काश सिब्बल खाद्य मन्त्री होते!

आज जब दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने अपने मन की पीढ़ा व्यक्त की कि काश टेलीफोन और मोबाइल पर मुत बात होती। उनको बहुत दुःख हो रहा था कि आखिर बात करने के पैसे क्यों देने पड़ते हैं। उन्होंने इस बात को दुर्भाग्य बताया कि हमें आज भी बातचीत के लिए पैसा देना पड़ता है। साथ ही उन्होंने ऑपरेटरों को यह सलाह भी दे डाली कि वे मुत बातचीत की दिशा में सोचना शुरू कर दें।
मुझे आज लगा कि काश कपिल सिब्बल देश के खाद्य मन्त्री होते। जब वे भारतीय खाद्य निगम के गोदामों का निरीक्षण करते तो देखते कि करोड़ों टन अनाज सड़ रहा है और देश में 80 करोड़ लोग भूखे बैठे हैं तो शायद उनको लगता कि इतना अनाज होने पर भी लोगों को अनाज खरीदने के पैसे देने पड़ रहे हैं और गरीब तो भूख से मर रहा है।
पर शायद नहीं वो खाद्य मंत्री होते तो ऐसा नहीं सोच पाते क्योंकि इस देश में बात करना तो मुत हो सकता है पर खाना उतना महंगा होता रहेगा कि एक बार आम तो क्या खास व्यक्ति भी खाने के बारे में सोचने को मजबूर हो जाए। इस देश में रोटी तो 10 रूपये की बिक सकती है परंतु कॉल दर अभी भी पैसों में ही चलती है।
वाह रे मेरे देश और इसको चलाने वाले नेता, गरीब का भूखा पेट देख कर हमारे देश के नेता दुर्भाग्य नहीं समझते जबकि बात करने के पैसे लगने पर उनको देश का दुर्भाग्य दिखाई देता है।
-स्वतंत्र शर्मा
जिला महामंत्री
पतंजलि योग समिति अजमेर

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