये कौनसा तरीक़ा है। सरकार कैश-लेसइकॉनमी के बढ़ावे की बात कर रही है पर भारतदेश में आज भी 80% लेन-देन कैश से होता है। दूसरी तरफ़ देश में अभी भी एक भारी आबादी केपास तो बैंक खाते ही नहीं है। इस जन सुनवाई मेंउन पेंशन लाभार्थियों ने अपनी बात बताई जोपेंशन राशि लेने के लिए पिछले कई दिनों से बैंकोंके चक्कर लगा रहे हैं पर बैंक वाले उन्हें राशि नहींहोने का बहाना बनाकर उन्हें टरका रहे हैं। भीमतहसील के बरार से आइ सोनी देवी ने बताया किजब वो पेंशन लेने बैंक में गयी तो बैंक वालों नेउसकी पे-स्लिप फाड़कर फेंक दी। कह दिया बैंकमें पैसा नहीं है। पाली से आइ हँसा देवी ने भी बैंकसे अपनी पेंशन राशि नहीं मिलने की बात कही।जन सुनवाई में उन लोगों ने भी अपनी बात रखीजिन्हें अपने परिजनों के इलाज या रोज़मर्रा केकामों की पूर्ति के लिए पाई-पाई के लिए मोहताजहोना पड़ा।

अजमेर जिले की जवाजा पंचायत समिति से आईकांकु बाई ने बताया कि उसकी पोती नक़दनिकालने के लिए बैंक की लाइन में लगी थी भीड़ने धक्का मुक्की करके उसे नीचे गिरा दियाजिसको अधिकतम 2000 रुपए का नक़द हाईमिल सकता था लेकिन नीचे गिरने से उसका हाथटूट गया और उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ाजिसमें उनका 6000 रुपए से अधिक ख़र्च हुए।इसी प्रकार विभिन्न लोगों ने अपनी पीड़ा ज़ाहिरकी।

जन सुनवाई में वक़्ता के तौर पर बोलते हुएजवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से जुड़े अर्थशास्त्रीहिमांशु कुमार ने कहा कि हमें यह समझना होगाकि आख़िर मोदी सरकार ने यह नोटबंदी क्यों कीगयी और अभी ही क्यों हुई जबकि भाजपा काघोषणा-पत्र में तो इसका कोई उल्लेख नहीं था। मोदी सरकार नोटबंदी के बहाने काला धन बाहरनिकलना चाहती थी लेकिन देश में काला धनकितना है और कहाँ है इस बारे में सरकार के पासकोई जानकारी नहीं है। आज सरकार के इसपागलपन भरे फ़ैसले से देश की जनता जूझ रहीहै। सरकार का दावा है कि नोटबंदी के बाद क़रीब300 करोड़ रुपए छापे मारकर बरामद किए हैंजबकि यह तो आयकर विभाग पहले भी हर सालकरता आया है। इसमें नया कुछ भी नहीं है।

जन सुनवाई में बिज़्नेस स्टैंडर्ड अख़बार केअसोशीएटेड सम्पादक नितिन सेठी ने कहा किनोटबंदी का क़दम ठीक वैसा ही जैसा चूहा पकड़नेके लिए घर में पिंजरा लागाने के बजाय पूरे घर कोहाई जला देना। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारायह दावा करना नोटबंदी के फ़ैसले को घोषितकरने से फले गोपनीयता बरती गई बिलकुल ग़लतऔर भ्रामक बात है। यह जानकारी स्टेट बैंक केहेड तथा भाजपा शासित राज्य हरियाणा वमध्यप्रदेश सरकार को पहले से थी। सरकारकशलेसस की बात कर रही है लेकिन नए नोटछपने में अभी भी उसे 6 से 8 माह का समय तकलग जाएगा। सरकार ने सोचा की नोटबंदी करने सेक़रीब 5 लाख करोड़ का काला धन बंकों में वापसजमा नहीं होगा जबकि रेसेरब बैंक द्वारा छापे गएनोटों का 90 प्रतिशत जमा हो चुका है। इससे भीसरकार की पूरी योजना फैल साबित हुई है। सेठी नेयह भी कहा की राजनेता और राजनीतिक दलों कोलोगों से मनचाहा चंदा लेने की छूट है जिसकी कोईजवाबदेही नहीं है। अतः सबसे पहले इनको विदेशोंसे चंदा लेने से रोक होनी चाहिए।

जन सुनवाई के दौरान पीयूसीएल की राजस्थानअध्यक्ष कविता सरवस्तव ने एक 18 सूत्रि माँग पत्रजैन समुदूह के सामने प्रस्ताव के तौर पर रखाजिसे उपस्थित जैन समूह ने हाथ उठाकर समर्थनदिया। इन सवालों में प्रधानमंत्री से उनकी इसविषय पर नीयत को लेकर सवाल उठाए गए है।जैन सुनवाई के अंत में बैंक व एटीएम की लाइन मेंलगकर अपनी जान गँवा चुके लोगों के लिए मौनरखकर श्रांधांजलि दी गई।

आंदोलनों के गीत लिखने और गाने वाले लोकनादसंस्था से जुड़े विनय महाजन व चरुल भरवाडा नेएक संघर्ष गीत गया जिसमें क़ानून को जो तोड़े वोक्या देश बनाएँगे जो सभी जैन समूह ने साथ-साथगाया।

जैन सुनवाई में आशिक़ सेन, भगवान दास तंवर, रमेश यादव, मुमताज़ अली, नोरती बाई, पप्पूपहलवान, डॉक्टर।सुनील शर्मा, नवल मयंक, सहित लगभग 70 लोगों ने अपनी बात राखी।

कार्यक्रम में निखिल देय, शंकर सिंह, निरंतर केसम्पादक रंपरासद कुमावत ने भी अपने विचाररखे।

error: Content is protected !!