शिक्षा को धंधे का साधन बनाना दुर्भाग्य पूर्ण- कटारिया

केकड़ी, । देश का दुर्भाग्य है कि राजनेताओं ने शिक्षा को प्रयोगशाला बनाते हुए रोजगार बना दिया है, भारत में बौद्धिक क्षमता कम न होने के बावजूद भारत पिछड़ रहा है। इसका कारण सरकार द्वारा निजी शिक्षण संस्थाओं को प्राथमिकता देना है जिसके कारण विद्यार्थी भारतीय संस्कृति से दूर होते जा रहे है इसे शिक्षक ही दुरूस्तकर सकते है। यह उदगार राज्य के पूर्व शिक्षा एवं गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने रविवार को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश महामंत्री महावीर प्रसाद सिंहल के सेवानिवृति समारोह में व्यक्त किये। कटारिया ने यह भी कहाकि शिक्षक को केवल वेतन भोगी न मानकर कर्तव्य के साथ बालका निर्माण करना होगा तभी समाज उन्हें सम्मान देगा। समारोह को विशिष्ट अतिथि पद से संबोधित करते हुए अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ राष्ट्रीय के कोषाध्यक्ष बजरंग प्रसाद मजेजी ने कहाकि राजकीय सेवानिवृति समाज सेवा के लिये समय देने की प्रवृती है। मजेजी ने कहाकि शिक्षक राष्ट्र हित में  विचार रखते हुए सामाजिक सहकार करते हुए विद्यार्थी का सुनागरीक में निर्माण करें ऐसी ही अपेक्षा शिक्षकों से है। समारोह की अध्यक्षता कर रहे संघ संरक्षक संतोषचंद सुराणा ने शिक्षक को ईश्वर के पश्चात का दर्जा देते हुए कहाकि शिक्षक को ऐसा कार्य करना चाहिये जिससे ईश्वर के बाद उसे ही पूजा जाये। समारोह के प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा भारत माता व विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इसके बाद जिलाध्यक्ष बिरदीचंद वैष्णव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए महावीर प्रसाद सिंहल के कार्यों की सहराना करते हुए उनसे प्रेरणा लेने की बात कहीं। सेवा निवृति समारोह में अभिनंदन करने पर महावीर प्रसाद सिंहल ने सभी का धन्यवाद देते हुए कहाकि जीवन में संगठन के माध्यम से शिक्षकों की सेवा करना ही बड़ा धर्म है। समारोह में अध्यक्ष जितेन्द्रसिंह राठौड़ व मंत्री सुरेश चौहान ने भी अपने विचार रखे। समारोह में पालिकाध्यक्ष रतनलाल नायक सहित भाजपा के अनेक पदाधिकारी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन घनश्याम नागोरिया ने किया।
PIYUSH RATHI

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