अजमेर। 8 जुलाई 2017 षनिवार। पवित्र सावन माह में धर्म एवं अध्यात्म की नगरी अजमेर में पहली बार द्वाकाधिष अवतार बाबा श्री रामदेव कथा का भव्य-दिव्य संगीतमय कथा का आयोजन विष्वषान्ति एवं जन हितार्थ किया जा रहा है। संस्था के महेन्द्र मारू ने बताया की कथा मर्मज्ञ रामदेवरा के संत स्वामी श्री मूल योगीराज ’’अपनी अमृतमयी वाणी में कथा का रस्सवादन करवायेगें साथ ही साध्वी षषि जी गौतम अपनी समधूर वाणी में सूरदास मीराबाइ्र, कबीर दास जी, नानकदेव, भगवान महावीर के मधुर भजनों से अजमेर की धर्म प्रेमी जनता को सारोबार करेगी। कथा अजमेर के आजाद पार्क में प्रतिदिन दोपहर 3ः00 बजे से सायं 7ः00 बजे तक प्रतिदिन आयोजित की जायेगी जिसके लिये भव्य वाटरपू्रफ पंडाल बनाया जा रहा है। उपरोक्त कार्यक्रम के कुषल संचालन के लिये श्री कालीचरण दास खण्डेलवाल, हनुमान प्रसाद कच्छावा, ओमप्रकाष मंगल, पवन ढिल्लीवाल, पवन मिश्रा, उमेष गर्ग, पूनम मारोठिया, आनन्द प्रकाष अरोड़ा, श्रीमती भारती श्रीवास्तव, विनीत कृष्ण पारीक, त्रिलोकचन्द इन्दौरा, सुनील भाटी, अमरचंद भाटी, सत्यनारायण भंसाली, पार्षद कुन्दन वैष्णव, पार्षद धर्मेन्द्र शर्मा, अरविन्द बागड़ी, घनष्याम सैनी सहित अनेक श्रद्धालुओं की स्वागत समिति बनाई गई है। पार्षद कुन्दन वैष्णव अपनी विषेष सेवायें कार्यक्रम में दे रहे हैं।
श्री मूल योगीराज आश्रम का परिचय – राजस्थान के विख्यात स्थानों में एक ग्राम रामदेवरा, जो जिला जैसलमेर तहसील पोकरण के पास है, इन्हीं रामदेवरा को कुछ लोग रणुजा-रुणिचा भी कहते हैं। यहां 14 वीं शताब्दी के अच्छूतोउद्धारक, अंध विष्वासों के खण्डनकर्ता बाबा श्री रामदेवजी का समाधी स्थल है। अलौकिक चमत्कारों के कारण भक्तों की इनमें अटूट आस्था है। यहां आये यात्रियों की असुविधा को देखते हुवे श्रीमूलयोगीराजजी ने विश्राम भवन की नीव रखी, और इ.स.ब.र.क.त. नाम दिया, जो आगे चलकर सहायक जनों के आग्रह से श्री मूलयोगीराज आश्रम में विलीन कर लिया।
संस्था परिचय – हमारा ऐसा देष है यहाँ अनेकों अवतारों देवषक्तियों की कथाऐं वर्णित हैं। इन कथाओं के कथा प्रवक्ता भी एक से एक विख्यात है। बाबा श्रीरामदेव जो लोग देवता के नाम से भी करोड़ों लोगों के आराध्य देव पूजनीय है। इनको इस्लामी भाई रामदेव पीर नाम से भी मानते हैं। इनकी कथा करने वालों में एक ही प्रवक्ता का विषेष नाम जाना जाता है और वो है श्री मूलयोगीराज जो लगातार 14 दिन बाबाश्री रामदेव की कथा शास्त्रोक्त प्रमाण सहित करना, संपूर्ण भारत में प्रमाण सहित 1492 कथाएं जो तीन, पांच, सात, नौ, ग्यारह, चवधा दिन की कर चुके हैं और 1 कुंडी से 251 कुंडीय कुल 103 बाबा श्रीरामदेव महायज्ञ करने वालों में अब तक सारे भारत में किसी दूसरे का नाम नहीं है। उन प्रांतों में भी ऐसे आयोजन करना जहाँ अपने प्रांतीय भाषा के अतिरिक्त कोई भाषा जानते ही नहीं है। महाराजश्री ने हिन्दी के दुभाषिये को बिठाकर ऐसे आयोजन किये हैं। आपके मुख से अब तक लाखों लोगों ने कथा लाभ लिया है। आपके द्वारा बाबाश्री रामदेव यज्ञायोजन में बैठकर सैंकड़ों लोगों ने अपनी कामना पूर्ण चमत्कार देखे हैं। अनेक धर्म ग्रंथ महाभारत, गीता, रामचरित मानस अनेक लोक वाणी जनश्रुति श्रवण एवम् पठन करके आपने बाबा श्रीरामदेव रामायण सचित्र हिन्दी में रचना की, बाबा के निज समाधी दरबार में कथा करके आषीर्वाद भी लिया।
प्रभू श्रीरामदेव कथा प्रवचन अंष – भगवान द्वारकाधीष ने ही श्री रामदेव रूप से चैदवीं शताब्दी में मरूधरा (राजस्थान) में अवतार लिया। जिसके पीछे एक ही नहीं अनेकों कारण थे। जनश्रुति में प्रचलित राजा श्री अजमलजी श्रीहरि के अवतरित होने के मुख्य कारण बने। मगर इसके अवतरित होने के और भी अनेक कारण थे। जिसके लिए भगवान द्वारिकानाथ को मानव रूप में कुछ लीलाएं करने एवं अज्ञान में भटके हुवों को सत्यमार्ग दिखाने इस भूलोक पर आना पड़ा। श्रीरामदेव शास्त्रोक्त सोलह कला अवतार है। पांडव कुल अर्जुन की वंषावली में अवतरित श्रीहरि जिनके प्रमाण में अनेक ग्रंथ रामायण, गीता, महाभारत आदि साक्षी है। अनेकों अंध विष्वासों का खंडन करने वाले बाबा श्री रामदेव जीवन लीला की पूर्णजानकारी के लिए सारी कथा सुनना आवष्यक है। जहां हर प्रकार की षंकाओं का समाधान होता है।
(महेन्द्र मारू)
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