इंदिरा गांधी जी की मूर्ती स्थापना का रास्ता साफ

IMG-20171107-WA0094अजमेर 7 नवम्बर। भारत रत्न एवं स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी की मूर्ती स्थापना का रास्ता साफ हो गया है । अजमेर विकास प्राधिकरण ने मंगलवार को मूर्ती शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन को सुपुर्द कर दी है। कांग्रेस अब अपने ख्र्च पर मूर्ती की ससम्मान स्थापना करवाएगी अनावरण के लिए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट को आमंत्रित किया जायेगा।
शहर कांग्रेस प्रवक्ता मुजफ्फर भारती ने जानकारी दी कि लंबे समय से स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी की मू्र्ती स्थापना का कार्य एडीए की प्रशासनिक अड़चनों के कारण अटका हुआ था। इंदिरा गांधी जी का जन्म शताब्दी वर्ष होने के कारण शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन, अध्यक्ष बनने के बाद से ही लगातार इस कोषिष में लगे हुऐ थे कि स्टेशन रोड स्थित इंदिरा गांधी स्मारक पर श्रीमती इंदिरा गांधी जी की मूर्ती स्थापित हो जाए। इसके लिए वह बराबर प्रयास कर रहे थे एक बार तो हालात यहां तक पहुंच गऐ कि कांग्रेस ने 19 नवम्बर से पूर्व नई मूर्ती बनावाकर लगा लेने का मानस बना लिया मगर इस सवैदनषील राजनीतिक हालात को समझते हुऐ जिला कलेक्टर गौरव गोयल की मध्यस्थता ने मामले मे मध्यस्ता की इसके बाद एडीए प्रशासन ने मंगलवार को इंदिरा जी की मूर्ती शहर कांग्रेस अध्यक्ष को सुपुर्द कर दी। मूर्ती प्राप्त करते ही शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने अनावरण के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट से प्रतीमा के अनावरण के लिये अजमेर आने का आग्रह किया मूर्ती का अनावरण माईनिया इस्लामिया स्मारक पर इंदिरा गांधी जी के जन्म दिवस 19 नवंबर को समारोह पुर्वक किया जाना तय किया गया है। मूर्ती सुपुर्दगी के साथ दिए गए पत्र में एडीए ने मूर्ती लगाने का खर्च शहर कांग्रेस को उठाने के लिए कहा है इसके तहत मूर्ती लगाने का समस्त खर्च शहर कांग्रेस वहन करेगी। विजय जैन के अलावा मूर्ती प्राप्त करने वालों में महामंत्री श्याम प्रजापति, कोषाध्यक्ष दयानन्द चर्तुवेदी, मनीष सेठी और अक्षय जैन मांजूद थे।
कांग्रेस प्रवक्ता भारती ने कहा कि यह विडंबना है की भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी की प्रतिमा लगाने के लिए भाजपा सरकार ने इसका खर्च शहर कांग्रेस के माथे डाला है होना यह चाहिए था कि राजनीतिक मतभेदों से परे होकर इस मूर्ती की स्थापना सरकार द्वारा ससम्मान करवाई जानी चाहिए थी लेकिन मूर्ती खरीदने से लेकर स्थापित करने तक का खर्च कांग्रेस ने वहन किया है जबकि इंदिरा जी कांग्रेस की नहीं बल्कि देश की प्रधानमंत्री थी और उन्होंने अपनी जान राष्ट्र का नेतृत्व करते हुए गवाई थी।

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