गौ सेवा में धन की कमी नहीं आने दी जाएगी:देवनानी

गाय के शरीर में सूर्य की गो-किरण शोषित करने की अद्भुत शक्ति:श्री पुष्करदास जी महाराज
प्रकृति की कृपा भी गाय की सेवा करने से ही मिलती है: देवनानी
गौ सेवा में धन की कमी नहीं आने दी जाएगी:देवनानी
थिरक उठे हजारों श्रद्धालु जब श्री कृष्ण लेकर आये मायरा
गौ भक्तों का हुआ सम्मान
जीव को वाणी से दुःख नहीं हो, वह सबसे बड़ा सत्य है
सभी धर्मों में सुपात्र को दान देना परम् कर्तव्य

2अजमेर। ‘धीमे हाँको बृज रा वासी’ भजन की ताल पर आज लोहागल रोड स्थित गौशाला में मौजूद हजारों श्रद्धालु थिरक उठे। नानी बाई का मायरा लेकर श्री कृष्ण जब अंजार नगर जा रहे थे तो राधा और रुक्मिणी द्वारा गए गए इस भजन की संत एवं कथावाचक श्री पुष्करदास जी महाराज ने पूर्ण वाद्य यंत्रों के साथ सुमधुर प्रस्तुति दी। श्री कृष्ण राधा और रुक्मिणी के साथ जब मायरा लेकर कथा पांडाल मे पहुंचे तो हर्षोल्लास की लहर दौड़ गयी।
श्री पुष्कर गौ आदि पशुशाला समिती की ओर से लोहागल रोड स्थित गौशाला में चल रही भक्त नरसी मेहता और नानी बाई का मायरा कथा के छठे दिन शुक्रवार को सुविख्यात संत एवं कथावाचक श्री पुष्करदास जी महाराज ने कथा के दौरान कहा कि गाय के शरीर में सूर्य की गो-किरण शोषित करने की अद्भुत शक्ति होने से उसके दूध, घी, झरण आदि में स्वर्णक्षार पाये जाते हैं जो आरोग्य व प्रसन्नता के लिए ईश्वरीय वरदान हैं । पुण्‍य व स्‍वकल्‍याण चाहनेवाले गृहस्‍थों को गौ-सेवा अवश्‍य करनी चाहिए क्‍योंकि गौ-सेवा से सुख-समृद्धि होती है । गौ-सेवा से धन-सम्‍पत्ति, आरोग्‍य आदि मनुष्‍य-जीवन को सुखकर बनानेवाले सम्‍पूर्ण साधन सहज ही प्राप्‍त हो जाते हैं । मानव गौ की महिमा को समझकर उससे प्राप्त दूध, दही आदि पंचगव्यों का लाभ ले तथा अपने जीवन को स्वस्थ, सुखी बनाये, इस उद्देश्य से हमारे परम करुणावान ऋषियों-महापुरुषों ने गौ को माता का दर्जा दिया। भारत में गाय प्राचीन समय से ही देवी के रूप में पूजी जाती है| भारत में लोग इसे अपने घरों में धन लक्ष्मी के रूप में लातें है।
कथा के मुख्य अतिथि राज्य के शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि कथा के श्रवण से कान तो पवित्र होते ही हैं, उसका आचरण करने से शरीर और आत्मा भी पवित्र हो जाते हैं। गाय को माता मानने के पिछे यह आस्था है कि गाय में समस्त देवता निवास करते हैं व प्रकृति की कृपा भी गाय की सेवा करने से ही मिलती है। भगवान शिव का वाहन नंदी, भगवान इंद्र के पास समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली गाय कामधेनू, भगवान श्री कृष्ण का गोपाल होना एवं अन्य देवियों के मातृवत गुणों को गाय में देखना भी गाय को पूज्य बनाते हैं।
