मदस विवि में मनाया अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस

_MG_0484मई 22। अजमेर। मदसविवि के पर्यावरण विज्ञान विभाग में अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की शुरूआत विश्वविद्यालय कुलगीत तथा माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन व माल्यार्पण के साथ हुई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. गंगाराम जाखड़, पूर्व कुलपति, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय,बीकानेर व कुलपति महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर प्रो. कैलाश सोडाणी ने अध्यक्षता की।
विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण माथुर ने सभी आगन्तुकों का अभिनन्दन किया व जैव विविधता की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आज का दिन धरती पर रह रहे सभी पशु पक्षियों, जीव जन्तुओं और पेड़ पौधों की प्रजातियों के संरक्षण का संकल्प दिन है। उन्होंने जैव विविधता को मानव जीवन का आधार व अभिन्न अंग बताया। उन्होंने पशु-पक्षियों, पेड़ पौधों से मानव संबंध की बात बताई और विशेषतः भारतीय संस्कृति में जैव विविधता के संरक्षण पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि जैव विविधता के बिना पृथ्वी पर मानव जीवन असंभव है। ये हमें भोजन, कपड़ा, दवाईयां, लकड़ी, ईंधन व चारा आदि की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है। पृथ्वी पर जैव विविधता लगभग 400वर्षों के विकास की देन है। इसके निरन्तर ह्रास से मनुष्य जाति के अस्तित्व को खतरा हो गया है। विशेषतः विकासशील देशों के लिए यह एक गंभीर विषय है। विश्व में एशिया, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका तथा अफ्रीका जैव विविधता सम्पन्न देश हैं। परन्तु विड़म्बना है कि अशिक्षा, गरीबी, वैज्ञानिक विकास का अभाव, जनसंख्या विस्फोट व पर्यावरण के प्रति असंवेदना के कारण यहाँ जैवविविधता पर ध्यान नहीं दिया जाता। जैव विविधता के नष्ट होने के प्रमुख कारण मानव द्वारा संसाधनों का अत्यधिक दोहन, आवास स्थलों का विनाश, जन्तुओं का शिकार, चिडियाघर एवं शोध के लिए विभिन्न प्रजातियों का उपयोग, बीमारियों और बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण है।
भारत का चिक्र करते हुए कहा कि हमारा देश जैव विविधता सम्पन्न देश है। भारत दुनिया के 12 विराट जैवविविधता देशों की गिनती में शुमार है।
जैव विविधता स्थल पूर्वी हिमालय और पश्चिमी घाट है। संयुक्त राष्ट्र ने इस वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय जेव विविधता की थीम जैव विविधता तथा व संधारणीय पर्यटन’’ रखा है। इससे हम पर्यटन को बढ़ावा दे सकते हैं और देश के आर्थिक मजबूती भी प्रदान कर सकते हैं। अतः सभी को जैवविविधता संरखण के सलिए सम्मिलित प्रयास करने होंगे ताकि आने वाली पीढ़ियों का भविश्य सुरक्षित किया जा सके।
मुख्य अतिथि प्रो. गंगाराम जाखड़ ने कहा कि हमारे चारों ओर की वनस्पति और जीव जन्तु लगातार हमारे सम्पर्क में बने रहते हैं परनतु यह हमारी असंवेदनशीलता व अनभिाता है कि हम उनकी और ध्यान नहीं देते। उन्होंने कहा कि विकास और जैवविविधता कभी साथ नहीं चल सकते। विकास की कीमत हमें जैव विविधता ह्रास के रूप में जंरूर चुकानी पड़ेगी। विलुप्त होती प्रजातियों को बचाने के प्रयास करने होंगे। महत्वपूर्ण है वन्य जीवों के आवास स्थल बचे रहें। आधुनिक कृषि, कारखानों, नवीन जीवन पद्धिती को बदलने की जरूरत है ताकि वन्यजीव उनका प्राकृतिक व सहज जीवन जी सके और मनुष्य व उनके बीच मित्रवत व्यवहार बना रहे।
सच्चे मायनों में जैवविविधता दिवस मनाने का अर्थ साकार होगा। राजस्थान का चिक्र करते हुए कहा कि यह राज्य बहुमूल्य जैवविविधता का धनी हैं। चुरू व बीकानेर क्षेत्र में विशेष जैवविविधता पाई जाती है, मुख्य रूप से मरूस्थलीय बिल्ली व मरूस्थलीय लोमड़ी/परन्तु उनकी संख्या बहुत कम रह गई है जिसे विशेष प्रयास कर बचाने की जरूरत है। उन्होंने पश्चिमी राजस्थान में बढ़ते सोलर ऊर्जा व पवन ऊर्जा क्षेत्र पर गहरी चिंता व्यक्त की, कि ये सभी वन्य जीवों के लिए खतरा है। अंत में उन्होंने विभागाध्यक्ष व अन्य का धन्यवाद ज्ञापित किया।
प्रो कैलाश सोडाणी, कुलपति म.द.स.वि.वि. अपने अध्यक्षीय उद्बोधन पया्रवरण विज्ञान विभाग को धन्यवाद दिया जिन्होंने पर्यावरण जागरूकता के लिए सभी कार्यक्रमों का आयोजन किया और आमजन तक इस संदेश को पहुँचाने का काम किया। उन्होंने पर्यटन का सीधा सम्बंध जैव विविधता से बताया। अतः इसे बचाने का प्रयास किया जाना चाहिए ताकि पर्यटन को भी बढ़ाया जा सके और आर्थिक मजबूती देश को मिल सके। देश के विभिन्न जैवविविधता बाहुल्य क्षेत्रों का जिक्र करते हुए कहा कि इस समृद्ध भंडार को संजोये रखना हम सब की जिम्मेदारी है उन्होंने आनासागर झील प्रवासी पक्षियों के सम्बन्ध में भी चर्चा की। उन्होंने दक्षिण अफ्रिका व भारत के जिम कार्बेट नेशनल पार्क का जिक्र भी किया जहां अतुल्य जैवविविधता का भंडार है। अतः हम सब का दायित्व है कि इसे भविश्य के लिए संरक्षित करें। उन्होंने विश्वविद्यालय में भी कुछ वन क्षेत्र बनाकर विशेष जेवविविधता जोन बनाने की योजना बताई ताकि प्रकृति व मानव में संतुलित व्यवहार रहे।
विभाग के ही प्रो. सुब्रतो दत्त ने सभी का धन्यवाद किया। इस अवसर पर प्रो. ऋतु माथुर, डॉ. विजय मीणा, डॉ. अश्विनी कुमार, डॉ. रूचिरा भारद्वाज, संगीता पाटन, पारूल सेन, फिरोज़ खान, नरेश चौधरी, शुभ्रा सिंह, नेहा शर्मा आदि मौजूद थे।

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