संपन्न हुआ तेजा दरबार व पगड़ी बंधन समारोह

केकड़ी/ केकड़ी के एतिहासिक तेजा व पशु मेले का मुख्य समारोह तेजा दरबार व पगड़ी बंधन समारोह आज संपन्न हुआ। गौरतलब हैं कि समारोह में मुख्य अतिथि पद को लेकर कश्मकश का दौर चल रहा था जहां एक ओर पालिका अध्यक्ष रतन लाल नायक द्वारा पूर्व मंत्री सांवर लाल जाट को कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था वहीं अंतिम समय में सोमवार को पालिका उपाध्यक्ष द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करने से असमंझ की स्थिति पैदा हो गई थी। पालिका उपाध्यक्ष अमरी देवी चौधरी द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार समारोह में बतौर मुख्य अतिथि ब्रम्हदेव कुमावत शिरकत करने की बात लिखी थी जिससे इस बात को लेकर असमंझ की स्थिति पैदा हो गई थी कि आखिर समारोह में मुख्य अतिथि कौन होगा? मगर अंतः समारोह के मुख्य अतिथि सांवर लाल जाट ही रहे।
समारोह में राजस्थान सरकार के संसदीय सचिव ब्रम्हदेव कुमावत,पूर्व विधायक शंभूदयाल बड़गूर्जर,भाजपा के वरिष्ट नेता भंवर सिंह पलाड़ा,पूर्व प्रधान रिंकू कंवर राठौड़,ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष छोटूलाल कुमावत तथा नगर कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल चौधरी भी विशिष्ठ अतिथि के रूप में मौजूद रहे। नगरपालिका प्रशासन द्वारा सभी अतिथियों का राजस्थानी परंपरानुसार माल्यापर्ण कर साफा बंधवाकर स्वागत किया गया। इससे पूर्व सभी अतिथियों ने तेजा धाम पर मत्था टेक कर क्षेत्र में खुशहाली की कामना की। समारोह को राजस्थानी भाषा में तेजाजी के जयकारे के साथ संबोधित करते हुए पूर्व काबिना मंत्री सांवर लाल जाट ने कहा कि राजस्थान में खराबे से कास्तकारों की हालत खराब हैं जिसको देखते राजस्थान सरकार को चाहिए कि कास्तकारों को बिना भेदभाव उचित मुआवजा दिलवाया जावे। साथ ही जाट ने कहा कि जिस प्रकार आज दोनों पार्टियों के नेता एक मंच पर हैं वेसे ही हर सामाजिक कार्य में एकजुट रहना चाहिए तथा ऐसे मुद्दों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए,जाट ने वीर तेजाजी के बारे में बोलते हुए कहा कि लोग उन्हे ही याद रखते हैं जो दूसरों के लिये जीया करते हैं यही कारण हैं कि लोग वीर तेजाजी व बाबा रामदेव को पूजते हैं। वहीं इस अवसर पर संसदीय सचिव ब्रम्हदेव कुमावत ने संबोधित करते हुए कहा कि वीर तेजाजी ने एक अनूठा कार्य किया था जिसके चलते ही आज उन्हे पूरे विश्व में याद किया जाता हैं। साथ ही कुमावत ने नगरपालिका केकड़ी की तारीफ करते हुए कहा कि पालिका ने भी अनूठा कार्य किया हैं कि दोनों ही पार्टियों के नेताओं को एक मंच पर आमंत्रित किया। कुमावत ने इस अवसर पर राजस्थान सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की तारीफ करते हुए राजस्थान सरकार को जनकल्याणकारी सरकार बताया। समारोह को भंवर सिंह पलाड़ा,रिंकूकंवर राठौड़ तथा शंभू दयाल बड़गूर्जर तथा पालिका अध्यक्ष रतन लाल नायक ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर भाजपा शहर मण्डल अध्यक्ष रामनिवास तेली,महामंत्री अनिल राठी,भूपेन्द्र सिंह शक्तावत,वीरविक्रम सिंह,युवा मोर्चा अध्यक्ष सत्यनारायण चौधरी,अब्दुल सलीम गौरी,महेश बोयत,पार्षद नीरज नायक,सत्यप्रकाश वैष्णव,सुरेश सैन,उपप्रधान छोटूलाल गुजराल, प्राईवेट बस एसोसिएशन अध्यक्ष प्रेमचन्द्र चौधरी,वरिष्ठ कांग्रेस नेता रामेश्वर प्रसाद मूंदड़ा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

