महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्राी ने दी प्रदेश को सौगात

ऽ पर्यवेक्षक के 295 पदों, महिला पर्यवेक्षक के 221 पदों एवं संरक्षण अधिकारियों के 33 पदों
पर सीधी भर्ती की जायेगी।
ऽ वर्ष 2017-18 में तीन गुना करते हुए विभाग का बजट 288.74 करोड़ रूपये कर दिया गया।
ऽ ब्लाॅक स्तर पर “महिला शक्ति केन्द्र” बनाए की जाने की घोषणा की गई।
ऽ प्रधानमंत्राी मातृ वंदन योजना इसी माह से लागू की जाने की घोषणा की गई।
ऽ राज्य में राष्ट्रीय पोषण मिशन लागू किया जायेगा।

DSC_3238जयपुर/अजमेर, 04 दिसम्बर। राज्य सरकार के उपलब्धिमय 4 वर्ष पूर्ण होने के अवसर आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेंस में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्राी श्रीमती अनिता भदेल ने प्रदेश को सौगात देते हुए महिला अधिकारिता विभाग में महिला अधिकारिता पर्यवेक्षक के 295 पदों, महिला पर्यवेक्षक के 221 पदों एवं संरक्षण अधिकारियों के 33 पदों पर सीधी भर्ती किये जाने की घोषणा की है। महिला अधिकारिता विभाग का वर्ष 2012-13 में बजट प्रावधान 91.92 करोड़ रू. था उसे वर्ष 2017-18 में तीन गुना करते हुए 288.74 करोड़ रूपये कर दिया है। ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ब्लाॅक स्तर पर “महिला शक्ति केन्द्र” बनाए की जाने की घोषणा की है।
श्रीमती भदेल ने प्रदेश में गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व तथा प्रसव के पश्चात आर्थिक सहायता देने हेतु तथा शिशु टीकाकरण को प्रोत्साहन देने हेतु प्रधानमंत्राी मातृ वंदन योजना इसी माह से लागू की जाने की घोषणा की है। इस योजना के अन्तर्गत परिवार में प्रथम डिलीवरी पर गर्भकाल के पहले 6 माह में प्रथम किस्त 1000 रू., गर्भकाल में अन्तिम त्रौमास में 2000 रू. एवं शिशु जन्म के पश्चात् टीकाकरण आदि होने के पश्चात् 2000 रू. बैंक खाते में भुगतान किए जाएंगे। इसी प्रकार उन्होंने घोषणा कि राज्य में राष्ट्रीय पोषण मिशन लागू किया जायेगा। इसके तहत वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 तक छोटे बच्चों, किशोरियों एवं गर्भवती/धात्राी महिलाओं में अन्य पोषण, एनीमिया व ठिगनेपन के स्तर को कम किया जाएगा। इसके तहत आई.सी.टी. आधारित रियल टाइम मोनिटरिंग कर, कुपोषण का समाधान तंत्रा विकसित किया जाएगा।
श्रीमती भदेल ने इसके साथ ही एक और महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में राज्य में “आदर्श आंगनबाड़ी अभियान” प्रारम्भ किया जाएगा। जिसमें प्रत्येक परियोजना में न्यूनतम 5 केन्द्रों को आदर्श के रूप में विकसित किया जाएगा।
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्राी ने सरकार के 4 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में महिला एवं बाल विभाग की उपलब्धियों तथा विभागीय योजनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि महिलाओं और बालक-बालिकाओं से जुड़ी अनेक योजनाओं और नवाचारों से राज्य में सकारात्मक बदलाव आया है।
बालिकाओं के लिए व्यक्तिगत लाभ वाली सबसे बड़ी योजना बनी- मुख्यमंत्राी राजश्री योजना
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्राी ने बताया कि ‘बालिका जन्म’, शिक्षा एवं उनके विकास के प्रति सकारात्मक वातावरण तैयार करने के उद्वेश्य से संचालित मुख्यमंत्राी राजश्री योजना के तहत 6 चरणों में राज्य सरकार की और से 50,000 की राशि देने का प्रावधान है। इस योजना के तहत 1 जून 2016 से अक्टूबर 2017 तक प्रथम किश्त के तहत 7,08,534 बालिकाओं को कुल 177.13 करोड रू. तथा द्वितीय किश्त के तहत 90,502 बालिकाओं को 22.63 करोड का भुगतान किया गया है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के क्रियान्वयन में देश का श्रेष्ठ राज्य बना- राजस्थान
