दिव्यांगों के जीवन में लाए बदलाव- डाॅ. समित शर्मा

samit sharmaअजमेर, 04 जून। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक एवं विशिष्ट शासन सचिव डाॅ. समित शर्मा की अध्यक्षता में रविवार को कलेक्ट्रेट सभागार में पं. दीनदयाल उपाध्याय विेशेष योग्यजन शिविर-2017 के संदर्भ में आयोजित बैठक में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि दिव्यांगों की प्रारम्भिक अवस्था में पहचान कर सहयोग करने से उनके जीवन में बदलाव लाया जा सकता है। जिला कलक्टर श्री गौरव गोयल ने बैठक में दिव्यांगो से जुड़े मुद्दो पर डाॅ. शर्मा के साथ चर्चा की।
डाॅ. शर्मा ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय विशेष योग्यजन शिविर 2017 के अन्तर्गत जिले के समस्त दिव्यांगों का चिन्हिकरण किया जाकर पंजीयन किया जाएगा। उपयुक्त दिव्यांगों को प्रमाण पत्रा जारी किए जाएंगे। दिव्यांगों को आवश्कतानुसार कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण वितरित किए जाएंगे। इन शिविरों में दिव्यंागों के यूनिक डिसेबीलिटी आईडी कार्ड जारी किए जाएंगे। रोडवेज की बसों में यात्रा करने वाले दिव्यांगों के लिए पास उपलब्ध करवाए जाएंगे। दिव्यांगों को स्वरोजगार एवं अन्य आवश्यकताओं के लिए नियमानुसार ऋण भी दिए जाएंगे। पात्रा विद्यार्थियों को पालनहार योजना से जोड़ने का कार्य भी शिविरों में किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि जिले में लगभग 78 हजार दिव्यांग 2011 की जनगणना के अनुसार होने चाहिए। राज्य में लगभग 15 लाख दिव्यांग अनुमानित है। इनमे से लगभग 4 लाख सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना से जुड़े हुए है। पं.दीनदयाल उपाध्याय विशेष योग्यजन शिविर 2017 के अन्तर्गत विभिन्न योजनाओं से वंचित दिव्यांगों का चिन्हिकरण कर उन्हें लाभान्वित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि दिव्यांगजन अधिकार अनिनियम 2016 के अन्तर्गत 21 प्रकार की श्रेणियां निर्धारित की गई है। इन समस्त श्रेणियों के दिव्यांगों को शिविरों के दौरान लाभान्वित किया जाएगा। इसके लिए दिव्यांग को ई-मित्रा केन्द्र अथवा अपने मोबाइल द्वारा आॅनलाइन पंजीयन कराना होगा। पंजीकृत दिव्यांगों को शिविर लगाकर लाभान्वित किया जाएगा।
ये है दिव्यांगों की 21 श्रेणियां
– मानसिक मंदता से ग्रसित व्यक्ति को समझने, बोलने एवं अभिव्यक्त करने में कठिनाई अनुभव होती है।
-आॅटिज्म से ग्रसित व्यक्ति को किसी कार्य में ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई होती है। वह आंखे मिलाकर बात करने से कतराता है और गुमसुम रहना पसंद करता है।
-सेरेब्रल पाल्सी के मरीज को पैरों में जकड़न, चलने में कठिनाई तथा हाथ से काम करने में परेशाननी होती है।
– मानसिक रोगी अस्वाभाविक व्यवहार दर्शाता है। वह खुद से बाते करता रहता है। मतिभ्रम का शिकार होने से अलग ही दुनिया और ख्यालों में खोया रहता है। भ्रमजाल की स्थिति में रहता है। इस प्रकार के व्यक्ति व्यसन एवं नशे के आदि होते है। इन्हें हमेशा किसी का डर एवं भय सताता है और ये गुमसुम रहते है।
– श्रवण बाधित व्यक्ति बहरेपन का शिकार होता है उसे ऊंचा अथवा कम सुनाई देता है।
– मूक निःशक्त व्यक्ति को बोलने में कठिनाई होती है। वह सामान्य बोली से अलग बोलता है। जिसे अन्य व्यक्ति समझने में असमर्थ होते है।
– दृष्टि बाधित व्यक्ति को देखने में कठिनाई होती है और वह पूर्ण दृष्टिहीन होता है।