केकड़ी में तेजाजी थान बना आस्था का धाम,तेजा दशमी पर उमड़ा भक्तों का सैलाब
धार्मिक भावनाओं से जुड़ा लोक देवता तेजाजी का थान इन दिनों आस्था का मुकाम बन चुका है। माना जाता हैं लोक देवता तेजाजी के इस थान पर सर्प दंश के पीड़ित व्यक्ति को लाने पर उसका बिना किसी डाक्टर के इलाज संभव हो जाता हैं तथा उसके शरीर को तेजाजी विशमुक्त करके उसे एक नया जीवन प्रदान करते हैं। इसी उम्मीद व आस्था के साथ सैकड़ों लोग सर्पदंश के पिड़ित व्यक्ति को यहां लेकर आते हैं तथा तेजाजी से उसका इलाज करवा कर यहां से लौटते हैं। साथ ही अनेक रोगों से भी निजाद यहां मिलती हैं जिसके चलते ही कई-कई दिनों तक भक्त यहां आकर रहते हैं तथा स्वस्थ होने पर ही यहां से लौटते हैं। इन दिनों तेजा मेले की धूम केकड़ी शहर में हैं जिसके चलते रोजाना काफी भीड़ तेजाजी के थान पर देखने को मिल रही हैं। तेजा मेले के तहत ही तेजा दशमी पर शहर व आस पास के क्षेत्रों से हजारों लोग मन में तेजाजी की श्रद्धा के साथ यहां पहुंचते हैं तथा गुलगुले-पुवे व नारियल मिश्री का भोग तेजाजी को लगाते हैं।
वीर तेजाजी का मेला अंग्रेजों के राज से ही केकड़ी शहर में परंपरागत रूप से आयोजित किया जाता आ रहा हैं। गौवंश की रक्षा करने वाले लोक देवता तेजाजी की याद में भरने वाला यह मेला शहर में 1870 से नगर पालिका द्वारा आयोजित किया जाता हैं तथा 1951 से इसकों तेजा व पशु मेले के नाम से भी जाना जाने लगा। नगर पालिका द्वारा आयोजित इस मेले में प्रतिवर्ष कई पशुओं की खरीद फरोख्त होती हैं जिससे नगरपालिका को भी आय होती हैं। साथ ही नगरपालिका द्वारा मेले के दौरान पशुपालकों तथा शहरवासियों के मनोरंजन के लिये अनेकों सांस्कृतिक समारोह भी आयोजित किये जाते हैं परन्तु अब लोक परंपराओं पर राजनीति पूर्ण रूप से हावी हो चुकी हैं जिसके चलते ही इस वर्ष पालिका द्वारा बजट का अभाव बताकर किसी कार्यक्रम का आयोजन यहां नहीं किया गया जिससे पशुपालकों व शहरवासियों में भी मायूसी हैं। पालिका के राजनैतिक समीकरण ही कुछ ऐसे बन गये हैं कि अब लोक परंपराओ पर राजनीति हावी हो चुकी हैं।
बहरहाल यदि हम बात करें तेजा मेले के इतिहास की तो प्रचलित दंत कथा के अनुसार सुदी दशमी पर आयोजित तेजा मेला वीर तेजाजी की याद में मनाया जाता हैं,माना जाता हैं कि तेजा दशमी के दिन ही लोक देवता तेजाजी गौवंशों की रक्षा करते हुए अपने वचनों को निभाने के लिये एक सर्प नांग के डसने से शहीद हुए थे तभी से उन्हे लोक देवता के रूप में जाना जाता हैं। विशेष रूप से पशुपालक तेजाजी को अपना आराध्य देव मानते हैं।
दंत कथा के अनुसार नागौर जिले के ग्राम खरनालिया में 23 जनवरी 1074 विक्रम संवत 1130 में धोल्या जाट परिवार में जन्मे वीर तेजाजी का विवाह अजमेर जिले के पनेर गांव में हुआ था। एक दिन वीर तेजाजी घोड़े पर सवार होकर अपनी पत्नि को लिवाने ससुराल गये हुए थे उसी रात में कुछ चोरों ने गांव की कुछ गांयों व गौवंशों को चुरा लिया तथा जंगलों में ले गये। ग्रामीण एकत्रित होकर तेजाजी के पास पहुंचे तथा गायों व गोवशों की रक्षा करने की बात कही जिस पर तेजाजी तुरंत घोड़ी पर सवार होकर जंगल की ओर निकल पड़े। रास्ते में उन्हे एक सांप आग से घिरा हुआ दिखाई दिया जिसे उन्होने आग से बाहर निकाल लिया और उसे बचा लिया। सांप इससे क्रोधित हो गया और तेजाजी से बोला कि अगर में इस आग में जल कर भस्म हो जाता तो मुझे मुक्ति मिल जाती परन्तु तुमने मुझे बचा लिया अब मैं तुम्हे डंस कर की अपने क्रोध को शांत करूंगा। इस पर तेजाजी ने गांव की गायों व गौवंशों की चोरी हो जाने की पूरी बात सांप को बताई तथा गौवंश को ग्रामीणों के हवाले करने तक की मोहलत मांगी इस पर सांप ने उन्हे मोहलत दे दी। तेजाजी ने गौवंश को चोरों से छुड़ा कर गांव वालों के हवाले कर दिया। वापस गांव पहुंचने पर उनकी साली लाछा गुजरी ने उन्हे बताया कि एक बछड़ा जंगल में ही रह गया हैं जिस पर तेजाजी पुनः जंगल में गये और चोरो से मुकाबला कर उस बछड़े को भी छुडा लिया। इस दौरान तेजाजी गंभीर रूप से घायल हो गये मगर सांप को दिये वचन के मुताबिक वे गौवंशों को गांव में छोड़ कर पुनः सांप के पास पहुंच गये और कहा कि अब तुम मुझे डंस कर अपना क्रोध शांत कर लो। इस पर सांप ने कहा कि तुम्हारे शरीर का वह हिस्सा बताओ जो जख्मी ना हुआ हो मैं वहीं पर डंसुगा इस पर तेजाजी ने अपनी जीभ बाहर निकाली ओर सांप ने उन्हे वहीं डंस लिया। सांप ने तेजाजी के लोक उपकार व वचन बंधता को देखते हुए उन्हे प्रसन्न होकर वरदान दिया कि आज से तुम्हे सभी लोग लोक देवता तेजाजी के रूप में जानेगें तथा पूजेगें तभी से तेजा दशमी पर वीर तेजा जी की याद में अनेकों स्थानों पर मेले भरते आ रहे हैं।
तेजा मेले के अवसर पर क्षेत्र के लगभग सभी गांवों से अलगोजों की धूनों के साथ नाचते गाते लोग बिदोंरियों के रूप में तेजाजी के थान पर पहुंचते हैं। ऐसे में पूरा वातावरण एक अलग ही अहसास दिलाता हैं तथा साथ ही लोगों में वीर तेजाजी के प्रति आस्था व विश्वास को भी महसूस कराता हैं।
-पीयूष राठी

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