बाबा रामदेव की कथा के समापन पर यज्ञ सम्पन्न

mool yogirajअजमेर। आजाद पार्क में चल रही रूणिचा वाले बाबा रामदेव की कथा के समापन अवसर पर बुधवार को साम्प्रदायिक सद्भाव, राष्ट्रिय एकता, विश्व शांति तथा मनोकामना पूर्ति के लिए रामदेव महायज्ञ का आयोजन किया जायेगा।
कथा मर्मज्ञ रामदेवरा के संत स्वामी श्री मूल योगीराज के सानिध्य में आयोजित 498वे बाबा रामदेव महायज्ञ में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यज्ञ के प्रारम्भ में विधि-विधान अनुसार गणपति स्थापना की गयी। स्वस्ति मन्त्र का वचन किया गया। षोडशोपचार पूजन किया गया । बाबा रामदेव का आवाहन और पूजन किया गया। इसके पश्चात 51 जोड़ों ने विधि-विधान अनुसार यज्ञ किया।
कथा मर्मज्ञ रामदेवरा के संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने यज्ञ के दौरान बताया कि यज्ञ से मानव मन में स्थापित वांछित लाभ पाया जा सकता है। बाबा रामदेव का यज्ञ विधान प्रधान नहीं बल्कि भावना प्रधान यज्ञ है। इस विधि व्यवस्था को त्रिकाल संध्या के रूप में ऋषियों ने भी अपनाया और यज्ञ के अध्यात्म को अवतारी सत्ताओं ने भी स्वीकारा। यज्ञ में सर्वव्यापी सर्वांतर्यामी परमात्मा का सदैव वास होता है। सब देवताओं की आत्मा यह यज्ञ है। सभी बाधाओं की निवृत्ति के लिए बुद्धिमान पुरुषों को देवताओं की यज्ञ के द्वारा पूजा करनी चाहिए। यज्ञ ही संसार का सर्वश्रेष्ठ शुभ कार्य है। यज्ञ, योग की विधि है जो परमात्मा द्वारा ही हृदय में सम्पन्न होती है। जीव के अपने सत्य परिचय जो परमात्मा का अभिन्न ज्ञान और अनुभव है, यज्ञ की पूर्णता है। यह शुद्ध होने की क्रिया है। इसका संबंध अग्नि से प्रतीक रूप में किया जाता है। यज्ञ का अर्थ योग है।
कथा मर्मज्ञ रामदेवरा के संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि यज्ञ का एक प्रमुख उद्देश्य धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों को सत्प्रयोजन के लिए संगठित करना भी है। एकाकी-व्यक्तिवादी-असंगठित लोग दुर्बल और स्वार्थी माने जाते हैं। यज्ञों का वास्तविक लाभ सार्वजनिक रूप से, जन सहयोग से सम्पन्न कराने पर ही उपलब्ध होता है। यज्ञ में अग्नि और घी का प्रतीकात्मक प्रयोग सिर्फ यह ज्ञान देता है कि जब ज्ञान को अग्नि रूपी सत्य में डाल दिया जाता है तब इस कर्म का प्रभाव अलग हो जाता है और अग्नि उस ज्ञान को संसार में प्रकाशित हो अंधकार को दूर करती है।
यज्ञ में उच्चारित किये जाने वाले मन्त्रों का महत्व बताते हुए संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि मन्त्रों में अनेक शक्ति के स्रोत दबे हैं। जिस प्रकार अमुक स्वर-विन्यास ये युक्त शब्दों की रचना करने से अनेक राग-रागनियाँ बजती हैं और उनका प्रभाव सुनने वालों पर विभिन्न प्रकार का होता है, उसी प्रकार मंत्रोच्चारण से भी एक विशिष्ट प्रकार की ध्वनि तरंगें निकलती हैं और उनका भारी प्रभाव विश्वव्यापी प्रकृति पर, सूक्ष्म जगत् पर तथा प्राणियों के स्थूल तथा सूक्ष्म शरीरों पर पड़ता है। यज्ञ के द्वारा जो शक्तिशाली तत्त्व वायुमण्डल में फैलाये जाते हैं, उनसे हवा में घूमते असंख्यों रोग कीटाणु सहज ही नष्ट होते हैं। यज्ञ की ऊष्मा मनुष्य के अंतःकरण पर देवत्व की छाप डालती है। जहाँ यज्ञ होते हैं, वह भूमि एवं प्रदेश सुसंस्कारों की छाप अपने अन्दर धारण कर लेता है और वहाँ जाने वालों पर दीर्घकाल तक प्रभाव डालता रहता है। प्राचीनकाल में तीर्थ वहीं बने हैं, जहाँ बड़े-बड़े यज्ञ हुए थे। जिन घरों में, जिन स्थानों में यज्ञ होते हैं, वह भी एक प्रकार का तीर्थ बन जाता है।
आगामी कथा चैत्र नवरात्र में: संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने अजमेर में चैत्र नवरात्र स्थापना 18 मार्च 2018 से पुनः आमंत्रण स्वीकार कार लिया है। बाबा रामदेव भंडारा समिति कृष्णगंज के किशोर कुमार सेन, देवीलाल शर्मा और हरिप्रसाद खंडेलवाल ने बताया कि समिति के तत्वावधान में होने वाली कथा की तैयारियां अभी से आरंभ कर दी गयी हैं।
साध्वी शशि गौतम जी ने अपनी सुमधुर आवाज़ अनेक भजन प्रस्तुत किये।
कथा आयोजक संस्था बाबा श्री रामदेव कथा समिति के प्रमुख कार्यकर्ता महेंद्र मारु ने बताया कि यज्ञ में बैठने वाले श्रद्धालुओं के लिए रामदेवरा स्थित ह्मत्कारी परचा बावड़ी का जल विशेष रूप से मंगवाया गया। यज्ञ वेदिकाओं की अग्नि भी बाबा की अखण्ड ज्योत से ही प्रज्ज्वलित की गयी। कोटा से आये अनेक युगलों ने भी यज्ञ में भाग लिया।
पार्षद एवं बाबा के परम भक्त कुंदन वैंष्णव के अनुसार यज्ञ में नारीशाला बोर्ड की चेयरमेन भारती श्रीवास्तव, राजस्थान खेल परिषद के उपाध्यक्ष उमेश गर्ग, पूनमचंद मारोठिया, हितेंद्र चौहान, सत्यनारायण भंसाली, देवीलाल शर्मा, किशोर सैन, अविनाश मारोठिया, जीतेन्द्र धारू, अमरचंद भाटी, बनवारी गाछा आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।

(महेन्द्र मारू)
मो . 9829795054

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