कथा आयोजन समिति के लक्ष्मी नारायण हटूका ने बताया कि संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने कहा कि ढोल, गंवार , शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी चौपाई का कुछ लोग अपनी बुद्धि और अतिज्ञान के अनुसार विपरीत अर्थ निकालकर तुलसी दास जी और रामचरित मानस पर आक्षेप लगाते हुए अक्सर दिख जाते है। दरअसल ताड़ना एक अवधी शब्द हे, जिसका अर्थ, पहचानना, परखना या रेकी करना होता हे। ताड़ना बहु अर्थी शब्द है जिसके बोलचाल में उपयोग होते हैं साधना, तानना, नजर जमाना, निशाना लगाना, नियंत्रित रखना इत्यादि। ताड़ना का सामान्य अर्थ है समझना और गहराई से समझना, मनोवैज्ञानिक ढंग से समझना।
कथा में विशेष रूप से उपस्थित संत डॉ. श्री कृष्णानंद जी महाराज ने कहा कि भक्तों की करुण पुकार सुनकर भगवान का प्राकट्य होता है। जब पूरा समर्पित कर देंगे तब भगवन का आगमन होता है। भक्ति वही कर सकता है जो शूरवीर है। कायर की पुकार कभी ईश्वर तक नहीं पहुंचती। जो कुछ हिम्मत दिखा सकता है, वही भक्ति में सफल हो सकता है। जब सब छोड़ देते हैं, तब ही भगवान देते हैं। भक्ति समर्पण और शौर्य के साथ करें।
संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने कहा कि किसी जीव को वाणी से दुःख नहीं हो, वर्तन से दुःख नहीं हो और मन से भी उसके लिए खराब विचार नहीं किया जाए। वह सबसे बड़ा सत्य है। सत्य एक भाव है जो निश्छलता, पवित्रता और अहिंसा का प्रतीक है। शत्रु के प्रति भी बात कहते समय अपशब्द, अपमानजनक शब्द, हिंसक शब्द, व्यंग्य आदि का प्रयोग न करना सत्य भाषण है। सत्य का अर्थ है परमात्मा। जिस कारण धरती पर मनुष्य का जन्म होना सत्य है उसी तरह मनुष्य की मृत्यु भी एक सत्य है। लेकिन मानव जन्म के सत्य को तो मान लेता है, लेकिन उसे यह याद नहीं रहता की मृत्यु भी एक सत्य है। सत्य एक ऐसी बोली है जब हम किसी से सच बोलते हैं तो हमारी जिंदगी में हमें बहुत कुछ परिवर्तन देखने को मिलता है,आज के युग में सत्य का बड़ा ही महत्व है। सत्य हमारे जीवन का एक हिस्सा है। अगर दुनिया में हर एक इंसान सत्य बोले तो हमारा पूरा देश बहुत आगे बढ़ सकता है। सत्य एक ऐसी बोली है जो भले ही दिखता नहीं लेकिन करता सबकुछ है जब भी हम किसी से सत्य बोलते हैं तो सामने वाला हमारे हाव भाव से समझ जाता है कि हम सत्य बोल रहे हैं।
संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने कहा कि सभी धर्मों में सुपात्र को दान देना परम् कर्तव्य माना गया है। हिन्दू धर्म में दान की बहुत महिमा बतायी गयी है। दान किसी वस्तु पर से अपना अधिकार समाप्त करके दूसरे का अधिकार स्थापित करना दान है। साथ ही यह आवश्यक है कि दान में दी हुई वस्तु के बदले में किसी प्रकार का लेन-देन नहीं होना चाहिए। इस दान की पूर्ति तभी कही गई है जबकि दान में दी हुईं वस्तु के ऊपर पाने वाले का अधिकार स्थापित हो जाए। दान से वस्तु घटती नहीं बल्कि बढ़ती है। सब दानों में ज्ञान का दान ही श्रेष्ठ दान है। जो दानदाता इस भावना से सुपात्र को दान देता है कि, तेरी (परमात्मा) वस्तु तुझे ही अर्पित है; परमात्मा उसे अपना प्रिय सखा बनाकर उसका हाथ थामकर उसके लिये धनों के द्वार खोल देता है; क्योंकि मित्रता सदैव समान विचार और कर्मों के कर्ता में ही होती है।