देश के 161 जिलों में राज्य के 14 जिले सम्मिलित। योजनान्तर्गत बेटी जन्मोत्सव, बेटी के सम्मान में वृक्षारोपण,आठवां फेरा, ग्राम सभा में अनिवार्य एजेण्डा, स्कूलों में शपथ ग्रहण कार्यक्रम आदि नवाचारों को अपनाया गया है योजना के प्रयासों के तहत राज्य के 14 जिलों में से 10 जिलों में जन्म शिशु लिंगानुपात में सुधार दर्ज किया गया है। राजस्थान को श्रेष्ढ राज्य श्रेणी में नारी शक्ति पुरूस्कार तथा झुन्झुनू जिले को उत्कृष्ठ कार्य करने वाले जिले के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है।
राष्ट्रीय पुरस्कारः-
राजस्थान को भारत सरकार द्वारा “नारी शक्ति पुरस्कार 2016-17” से सम्मानित किया। बाल लिंगानुपात सुधारने पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला नारी शक्ति पुरस्कार वर्ष 2017 महामहिम राष्ट्रपति महोदय द्वारा राजस्थान राज्य को प्रदान किया गया। बेटी बचाओ, बेटी पढाओ योजना के क्रियान्वयन में उत्कृष्ट कार्य करने पर झुंझुनूं जिला को 24 जनवरी, 2017 को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया।
अपराजिता बना भारत का रोल माॅडल केन्द्र
हिंसा अथवा उत्पीड़न की शिकार महिलाआंे को न्याय एवं राहत दिलाने हेतु भारत का पहला केंद्र अपराजिता जयपुर में संचालित है। अपराजिता की तर्ज पर भारत सरकार द्वारा देश के समस्त राज्यांे में इस प्रकार के केंद्रों को स्थापित किया जा रहा है। अपराजिता की तर्ज पर सखी के नाम से राज्य में 15 केन्द्र संचालित किये जा रहे है। राज्य के 40 जिलों में महिला थानोंमें संचालित महिला एवं सुरक्षा केंद्रों के माध्यम से कुल 51044 प्राप्त प्रकरणों में से 44634 का निस्तारण।
सामूहिक विवाह अनुदान योजनाः-दहेज प्रथा कम करने हेतु अनुठा प्रयास
नव विवाहित जोड़े को अनुदान राशि 15000 रू. तथा विवाह आयोजक संस्था को 3000 रू. जाती है। अब तक कुल 20337 जोड़ों को राशि रू. 2732.81 लाख का वितरण किया जा चुका है। वर-वधु व आयोजक संस्था को मुख्यमंत्राी बधाई संदेश का वितरण किया जाता है।
चिराली योजनाः-सामुदायिक प्रयासों से महिला उत्पीडन रोकने हेतु नवाचार
महिलाओं एवं बालिकाओं के प्रति होने वाली हिंसा की रोकथाम हेतु 2017 से लागू। महिलाओं एवं बालिकाओं के प्रति होने वाली हिंसा की रोकथाम हेतु समुदाय आधारित अनौपचारिक संगठन। राज्य के 7 जिलों यथा बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, बूंदी, जालौर, झालावाड़, नागौर तथा प्रतापगढ़ में सामुदायिक कार्य दलों का गठन।
साझा अभियान-बाल विवाह मुक्त राजस्थान
प्रदेश को बाल विवाह मुक्त बनाने हेतु ‘राज्य रणनीति एवं कार्य योजना‘। अभियान के अन्तर्गत लोगो का विमोचन, सपनों का मांडना, अभियान गीत द्वारा एवं सभी भागीदारों द्वारा संकल्प पर हस्ताक्षर, रथ के माध्यम से प्रचार-प्रसार। वाॅयस काॅल मैसेज के माध्यम से प्रचार, बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी एवं सेवा प्रदाताओं का आमुखीकरण किया गया।
राजस्थान डायन प्रताड़ना निवारण अधिनियम, 2015 एवं नियम 2016
जिन महिलाओं को “डायन” प्रचारित कर प्रताड़ित किया जाता है, उनके लिये इस प्रभावी कानून के तीन मुख्य पहलूः- अपराधों का निवारण और सजा। पीड़ित महिला को राहत और पुनर्वास। डायन प्रथा पर जागरूकता और रोकथाम। अब तक कुल 127 प्रकरणों में एफ.आई.आर. दर्ज,73 में चालान पेश।
