रामकृष्ण का जीवन त्याग की प्रतिमूर्ति -स्वामी गुरुकृपानंद पुरी

श्रीरामकृष्ण स्मारक पर मनायी जयंती

ठाकुर रामकृष्ण परमहंस का जीवन कामिनी कांचन से सर्वथा दूर त्याग की प्रतिमूर्ति था। पराधीन भारत में जहांँ ऊँंच नीच का भाव व्याप्त था तब लोगों के आचार और व्यवहार में धर्म के अहंकार के भाव को समाप्त कर समत्व का भाव पैदा करने हेतु ठाकुर ने अनेक लीलाएं रचीं। गीता का मूल संदेष त्याग ही है। बारम्बार गीता पढ़ने की अपेक्षा त्याग भाव को जीवन में उतारने का प्रयत्न करना चाहिए। रामकृष्ण का जीवन हमें बताता है कि व्यक्ति संसार के समस्त दायित्वों का निर्वहन करते हुए भी त्याग, श्रद्धा और समर्पण को जीवन में अपनाकर ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। श्रीठाकुर का जीवन आत्मा के मोक्ष एवं जगद्कल्याण का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। समस्त विश्व को वेदान्त का दर्शन कराने वाले स्वामी विवेकानन्द भी ठाकुर रामकृष्ण परमहंस की कृपा से ही भारत को प्राप्त हुए और देवभूमि धरा भारत की यह आध्यात्मिक शक्ति आज भी है और नए स्वामी विवेकानंद पैदा कर सकती है। आवष्यकता है ठाकुर की शिक्षा को ग्रहण करने की। ठाकुर रामकृष्ण के स्वप्न को लेकर विवेकानन्द केन्द्र समाज में योग स्वाध्याय एवं संस्कार के माध्यम से विद्यालय एवं महाविद्यालय के युवाओं के बीच त्याग और सेवा का भाव लेकर उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। उक्त विचार आदर्श नगर स्थित रामकृष्ण आश्रम के महंत गुरुकृपानंद पुरी ने आध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी की अजमेर शाखा द्वारा श्रीरामकृष्ण सर्किल पर आज 18 फरवरी को प्रातःकाल आयोजित श्रीरामकृष्ण जयंती समारोह के अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सारा ध्यान तन को स्वस्थ रखने पर लगाने के बजाय थोड़ा बहुत ध्यान अपने मन को शुद्ध व समर्थ बनाने में भी लगाना चाहिए। यदि हम जिव्हा की रसना पर नियंत्रण स्थापित कर लेते हैं तो हमारे लिए सांसारिक जीवन और अंतमः उससे मुक्ति भी सहज हो जाता है।
ठाकुर की 183वीं जयंती के उपलक्ष्य पर हुए इस कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वामीजी के सानिध्य में सभी भक्तों ने दीप प्रज्जवलित करते हुए ठाकुर के श्रीचरणों में पुष्पार्पण किया। बंगाली व हिन्दी भजनों की मधुर स्वर लहरियों से सम्पूर्ण वातावरण भक्तिमय हो गया। केन्द्र के नगर प्रमुख रविन्द्र जैन ने बताया कि ठाकुर की जयन्ती पर महापौर श्री धर्मेन्द्र गहलोत के निर्देश पर नगर निगम द्वारा स्मारक की साफ-सफाई सहितं रौशनी व सजावट की विशेष व्यवस्था की गई। इस अवसर पर पार्षद अनीश मोयल ने ठाकुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। केन्द्र भारती के सहसंपादक उमेश कुमार चौरसिया, डॉ. स्वतन्त्र शर्मा, श्री रवि गोयल, विवेक भारद्वाज, सत्यदेव शर्मा एवं जय गोयल ने भी विचार व्यक्त किए। ठाकुर के भजनों का संकीर्तन करने में विभाग प्रमुख अविनाश शर्मा, विभाग व्यवस्था प्रमुख महेश शर्मा, सह नगर प्रमुख अखिल शर्मा, व्यवस्था प्रमुख नितिन गोयल, भारत भार्गव, विश्वा शर्मा, राजरानी कुशवाहा, पंकज पूनिया और सुरेश लामा का भी सहयोग रहा।

रविन्द्र जैन
नगर प्रमुख
9414618062

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