शुक्रवार को कथा के मुख्य अतिथि राज्य के शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी, अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशनषकर हेड़ा, संत श्री कृष्णानंद जी महाराज और बृजेश बंसल विशेष रूप से उपस्थित थे।
श्री श्याम प्रेम मंडल के विमल गर्ग गोपाल गोयल कांच वाले, देवेश गुप्ता इत्रवाले, अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के रमेश तापड़िया तथा उमेश गर्ग ने संत श्री पुष्करदास जी महाराज का अभिनंदन किया। श्रीमती सरोज गर्ग ने पनि पुस्तक क्या कहूं संत श्री पुष्करदास जी महाराज को भेंट की।
शुक्रवार की कथा में गौशाला में विभिन्न कार्य करने वाले गौसेवकों का सम्मान किया गया। शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी का पुष्कर रोड गौशाला में कन्हैया गौ बाड़े का निर्माण करनर, चेतनराम सर्राफ का गौ बाड़े में फर्श निर्माण, रमाकांत बाल्दी का तीन गायें गोद लेने, रामचंद पंसारी, लखन लाल पंसारी, कमल पंसारी, विमल पंसारी, अशोक पंसारी द्वारा गौशाला के मुख्य द्वार के सम्पूर्ण लक्ष्मी गौ सदन का निर्माण, स्वर्गीय नेमीचंद जैन की स्मृति में गौ बाड़ों पर टीन शेड का निर्माण, शतायु मदन गोपाल गनेड़ीवाल द्वारा 65 वर्ष से की जा रही गौ सेवा, दिनेश परनामी द्वारा जल मंदिर निर्माण एवं गीजर में सहयोग, संस्था के अध्यक्ष माणकचंद सिसोदिया, सुरेश जी एवं बद्री प्रसाद कांचवालों राजेंद्र रांका, इन्दरजी पोखरना, रणजीतमल लोढ़ा, द्वारा गौशाला में सहयोग, शिवप्रसाद बंसल द्वारा चारे का विशेष सहयोग, श्रीकृष्ण टांडी जी का 85 वर्ष पूर्ण करने पर संस्था को सक्रिय सहयोग करने पर सम्मान किया गया।
सत्यनारायण कथा आज
गौशाला में चल रही भक्त नरसी मेहता और नानी बाई का मायरा का समापन शनिवार को होगा। शनिवार को सुबह 9 बजे से कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर संत श्री पुष्करदास जी महाराज की अमृतवाणी में भगवान सत्यनारायण की कथा सुनाई जाएगी। भगवान सत्यनारायण की कथा के पश्चात् भक्त नरसी मेहता और नानी बाई का मायरा का समापन होगा।
अजमेरी ख्वाजा मेरी नैया लगा दो पार रे
कथा के दौरान संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने साज की मधुर धुन पर अजमेरी ख्वाजा मेरी नैया लगा दो पार रे, ए जी म्हारा नटवर नागरिया भगता रे क्यूँ नहीं आयो रे, आज म्हारे होवती जनम की माय, गोविन्द मेरो है गोपाल मेरो है, सांवरिया किस रे दिसावर नाटो, धीमा हाँको ब्रज रा वासी, आदि भजन भी प्रस्तुत किये जिस पर कथा प्रांगण मे उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर होकर नृत्य करने लगे।
शुक्रवार की कथा का शुभारम्भ ग्रन्थ पूजन से हुआ। ततपश्चात सन्यास आश्रम के वेदपाठी विद्यार्थियों द्वारा शंखध्वनि और वेदवाणी का पाठ किया। विद्वान आचार्यगण पंडित गोविन्द जी कोइराला, आचार्य बालकिशन और आनंद जी ने भगवत पूजन कराया। मंच संचालन उमेश गर्ग ने किया।

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