निशुल्क शिक्षा प्रदान करने का दावा दिखावा

विजय जैन
विजय जैन
अजमेर 19 अप्रेल। शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार और षिक्षामंत्री के शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत चैदह वर्ष की आयु के सभी बच्चों को अनिवार्य व निशुल्क शिक्षा प्रदान करने का दावा सरकार के उस आदेष से दिखावा साबित हो रहा है जिसमे छात्र के अभिभावकों की आय सालाना एक लाख रुपए से कम हो। पहले यह आय सीमा ढाई लाख रुपए तक थी।
शहर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष विजय जैन ने सरकार पर षिक्षा का वर्गीकरण करने का आरोप लगाते हुऐ कहा कि सरकार की मंषा षिक्षा के अधिकार को लागू करने की नही अपितु दिखावा करने की है इस लिये नऐ नियमों में 400 रूपये प्रतिदिन कमाने वाले दिहाड़ी मजदूर के बच्चों को बड़े व अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों मे षिक्षा पाने से वंचित किया गया है। ऐसे में आरटीई के तहत एडमिशन की चाह रखने वाले गरीब व वंचितवर्ग को निराशा होगी।
उन्होने आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा आर.टी.ई. की नई जारी की गई अधिसूचना के अंतर्गत लॉटरी से निःशुल्क प्रवेश प्रक्रिया जारी की जाएगी। नवीन नियमों के तहत कमजोर आय वर्ग के अंतर्गत ऐसे अभिभावक जिनकी वार्षिक आय 1 लाख रुपये या इससे कम है, उनके बच्चों के निःशुल्क प्रवेश के लिए अधिसूचित किया गया है। इससे पहले इस श्रेणी में अभिभावकों की वार्षिक आय 2.5 लाख या इससे कम निर्धारित थी।
जैन ने कहा कि राज्य सरकार और षिक्षा विभाग के नऐ नियमों के तहत आरटीई की प्रवेश प्रक्रिया में अब शिक्षा के अधिकार कानून के तहत केवल वे ही बच्चे प्रवेश ले सकेंगे, जिनके अभिभावकों की आय सालाना एक लाख रुपए से कम होगी। उन्होने आरोप लगाया कि सरकार का यह निर्णय मूलतः उस गरीब वर्ग के लिये निराषा भरा है जो अपने गरीब परिवार के पालन पोषण के लिये महनत मजदूरी करके चार से पांच सौ रूपये कमाता है और अपने बच्चों को अच्छे स्कूल मे पढ़ने की ख्वाहिष रखता है सरकार ने उस गरीब से षिक्षा पाने का मूल अधिकार छीन लिया है। जबकि निजी विद्यालय को अपने विद्यालय की एन्ट्री लेवल कक्षा में उस कक्षा में प्रविष्ट कुल बालकों की संख्या के 25 प्रतिशत की सीमा तक के सभी ‘कमजोर वर्ग‘ एवं ‘असुविधाग्रस्त समूह‘ के बालकों को निःशुल्क प्रारम्भिक शिक्षा हेतु प्रवेश दिए जाने का प्रावधान है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने नियमों का हवाले देते हुऐ कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षा से वंचित बच्चा हो तो उसका तत्काल स्कूल में नामांकन करने का प्रावधान है। वही ईंट-भठठा, थड़ी-ठैलों, होटलों आदि पर काम करने वाले मजदूर वर्ग के लोगों के बच्चों को नजदीकी स्कूल में स्थानांतरित करने तथा उन्हे निषुल्क षिक्षा मुहैया कराने के साथ-साथ स्कूल से कार्यस्थल की दूरी अधिक होने पर बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा वाहन सुविधा का प्रबंध करने का भी प्रावधान है। मगर सरकार ने वंचितवर्ग को ही षिक्षा से वंचित करने का तुगलकी फरमान जारी किया है।
उन्होने सरकार से मांग की कि षिक्षा विभाग अपने निर्णय पर पुर्नविचार कर आरटीई के लिये वंचित वर्ग को षिक्षा दिलाने के लिये अपने पूर्वति निर्णय जिसमे अभिभावकों की वार्षिक आय 2.5 लाख थी को बहाल कर उस वर्ग को राहत देने काम करे जो इस सुविधा के लिये पत्रता रखता है। इसके अलावा उन विद्यार्थियों को प्रथ्मिकता दी जाऐ जो असुविधाग्रस्त समूह के अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अनाथ, एचआईवी अथवा कैंसर से प्रभावित माता-पिता या संरक्षक के बच्चों, युद्ध विधवा के बालक तथा निशक्त बालक जो कि समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण सहभागिता अधिनियम, 1995 की परिभाषा में सम्मिलित हो।
विजय जैन

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