डॉ. रामगोपाल गोयल की स्मृति में काव्य गोष्ठी

zzअन्तर्भारती साहित्य एवं कला परिषद द्वारा परिषद के संस्थापक एवं साहित्यकार स्व. डॉ. रामगोपाल गोयल की समृति में ‘‘शब्द साधना‘‘ शास्त्री नगर में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष श्री अनिल गोयल ने की। सचिव शिक्षाविद् डॉ. अरूणा माथुर ने मधुर स्वर में मां सरस्वती की वंदना के साथा ‘‘खट्टी चटनी जैसी मां कविता पाठ गोष्ठी का प्रारम्भ किया। नगर के वरिष्ठ साहित्यकार एवं विशिष्ठ अतिथि शिक्षाविद् डॉ. नवल किशोर भामडा़ ने गीत ‘‘ मैं और ये उधेडबुन, यह उधेड़बुन, और मैं तथा ‘‘ धूप चांँॅद पर चाँदनी हो जाती है‘‘ से गोष्ठी की ऊंचाइयाँ दीं। सरदार व्वख्शीष सिंह ने ‘‘ उसे सीने से लगाऊं तो धड़कने गिनने लगता है, हाथ मिलाऊ तो उंगलियां गिनने लगता है ‘‘सुनाकर सब का दिल जीता। डॉ ब्रजेश माथूर ने अपने गंभीर अंदाज में गजल ‘‘ सिफत ओ एवं हर नशर में रहते है पढ़ी। शहर के चर्चित बाल साहित्यकार गोविन्द भारद्वाज ने गजल ‘‘सांसों की हकीकत को बताता कौन है, जिंदगी का साथ निभाता कौन है सुनाकर वाह-वाही बटोरी। डॉ. चेतना उपाध्याय ने ‘‘जीवन एक मेला है या कोई झमेला है ‘‘ देवदत्त शर्मा ने ‘‘इंसान बिन मुहूर्त जन्म लेता है फिर भी आजीवन मुहूर्त में उलभपता है ‘‘ तथा ‘‘ छोड़ी करुणा छोड़ी नारी, पीयूश स्रोत्र सी बहना छोड़ों ‘‘ सुनाकर श्रोताओं को आकर्षित किया। ओझ के कवि वरिष्ठ साहित्यकार मोहनलाल तंवर ने व्यवस्था पर तंज कसते हुए अपनी कविता का वाचन किया तो कल्याण राय ने बालगीत सुनाया। लीना खत्री ने हवा का रूख बदला सा हैं तथा युवा साहित्यकार रामवतार यादव ने ‘‘ऐ हवा! हर जगह तेरा आना-जाना है के माध्यम से प्रेम का संदेश पहुंचाया तो, सतीश गोधा ने ‘‘ निमित्त हैं प्रेम के हम, सब में प्रेम के गीत गाता हूं। सुनकार युवा मन की अभिव्यक्ति दी।

(अनिल गोयल)

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