डीईईओ बड़ा या सीएमओ
केकड़ी। मुख्य मंत्री जल स्वावलम्बन योजना में लाखों के गबन का प्रकरण शिकायतकर्ता द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय प्रेषित कर दोषी अधिकारी के तत्काल निलंबन एवं सेवानिवृत्ति परिलाभों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की गई है।
वहीं दूसरी ओर प्रकरण में प्रबोधक जगदीश बारहठ के लिप्त होने की जानकारी होने के बाद भी तमाम शिक्षा अधिकारी, जिला प्रशासन एवं उपखण्ड प्रशासन अब तक खामोश बैठकर गबन के आरोपियों को बचा रहे हैं तथा मुख्य आरोपी की सेवा निवृत्ति की प्रतीक्षा का रहे हैं, जो प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार मुक्त भारत के नारे की खुले आम धज्जियां उड़ा रही है।
इस सम्बन्ध में डीईईओ को सीएमओ से जारी निर्देशों के बावजूद भी प्रारंभिक जांच भी प्रारंभ नहीं करना खुद को सीएमओ से बड़ा दर्शाया जा रहा है तथा आरोपियों को बचाया जा रहा है। प्रकरण के खुलासा होने तथा सम्पर्क पोर्टल पर प्रकरण दर्ज होने की जानकारी के बाद भी खामौश बैठा शिक्षा प्रशासन शक के दायरे में आ चुका है।
होना तो ये चाहिए था कि प्रारंभिक जांच के आधार पर मुख्य आरोपी को निलंबित किया जाकर सेवानिवृत्ति परिलाभों पर रोक लगाई जानी चाहिए थी, परन्तु खामेाश प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है। उच्च राजनीतिक रसूखातों के कारण दोनों ही आरोपी फिलहाल बचते प्रतीत हो रहे हैं। शिक्षा अधिकारी अपनी सेवानिवृत्ति की बाट जोह रहा है तो प्रबोधक अपने आलम में मस्त है। अब देखना यह है कि प्रशासन आरोपियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही कर पाता है या नहीं।