आवेदन पत्र भरने की अंतिम तिथी 25 फरवरी 2017
पी.टी.ई.टी. एवं 4 वर्षीय बी.ए. बी.एड./बी.एससी. बी.एड. प्रवेश पूर्व परीक्षा के आवेदन पत्र दिनांक 21 जनवरी 2017 से भरना प्रारंभ हो गये हैं। आवेदन पत्र ऑनलाईन माध्यम से वैबसाईट ptet2017.com तथा ptet2017.net से भरे जा रहे हैं।
4 वर्षीय इन्टीग्रेटेड बी.ए. बी.एड./बीएससी. बीएड प्रवेश पूर्व परीक्षा
पिछले वर्ष से राजस्थान सरकार द्वारा 4 वर्षीय इन्टीग्रेटेड बी.ए. बी.एड./ बी.एससी. बीएड. पाठ्यक्रम भी व्यापक स्तर पर प्रारंभ किये गये हैं इस हेतु गत वर्ष तक 1700 सीटें उपलब्ध थी । इस वर्ष ऐसे महाविद्यालयों की संख्या में लगभग 150 महाविद्यालयों को और मान्यता मिलने की संभावना है इस हेतु लगभग 150 महाविद्यालयों द्वारा इस कोर्स की मान्यता लेने हेतु राजस्थान सरकार को आवेदन कर रखा है।
सीनियर सैकण्डरी परीक्षा में सम्मिलित हो रहे तथा सीनियर सैकण्डरी उत्तीर्ण अभ्यर्थी उक्त पाठ्यक्रम हेतु पात्रता रखते हैं। जो अभ्यर्थी शिक्षा के क्षेत्र में अपना केरियर बनाना चाहते हैं उन अभ्यर्थियों को सीनियर सैकण्डरी स्तर पर मात्र बी.एस.टी.सी. कोर्स ही एक विकल्प था किन्तु बी.ए.बी.एड./बी.एससी. बीएड. कोर्स प्रारंभ होने से ऐसे अभ्यर्थी सीनियर सैकण्डरी के पश्चात् मात्र 4 वर्षों में स्नातक के साथ ही शिक्षा की उपाधि भी प्राप्त कर सकेंगे।
यह पाठ्यक्रम भी रोजगार की दृष्टि से इतना महत्वपूर्ण है क्योंकि इस पाठ्यक्रम में अभ्यर्थियों को सीनियर सैकण्डरी के पश्चात् ही प्रवेश दिया जाता है। तथा अभ्यर्थी अपनी स्नातक उपाधि के साथ-साथ ही शिक्षक प्रशिक्षण की उपाधि भी प्राप्त कर लेता है तथा शिक्षक बनने की पात्रता पूर्ण कर लेता है।
बी.ए. बी.एड./बी.एससी. बी.एड. पाठ्यक्रम इसलिये भी उपयोगी है क्योंकि जो अभ्यर्थी सीनियर सैकण्डरी के बाद बी.एस.टी.सी. पाठ्यक्रम हेतु प्रवेश परीक्षा देते थे वे अभ्यर्थी भी अब इस पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकेंगे। प्रदेश में बी.एस.टी.सी. पाठ्यक्रम हेतु सीमित महाविद्यालय ही उपलब्ध हैं। जबकि इस 4 वर्षीय इन्टीग्रेटेड पाठ्यक्रम के प्रारंभ होने से सीनियर सैकण्डरी अभ्यर्थियों को शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के और अधिक अवसर प्राप्त हो सकेंगे।
बी.ए. बी.एड./ बी.एस.सी बी.एड. पाठ्यक्रम की महत्ता इस कारण भी बढ़ जाती है कि अभ्यर्थियों को उनके द्वारा सीनियर सैकण्डरी स्तर तक अध्ययन किये गये विषयों में ही स्नातक के साथ शिक्षक प्रशिक्षण का ज्ञान एवं अनुभव मात्र 4 वर्ष में प्राप्त हो जाता है जो कि अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी सहायक होगा।
प्रो. सारस्वत ने बताया कि इस वर्ष लगभग 150 और महाविद्यालयों को इस पाठ्यक्रम हेतु एन.सी.टी.ई. तथा राज्य सरकार द्वारा मान्यता मिलने की संभावना है। जबकि पिछले वर्ष तक मात्र 18 महाविद्यालयों में लगभग 1800 स्थान ही उपलब्ध थे।
बी.एड. करने वाले अभ्यर्थियों के लिये यह सुनहरा अवसर है कि राजस्थान सरकार द्वारा ऐसे इन्टीग्रेटेड पाठ्यक्रमों पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे पाठ्यक्रमों से अभ्यर्थियों को कम समय में रोजगार के अच्छे अवसर उपलब्ध हो सकेंगे तथा वे शिक्षक भर्ती हेतु वांछित योग्यता सीनियर सैकण्डरी के पश्चात् मात्र 4 वर्षों में ही अर्जित कर सकेंगे।
प्रो. बी.पी. सारस्वत ने बताया कि वर्तमान में शिक्षा की उपाधिधारकों हेतु रोजगार के सबसे अधिक अवसर उपलब्ध हैं। शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थी राजस्थान सरकार की सेवा के अतिरिक्त निजि शिक्षण संस्थानों में भी शिक्षक हेतु पात्र होते हैं। तथा शिक्षकों के हजारों पद राजकीय विद्यालयों में रिक्त हैं जिनकी भर्ती हेतु राज्य सरकार रिक्त पदों हेतु समय-समय पर रिक्त पद विज्ञापित करती रहती है।
परीक्षा शुल्क जमा करवाने हेतु केन्द्र सरकार की कैशलेस योजना को प्रोत्साहित करने हेतु इस वर्ष विश्वविद्यालय द्वारा अभ्यर्थियों के परीक्षा शुल्क को ऑनलाईन एकत्रित करने की भी व्यवस्था की गई है। इसमें अभ्यर्थी किसी भी बैंक के ए.टी.एम., डेबिट कार्ड/ क्रेडिट कार्ड अथवा नैट बैंकिंग के माध्यम से अपने परीक्षा शुल्क का भुगतान कर सकेंगे। उन्हें नकद परीक्षा शुल्क जमा करवाना अनिवार्य नहीं होगा। साथ ही अभ्यर्थियों यदि नकद परीक्षा शुल्क का भुगतान करना चाहें तो वे ई-मित्र के माध्यम से भी अपने परीक्षा शुल्क का भुगतान कर सकते हैं।
प्रो. सारस्वत ने बताया कि पी.टी.ई.टी. तथा बी.ए.बी.एड./बी.एससी. बीएड. परीक्षाआयें हेतु परीक्षा शुल्क मात्र 500/- रखा गया है। अभ्यर्थियों को आवेदन पत्र भरने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो इस हेतु हैल्पलाईन व्यवस्था चालू की गई है जिसमें अभ्यर्थी निम्नलिखित नम्बरों पर दूरभाष द्वारा अथवा ई-मेल आई.डी. [email protected] पर अपनी समस्याओं के समाधान प्राप्त कर सकते हैं। अथवा कार्यालय के दूरभाष सं. 2787083 एवं हैल्पलाईन सं. 7340610702 पर फोन करके भी अपनी समस्याओं का निराकरण कर सकते हैं।
प्रो. बी.पी. सारस्वत
समन्वयक