अजमेर जिले के सलेमाबाद में स्थित निम्बार्क पीठ के आचार्य श्री श्रीजी महाराज मकर संक्रांति के दिन शनिवार को सुबह नौ बजे पार्थिव देह त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए। उनके देहावसान का समाचार मिलते ही उनके लाखों भक्तों में शोक की लहर व्याप्त हो गई।
लगता है महाराज श्री को भीष्मपितामह की तरह इच्छा मृत्यु का वरदान था। भीष्म पितामह ने भी अपनी मृत्यु के लिए सूर्य उत्तरायण में जाने वाले वक्त को ही चुना था। ऐसा वक्त भाग्यशाली आत्माओं को ही नसीब होता है।