निःशुल्क कम्प्युटर प्रशिक्षण
16से 40साल तक की 10 वीं पास किशोरी/महिलाओं के लिए कम्प्युटर प्रशिक्षण। गत चार वर्षाे में 1,53,992 किशोरी/महिलाएं कम्प्युटर साक्षर हुई।
गरिमा बालिका संरक्षण एवं सम्मान योजना
बालिका संरक्षण के क्षेत्रा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों और संस्थानों को सम्मानित एवं पुरस्कृत किया जाता है। योजनान्तर्गत चयनित 6 व्यक्तियों एवं 3 संस्थाओं को 25,000/-नगद, प्रशस्ति पत्रा, एवं प्रतीक चिन्ह राष्ट्रीय बालिका दिवस 2017 पर प्रदान किये गए।
अमृता हाटः-
महिला स्वंय सहायता सूहों के उत्पादों के विपणन हेतु 829 समूहों की भागीदारी से 6 राष्ट्रीय हाट। नवाचार-1065 समूहों की भागीदारी से 12 संभागीय अमृता हाट। नवाचार को आगे बढाते हुए 12 जिला स्तरीय हाट में 698 समूहों की भागीदारी।
धनलक्ष्मी महिला समृद्धि केन्द्र
महिलाओं के सामाजिक व आर्थिक सशक्तिकरण के लिए चिंहित पंचायत समितियों में धनलक्ष्मी महिला समृद्धि केंद्र स्थापित। योजना के प्रथम एवं द्वितीय चरण में 100 धनलक्ष्मी महिला समृद्धि केंद्र स्वीकृत।
प्रथम चरण के अन्तर्गत 33 पंचायत समितियों में भवन निर्माण हेतु राशि हस्तान्तरित, 28 का निर्माण कार्य पूर्ण। द्वितीय चरण के अन्तर्गत 67 पंचायत समितियों में से 55 पंचायत समितियों में भवन निर्माण कार्य हेतु राशि हस्तांतरित, 3 का निर्माण कार्य पूर्ण।
समेकित बाल विकास कार्यक्रम (आई.सी.डी.एस.) की उपलब्धियां
वंचित क्षेत्रों तक आंगनबाडी केन्द्र की सेवाएं पहुचाने के लिए 901 नये आंगनबाडी केन्द्र्र स्वीकृत किये गये है।
केंद्र बने अब आंगनबाडी पाठशाला
पूर्व प्राथमिक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय ई.सी.ई. नीति के तहत पाठ्यचर्चा व पाठ्यक्रम तैयार किया गया। समस्त आंगनबाडी केंद्रों पर पंजीकृत 3-6 वर्ष के बच्चों को 30 मार्च, 2016 से किलकारी, उमंग तथा तरंग वर्कबुक के माध्यम से गुणावत्तापूर्ण शाला पूर्व शिक्षा प्रदान की जा रही है। 27000 से अधिक आंगनाबाड़ी केन्द्रों का विद्यालयों से समन्वय। 1148 पूर्व प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती व केंद्रांे पर नियुक्ति की गई। इस मामले में राजस्थान पहला राज्य बना।
नन्दघर योजना
दानदाताओं, समाजसेवियों, स्वयं सेवी संगठनांे व कारपोरेट क्षेत्रा के सहयोग से 4318 आंगनबाड़ी केन्द्रों का ‘गतिशील बाल्यावस्था केंद्रों के रूप में हुआ विकास। इस योजना में भूमि, भवन निर्माण व मरम्मत के साथ 5 वर्ष के लिए रखरखाव का लिया भामाशाहों ने जिम्मा।
आंगनबाड़ी चलों अभियान एवं “प्रवेशोत्सव”
जून-जुलाई माह में आंगनबाड़ी चलो अभियान व प्रवेशोत्सव का नियमित आयोजन कर केंद्रों के प्रति समुदाय में जागरूकता व सहभागिता मजबूत की गई। मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुन्धरा राजे के मार्गदर्शन में खिलौना बैंक व शिक्षण सामग्री बैंक अभियान। अभियान के तहत 15.36 लाख खिलौने, 8 लाख ‘आॅल इन वन पुस्तके, 28 लाख काॅपियां, पेन्सिल रबर इत्यादि समुदाय से प्राप्त हुए। कुल 7 लाख यूनिफार्म पहचान पत्रा एवं 6 लाख स्कूल बैग भी समुदाय की ओर से बच्चों को उपलब्ध कराये गये।
गोद भराई और अन्न प्राशन्न
परियोजना के तहत 36802 आगंनबाड़ी केंद्रों पर मासिक रूप से सामुदायिक आधारित गतिविधियां (गोद भराई अन्नप्राशन्न ओर प्रवेशोत्सव) आयोजित की जा रही है।
कारपोरेट सेक्टर ने निभाया सामाजिक सरोकार