– अल्प दृष्टि वाले व्यक्ति को कम दिखाई देता है। वह 60 वर्ष से कम आयु की स्थिति में रंगों की पहचान नही कर पाता है।
– चलन निःशक्त व्यक्ति किसी कारण से हाथ या पैर अथवा दोनो से निःशक्त हो जाता है।
– कुष्ठ रोग से मुक्त व्यक्ति के हाथ या पैर अथवा अंगुलियों में विकृति एवं टेढ़ापन आ जाता है। शरीर की त्वचा पर रंगहीन धब्बे बन जाते है। हाथ पैर, अंगुलियां सुन्न होने लगती है।
– बौनापन से ग्रसित वयस्क व्यक्ति का कद 4 फुट 10 इंच ( 147 सेमी) या इससे कम रह जाता है।
– तेजाब हमला पीड़ित व्यक्ति की श्रेणी में शरीर के अंग तेजाब हमले की वजह से प्रभावित व्यक्ति को शामिल किया गया है।
– मांसपेशियों में कमजोरी एवं विकृति को मांसपेशी दुर्विकार श्रेणी में शामिल किया गया है।
– स्पेसिफिक लर्निंग डिसऐबिलिटी से ग्रसित व्यक्ति को बोलने, श्रुत लेख, लेखन, साधारण जोड, बाकी, गुणा, भाग, आकार, भार एवं दूरी आदि को समझने में कठिनाई अनुभव होती है।
– बौद्धिक निःशक्त व्यक्ति को सीखने, समस्या समाधान, तार्किकता, रोजमर्रा के कार्र्याें एवं सामान्य सामाजिक अनुकूलन में कठिनाई आती है।
– मल्टीपल स्कलेरोसिस में दिमाग एवं रीढ़ की हड्डी के समन्वय में परेशानी आती है।
– पार्किसंस रोगी के हाथ, पांव एवं मांसपेशियों में जकड़न रहती है और तंत्रिका तंत्रा प्रणाली संबंधी कठिनाई होती है।
– हीमोफीलिया अथवा अधि रक्तस्त्राव के मरीज को चोट लगने पर अत्यधिक रक्त स्त्राव होता है जो कि बहना बंद नहीं होता है।
– थैलेसीमिया से ग्रसित व्यक्ति के खून में हीमोग्लोबीन की विकृति होती है। खून की मात्रा कम हो जाती है।
– सिकल सैल बीमारी में खून की अत्यधिक कमी से शरीर के अंग खराब होने लगते है।
– बहु निःशक्तता में दो या दो से अधिक निःशक्तता पायी जाती है।
उन्होंने कहा कि ये विशेष योग्यजन शिविर तीन चरणों में सम्पादित किए जाएंगे। एक जून से 24 सितम्बर तक दिव्यांगों को चिन्हिकरण एवं पंजीयन करवाया जाएगा। यह कार्य ई-मित्रा, अटल सेवा केन्द्र के साथ-साथ पोर्टल पर सीधे ही किया जा सकेगा। द्वितीय चरण के अन्तर्गत 25 सितम्बर से 12 दिसम्बर तक विधानसभा स्तर पर कैम्प आयोजित कर दिव्यांग व्यक्तियों का प्रमाणिकरण किया जाएगा। तृतीय चरण 13 दिसम्बर से आरम्भ होकर 31 मार्च 2018 तक चलेगा। इसमें जिला स्तर पर कैम्प आयोजित कर कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण वितरित किए जाएंगे।
जिला कलक्टर श्री गौरव गोयल ने कहा कि दिव्यांगों को उनके नजदीकी क्षेत्रा में ही अधिकतम सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास किया जाएगा। शिविरों में प्रतिदिन की मांग के अनुसार अंग उपकरणों के लिए भारत सरकार के संस्थान एलएमको से अंग उपकरण प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा। जिले के समस्त 21 श्रेणियों के दिव्यांगों को लाभान्वित किया जाएगा। इसके लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों, गैर सरकारी संगठनों एवं समस्त राजकीय विभागों का सहयोग लिया जाएगा।
इस अवसर पर अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री किशोर कुमार, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उप निदेशक श्री संजय सावलानी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. के.के.सोनी, अपना अजमेर संस्था के श्री कंवल प्रकाश किशनानी सहित विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

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