गृहस्थियों से ज्यादा आनंद आज भगवाधारी कर रहे है

aaaaअजमेर। कथा मर्मज्ञ रामदेवरा के संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि आज हमारे देश मे सनातन खतरे मे है। भाव पहन कर अनेक बाबा लोग आज व्यापारी बन गए हैं। यदि भगवा धारण कर लिया तो भक्ति पंथ का प्रचार करना चाहिए। गृहस्थियों से ज्यादा आनंद आज भगवाधारी कर रहे है। हिंदुस्तान के 80 प्रतिशत बूचड़खाने हिन्दुओं के स्वामित्व के हैं। सनातन धर्म के पतन का यही कारण है। सनातन धर्म के पतन के कारण वास्तविक संत दुखी हो रहे हैं।
आजाद पार्क में चल रही रूणिचा वाले बाबा रामदेव की कथा के चतुर्थ दिवस बुधवार को कथा के दौरान संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि पाकिस्तान में आज भी बाबा रामदेव के 1100 मंदिर हैं, लंदन मेसा 19 हज़ार लोग बाबा रामदेव को पूजते है। ऐसे ही नेपाल और दुनिया भर के अनेक देशों मे बाबा को मानने वाले हैं। बाबा ने खुद ऐसे चमत्कार दिखाए जिससे खुद-ब-खुद उनका प्रचार होता चला गया। बाबा रामदेव ने न राम के अवतार ऐसे चमत्कार किये और न ही कृष्ण अवतार मे ऐसे चमत्कार किये जैसे उन्होंने कलयुग मे अवतार लेकर किये। ठाकुर के आगे हम भोग लगाते हैं, वह हमें ठाकुरजी ग्रहण करते हुए दीखते नहीं है, पर ठाकुर के सामने जब उसे प्रसाद के रूप मे रख देते हैं तो उसमे हमारा प्रेम समाहित हो जाता है। भाव से लगाए गए भोग को ठाकुर कई गुना करके वापस लौटा देते हैं, जैसे मिटटी में डाला गया बीज अंनत गुना होकर हमें प्राप्त होता है, वैसे ही ठाकुर जी को अर्पण किया गया पदार्थ अंनत गुना होकर हमें प्राप्त होता है।
कन्या भ्रूण हत्या की निंदा:-संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने अपने प्रवचनों के दौरान कन्या भ्रूण हत्या और नवजात कन्याओ को कचरे मे फेंकने की घटना पर दुःख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नवजात कन्याओं को फेंकना और भ्रूण हत्या करने से अधिक बुरा कार्य कोई हो ही नहीं सकता। जब प्यार करते समय परिणाम का बोध नहीं किया तो नवजात को उसकी सजा क्यों देते हो।
ऋषियों के नाम:- संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने विभिन्न ऋषियों के नाम का अर्थ बताया कि जो ऋषि ज्यादातर शीर्षासन करता था, वह श्रंगी, जो कर यानि हाथ मेसा लेकर भोजन करता वह करपात्री ऋषि हो गए। भगवा पहन कर यदि कोई गलत कार्य करे तो उसे डबल सज़ा हो जाती है।
पढ़ाई की प्रतिस्पर्धा मे खो गए बचपन के खेल: संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि आज पढाई और अंकों की पर्तिस्पर्धा इतनी अधिक हो गयी है की बचपन के खेल विलुप्त होने लगे हैं। आज बचपन में ही बड़े-बड़े बस्ते देकर बच्चो को स्कूल भेज दिया जाता है। हर समय पढ़ने पर जोर दिया जाता है, जिससे बच्चे खेल को समय नहीं दे पाते। इससे बच्चो. का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता।
मज़हब नहीं सिखाता आपस मे बैर करना:- संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि धर्म प्रेम करना सिखाता है, ना कि नफरत करना। जो धर्म नफरत करना सिखाता है, प्रेम नहीं, वह धर्म हो ही नहीं सकता। कुछ दुष्ट लोग होते हैं जो धर्म के नाम की आड़ में धर्म को बदनाम करते हैं। धर्म के नाम पर दंगे करने वाले लोग किसी भी प्रकार से धार्मिक नहीं हो सकते। ऐसे लोग सरकार पर दबाव बनाने मात्र के लिए धर्म का सहारा लेते हैं। धर्म जोड़ता है, तोड़ता नहीं है, जो तोड़ता हो वो धर्म या धर्माचार्य नहीं हो सकता। परमात्मा के घर में भेदभाव नहीं होता, लिपि और भाषा अलग हो सकते हैं, पर परमात्मा एक ही है।
संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि जो शुभता को धारण कर ले वही धर्म है। धर्म का शाब्दिक अर्थ कुछ हो ही नहीं सकता। धर्म मनुष्य का आंतरिक स्वभाव है। बर्तन अलग हैं पर उसमे जल एक ही है। इसी प्रकार सभी में परमात्मा का अंश है। इशलिये रूणिचा मेस किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता। रूणिचा मेसा खोता करने वाले कभी सुखी रह नहीं सकते।
कथा के मध्य में साध्वी शशि गौतम दीदी जी ने अपने सुमधुर स्वरों में ठुमक चलत रामचंद्र, थे तो धारो कोनी मदन गोपाल कटोरो लाई दूध को भरयो, पग घुंघरूं बांध मीरा नाची रे, सहित अनेक भजन सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर मज़बूर कर दिया।
कथा आयोजक संस्था बाबा श्री रामदेव कथा समिति के प्रमुख कार्यकर्ता सत्यनारायण भंसाली ने बताया कि बुधवार की कथा मे गढ़ अमरकोट से राजा दलपत सोडा का देवी से वरदान लेना, देवी नैतल का जन्म होना, अंधी, कुष्टी होने के कारन राजा दलपत का दुखी होना तथा देवी का राजा दलपत को आशीर्वाद देना आदि प्रसंगों का वर्णन किया गया। गुरुवार की कथा मे वीरमदेव का विवाह, बाबा रामदेवजी द्वारा रूणिचा बसना, लखि बंजारा की मिश्री का नमक बनना, सेठ बोयत की नव तिराना, डालीबाई को आध्यात्मिक उपदेश, हरबूजी को वचन देना, पांच पीरों की चर्चा, सारथीया सुथार को जीवनदान देना, राजा दलपत अमरकोट का भेजा ब्राह्मण का का आगमन और रामदेवजी की सगाई का वर्णन किया जायेगा।
पार्षद एवं बाबा के परम भक्त पार्षद कुंदन वैष्णव, के विशेष सहयोग से की जा रही बुधवार की कथा मे कालीचरण खंडेलवाल, नारीशाला की चेयरमेन भारती श्रीवास्तव, उमेश गर्ग, जीतेन्द्र धारू, महेन्द्र मारू, अमरसिंह भाटी, सुमित खंडेलवाल, राजेश श्रीवास्तव आदि विशेष रूप से पूजा और आरती मे उपस्थित थे।

(महेन्द्र मारू)
मे. 9829795054

error: Content is protected !!