हिन्दुस्तान जिंक के वेदान्ता ट्रस्ट द्वारा राज्य के 5 जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों पर खुशी परियोजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों का सुदृढ़ीकरण का कार्य किया जा रहा है। वेदान्ता द्वारा 50 आंगनबाड़ी केंद्रों को नये भवन बनाकर दिये है। इन भवनों में पानी, बिजली, शौचालय जैसी सुविधाओं के साथ टी.वी. प्रोजेक्टर जैसे उपकरण भी उपलब्ध कराये है। टाटा ट्रस्ट द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त करने के लिए वजन मशीन जैसी सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। एयरपोर्ट ओथोेरेटी आॅफ इण्डिया द्वारा जयपुर जिले के केंद्रों को सशक्त करने के लिए 45 लाख रू. का काय्र चल रहा है। उन्होने विभाग को 5 करोड रू. और सहयोग के लिए मंजूरी प्रदान है।
आंगनबाड़ी केंद्रों व विभागीय भवनों में बढाई ढांचागत सुविधाएं
40 करोड़ रू. के आंगनबाड़ी केंद्रों के रख-रखाव एवं सुदृढ़ीकरण कार्य करवाये जा रहे है। 13000 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्री स्कूल सेट-अप बनाने के लिए 40 करोड़ रू. की लागत से टेबल-कुर्सी, अलमारी, दरी, बैंच आदिय सामग्री उपलब्ध कराना प्रस्तावित।
परियोजना अन्तर्गत जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, अजमेर, कोटा, बांरा, अलवर, चित्तौड़गढ़ व चुरू जिलों के 5400 केंद्रांे पर आधुनिक वजन मशीनें उपलब्ध कराई गई।
इसके अतिरिक्त 21430 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 21430 स्टीडियो मीटर, 21430 इंफेन्टोमीटर, 17430 वजन मशीन (मातृ एवं शिशु), 36809 वाॅटर कैम्पर के उपापन की प्रक्रिया जारी है। 5432 आंगनबाडी केंद्रों की मरम्मत हेतु 40 करोड़ की स्वीकृति।

सूचना, संचार व माॅनिटरिंग के क्षेत्रा में हाई-टेक बने केंद्र
परियोजना के अन्तर्गत 9 जिलों की 46 परियोजनाओं में 10500 आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन व 282 पर्यवेक्षकों को एंड्राॅयड टेबलेट्स उपलब्ध कराये गये है। रियल टाईम माॅनिटरिंग हेतु कार्यकर्ताओं को ब्।ै साॅफ्टवेयर का प्रशिक्षण जारी है एवं शेष 11430 कार्यकर्ताओं एवं 381 पर्यवेक्षकों को स्मार्ट फोन/टेबलेट उपलब्ध कराने की प्रक्रिया प्रगति पर है।
कर्मचारी कल्याण
मानदेय कर्मियांे की चयन प्रक्रिया को पारदर्शी, सरल तथा त्वरित बनाते हुए गत 4 वर्षाे में वस्तुनिष्ठ रंेकिंग को अपनाते हुए 14756 मानदेय कर्मियों का चयन किया गया।
मानदेय में वृद्धि- 1 जून 2016 से आंगनबाडी कार्यकर्ता के मानदेय में 400 रू., मिनी कार्यकर्ता के 300रू., आशा सहयोगिनी, सहायिका व साथिन के मानदेय में 250-250 रू. प्रतिमाह वृद्धि की गई है। इससे लगभग 1.65 लाख मानदेयकर्मी लाभान्वित।
माता यशोदा वार्षिक पुरस्कार योजना वर्ष 2014-15 प्रारम्भ की गई है जिसमें प्रत्येक परियोजना मंे उत्कृष्ट मानदेयकर्मी (कार्यकर्ता, सहायिका व आशा सहयोगिनी) को प्रतिवर्ष 51000 रू. व 2100-2100रू. का नकद पुरस्कार दिया जा रहा है।
कार्य निष्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के तहत आंगनबाडी कार्यकर्ता को 500 रू. मासिक अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
पुरस्कार
आंगनबाडी केंद्र पर गुणवत्तापूर्ण प्री स्कूल शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए स्कोच फाॅउडेशन का वर्ष 2017 का गुड गर्वर्नेसं मेरिट अवार्ड परियोजना के समयबद्ध निष्पादन लिये विश्व बैंक की ओर 1.60 करोड़ प्रोत्साहन राशि दी गई।

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