बिजली व्यवस्था फ्रेंचाइजी पर देने के लिये की जा रही टेंडर प्रक्रिया का विरोध

विजय जैन
विजय जैन
अजमेर 31 जनवरी। शहर जिला कांग्रेस ने अजमेर की बिजली व्यवस्था को फ्रेंचाइजी पर देने के लिये बार बार की जा रही टेंडर प्रक्रिया का विरोध करते हुऐ चेतावनी दी है कि विद्युत वितरण निगम के अधिकारी इस कार्यवाही को विराम दें वरना निजीकरण करने के सरकार के फैसले के विरोध में कांग्रेस फिर से जन आंदोलन करते हुऐ निजी कम्पनी को शहर मे घुसने तक नहीं देगी।
संगठन के शहर अध्यक्ष विजय जैन ने बयान जारी कर कहा कि विद्युत व्यवस्था के निजीकरण का पूर्व इतिहास यह साबित करता है कि जहाॅं जहाॅं भी विद्युतिकरण का निजीकरण हुआ है वहाॅं बिजली व्यवस्था बदहाल हुई है तथा जनाक्रोष अपने चरम पर पहंुचा है। इसके सबसे बेहतरीन उदाहरणो में दिल्ली व उज्जैन में किया गया निजीकरण उल्लेखनिय है जहाॅं यह व्यवस्था पूर्णतया फेल हो चुकी है।
जैन ने निजीकरण का विरोध करते हुऐ कहा कि अजमेर धार्मिक तीर्थ स्थलीय के रूप में विष्व विख्यात है, यहाॅं पुष्कर मेले और उर्स मेल का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन होता है जिसमें निर्बाध विद्युत आपूर्ति बनाये रखना अति आवष्यक होता है जिसके अभाव में भगदड़ जैसे बड़े हादसे होना भी संभावित होते है। इस परिपेक्ष्य से भी अजमेर को निजी हाथों में सौंपना किसी भावी मानवीय आपदा को निमन्त्रण देने जैसा सिद्ध होगा।
उन्होने कहा कि यदि ठेका प्रथा शुरू ही करनी है तो पहले ऐसे शहरों में की जाए, जहां बिजली चोरी या छीजत सबसे अधिक है। नियम भी ऐसे हों कि कम्पनी पहले व्यवस्था सुधारे फिर नियमानुसार वसूली करे। जनता और जनप्रतिनिधियों से राय भी ली जाए। उन्होने कहा कि टेंडर की तय शर्तों के मुताबिक जो भी कंपनी अजमेर शहर की बिजली व्यवस्था अपने हाथों में लेगी, उसे अपने तमाम खर्चे निकालने के बाद अजमेर डिस्कॉम को 4.75 पैसे प्रति यूनिट के मुताबिक चुकाने होंगे। जबकि मौजूदा समय में जो भी बिजली की दर होगी, उससे होने वाली बिलिंग की राशि कंपनी की होगी।
हालांकि सरकार के बिजली व्यवस्था को ठेके पर देने के सरकार के इस प्रस्ताव पर शहर कांग्रेस पूर्व मे ही कड़ा विरोध जता चुकी हैं। फिर ऐसी क्या मजबूरी है ? इससे छीजत, चोरी व घाटा कम हो जाएगा ? क्या ठेकेदार के लोग रिकवरी एजेंटों की तरह काम नहीं करेंगे ? क्या बिना व्यवस्था सुधारे बिलों की जबरन वसूली नहीं होगी ?
जैन ने कहा कि गत 20 महीनों में प्रदेश में बिजली की चोरी व छीजत के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है जो प्रदेश की भाजपा सरकार की विफलता के साथ ही उसके अधीन काम करने वाली डिस्कॉम कम्पनी की नाकामी को बया करती है। उन्होने कहा कि छीजत और चोरी के साथ ही प्रशासनिक अपव्ययता मुख्य रूप से विद्युत कम्पनियों की खस्ता हालत के लिए जिम्मेदार है परन्तु सरकार इन सबको नजरअंदाज कर विद्युत व्यवस्था के निजीकरण की प्रक्रिया को शुरू कर रही है उन्होंने कहा कि यह बड़ा प्रश्न है कि कोई भी निजी भागीदार मुनाफा कमाए बिना क्यों किसी सरकारी व्यवस्था के संचालन का काम करेगा इससे साफ प्रतीत होता है कि सरकार प्राईवेट पार्टनर को चोरी और छीजत के पेटे हो रहे नुकसान की भरपाई करने के लिए जनता को लूटने की खुली छूट देना चाहती है। कांग्रेस शुरू से मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी हुई सेवाओं के निजीकरण के खिलाफ है क्योंकि यह सरकार का दायित्व है कि मूलभूत सेवाएं न्यूनतम दरों पर निर्बाध रूप से जनता को मिलती रहे।
कांग्रेस अध्यक्ष ने विद्युत वितरण निगम के आला अधिकारियों को खुली चेतावनी देते हुऐ कहा कि निगम निजीकरण के मामले मे की जा रही टेंडर प्रक्रिया को तुरंत विराम दें अन्यथा कांग्रेस जनता से जुड़ी जन उपयोगी मूलभूत सेवा के लिये पुनः जन आंदोलन पर उतरने पर मजबूर होगी जो बेहद आक्रामक होगा।

error: Content is protected !!