डायबिटीज़ पीड़ित रक्त शर्करा पर रखे नियमित निगरानी

स्वस्थ्य जीवन शैली से टाइप-2 डायबिटीज़ के 70 प्रतिशत मामलों पर नियंत्रण
mittal hospitalअजमेर, 13 नवम्बर। डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों को रक्त शर्करा की नियमित निगरानी की आवश्यकता है ताकि इसे नियंत्रित रखा जा सके और शरीर के अंगों, विशेष रूप से आंखों, गुर्दों, पैरों और हृदय की बीमारी के जोखिम से बचा जा सके। देश में टाइप -2 डायबिटीज के 70 प्रतिशत मामलों की रोकथाम स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने से हो सकती है।
विश्व डायबिटीज़ दिवस के अवसर आयोजित चर्चा में मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर के वरिष्ठ फिजीशियन डाॅ दीपक सोगानी ने यह विचार रखे। डाॅ सोगानी ने कहा कि घर-परिवार में डायबिटीज़ की रोकथाम और प्रभावी प्रबंधन के लिए महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, क्यों कि वह परिवार की पौष्टिकता और जीवनशैली आदतों की देखभाल करती हैं। उन्होंने कहा कि डायबिटीज़ दिवस मनाने की सार्थकता इसी में है कि हर घर में महिलाओं को जागरूक किया जाए और उन्हें स्वयं के स्वास्थ्य के प्रति भी सजक होने के लिए समय निकालने को कहा जाए। उन्होंने कहा कि यह विडम्बना ही है कि डायबिटीज़ से पीड़ित महिलाओं की संख्या पूरी दुनिया में 60 मिलियन से अधिक है। देश में 50 मिलियन लोग डायबिटीज़ से पीड़ित हैं। डायबिटीज़ से पीड़ित पांच में से हर दो महिलाएं प्रजनन आयु की ही होती हैं। डायबिटीज़ महिलाओं में मृत्यु का नौवां प्रमुख कारण बन गया है।
वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ विवेक माथुर ने बताया कि देश में डायबिटीज़ पीड़ितों में 60 प्रतिशत की मृत्यु तो दिल का दौरा पड़ने से हो जाती है। डाॅ विवेक ने कहा कि अनियंत्रित उच्च रक्त शर्करा से अनेक गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे हृदय रोग, अंधता, और गुर्दे की विफलता को विकसित करने का जोखिम होता है। रक्त शर्करा के स्तरों को सामान्य स्तर या उसके आसपास बनाए रखने से डायबिटीज़ के कारण होने वाली जटिलताओं के घटित होने में देरी या रोकथाम की जा सकती है। इसके लिए जरूरी है कि नियमित जांच पर ध्यान दिया जाए।
गुर्दा रोग विशेषज्ञ डाॅ रणवीरसिंह चैधरी ने कहा कि उम्र के बढ़ने के साथ शरीर के अंगांे की कार्यक्षमता में कमी आने लगती है । खान-पान में लापरवाही व अनियमितता कई बीमारियांे का कारण बन जाती हैं। बीमारियों को शरीर में प्रवेश ना करने दे इसके लिए नियमित जांच व स्वास्थ्य परीक्षण ही है। बीमारियों का शुरुआती अवस्था में पता लगने से शरीर के अंगों को बचाया जा सकता है। डायबिटीज़ दिवस पर परिचर्चा की सफलता इसी में है कि स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाएं और शरीर का नियमित परीक्षण कराते रहें। मूत्र, प्रोस्टेट एवं पथरी रोग विशेषज्ञ डाॅ कुलदीप शर्मा ने कहा कि डायबिटीज़ रोगियों के उम्र बढ़ने के साथ पेशाब की थैली कमजोर पड़ जाती है। इसे डायबिटीज सिस्टोपैथी कहते है। उन्होंने कहा कि लम्बे समय से डायबिटीज रोगी के ओवर एक्टिव ब्लैडर हो जाता है। डाॅ कुलदीप ने नियमित जांच की सलाह दी।
अंत में वरिष्ठ फिजीशियन डाॅ दीपक सोगानी ने कहा कि डायबिटीज़ रोग से बचाव के लिए तनाव से दूरी बनाएं। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवनशैली में यह यद्यपि अपरिहार्य सा हो गया है, फिर भी किसी भी तनाव उत्पन्न करने वाली स्थिति से अपना संतुलन बनाएं रखें तथा हमेशा ध्यान रहें कि बिना तनाव के बेहतर समाधान निकाले जा सकते हैं। हंसते रहे, घूमें, फिरे, योग प्रणायाम करें हर हाल में प्रसन्न रहें। चर्चा में अन्य चिकित्सकों कैंसर रोग विशेषज्ञ डाॅ प्रशांत शर्मा, नेत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ विनीत चंडक आदि ने भी विचार रखे।
संतोष गुप्ता
प्रबन्धक जनसम्पर्क/9116049809

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