भाषा व संस्कृति को बचाने के लिये संघर्ष करना पडता है

राज्यस्तरीय सिन्धी भाषा स्वर्ण जयंती सात रथयात्राओं का समारोहपूर्वक समापन

Untitled-1अजमेर/जयपुर 1 जनवरी – जिस समाज के पास जमीन नहीं होती उसको भाषा व संस्कृति को बचाये रखने के लिये संघर्ष करना पडता है और आप समाज के सजग प्रहरी बनकर भाषा व संस्कृति को युवा पीढी तक पहुंचाने के लिये प्रयासरत है, निष्चित रूप से यह बीज फलीभूत होगा। ऐसे आर्षीवचन महामण्डलेष्वर हंसराम उदासीन, हरिषेवा सनातन आश्रम भीलवाडा ने भारतीय सिन्धु सभा की ओर से राजस्थान सिन्धी अकादमी के सहयोग से सिन्धी भाषा की मान्यता के स्वर्ण जयंती वर्ष में जन जागरण के लिये राज्यभर में 23 दिसम्बर से तीर्थराज पुष्कर से प्रारम्भ हुये 9 दिवसीय सात संभागीय रथों के समापन समारोह जयपुर स्थित ष्याम ऑडिटोरियम में प्रकट किये। उन्होने कहा कि सिन्ध मिलकर अखण्ड भारत बनेगा और पवित्र धरती जहां प्राचीनतम सभ्यता संस्कृति का उद्घम स्थल है व वेदो की रचना हुई उसका सदैव स्मरण करना है। सिन्ध प्रदेष है और सिन्धु हमारा सनातन संस्कृति है, जिसे समझना जरूरी है। भारतीय सिन्धु सभा व राजस्थान सिन्धी अकादमी की ओर से सिन्धी भाषा की अलख जगाने व सभ्यता को बचाने के लिये जो प्रयास हो रहे है वह सराहनीय है।
श्री अमरापुर स्थान जयपुर के संत नंदलाल ने कहा कि भाषा व संस्कृति को बढावा देने के लिये जो प्रयास किये जा रहे हैं उसमें प्रेम प्रकाष मण्डल द्वारा भी देष भर में सभी को जोडनें के प्रयास में सहयोग किया जायेगा।
सिन्धी भाषा, साहित्य, कला एवं संस्कृति के विकास के लिये कटिबद्ध – राजानी
राजस्थान सिन्धी अकादमी के अध्यक्ष हरीष राजानी कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कहा कि किसी भी सभ्यता की रीड की हड्डी उसका संगठन एवं भाषा होती है, इसलिये हमें संगठित होकर भाषा के विकास के लिये कार्य करना होगा। अकादमी राज्य के सिन्धी संगठनों के सहयोग से राज्यभर में सिन्धी भाषा, साहित्य, कला एवं संस्कृति के विकास के लिये कटिबद्ध है एवं पूज्य सिन्धी पंचायतों एवं सिन्धी संस्थाओं के सहयोग के लिये सदैव तत्पर है।
मुख्य वक्ता डॉ. मोहनलाल छीपा पूर्व कुलपति, अटलबिहारी हिन्दी विष्वविद्यालय, भोपाल ने कहा कि अपनी भाषा के प्रति सभी को गर्व करना चाहिए और हमें षोध कार्याें हेतु विद्यार्थियों को सिन्ध के गौरवमयी इतिहास की जानकारी देकर तैयार करना चाहिये और उनके कार्यकाल में महर्षि दयानन्द सरस्वती विष्वविद्यलाय, अजमेर में प्रारम्भ हुई सिन्धु षोध पीठ से सभी को जोडने का आव्हान किया और कहा कि भाषा रहेगी तो ही वजूद रहेगा।
सभा के मार्गदर्षक मा. कैलाषचन्द जी व प्रदेश अध्यक्ष दादा लेखराज माधु ने रथ यात्रा के सफल आयोजन के लिए पूज्य सिन्धी पंचायतों व समाज के सभी संगठनों के सहयोग के लिये धन्यवाद देते हुये इसी तरह आगे भी गतिविधियों में सहयोग की अपील की।

प्रदेष संगठन महामंत्री मोहनलाल वाधवाणी ने कहा कि रथ यात्रा के साथ समाज में नई क्रांति का संचार हुआ है। स्वर्ण जयंती वर्ष के समापन पर राज्य स्तरीय एक बड़ा सम्मेलन कराया जायेगा।
प्रचार सचिव घनष्याम हरवाणी ने बताया कि रथयात्रा में सहयोग करने वाले कार्यकर्ताओं को संतो द्वारा अभिनंदन कर आर्षीवाद दिया गया।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण पूर्व कुलपति मनोहरलाल कालरा व आभार सह- संगठन मंत्री डॉ. कैलाष षिवलाणी ने व मंच का संचालन प्रदेष महामंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने किया। ष्षुभारम्भ भारत माता, सिन्ध, स्वामी टेउराम, जगद्गुरू श्रीचन्द भगवान केचित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन से किया गया व अंत में सामूहिक राष्ट्रगान किया गया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम अजमेर के घनष्याम भगत एण्ड पार्टी ने प्रस्तुत किया जिसे सभी ने सराहा व सामूहिक छेज लगाकर सभी को झुमाकर माहौल को आनंदमयी बना दिया। कार्यक्रम में सभा के प्रदेष पदाधिकारी, राजस्थान सिन्धी अकादमी सचिव ईष्वरलाल मोरवानी सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे।
सिन्धी भाषा ज्ञान परीक्षा व पंजीयन 14 जनवरी मकर संक्राति तक बढाया गया-
प्रदेष प्रभारी डॉ. प्रदीप गेहाणी ने बताया कि राज्य स्तरीय सिन्धी भाषा ज्ञान परीक्षा हेतु पंजीयन की अवधि 14 जनवरी 2018 तक बढाई गई है व आनलाइन परीक्षा भी 14 जनवरी तक आब्जेटिव टाईप में रहेगी, जिसका आज षुभारम्भ किया गया।

(घनष्याम हरवाणी)
मो.9414631255

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