मौरुसी अमला शेष मांगों पर बातचीत नहीं होने तक आंदोलन की घोषणा पर कायम

अजमेर 7 जुलाई। दाखिल खारिज को लेकर चल रहे दरगाह कमेटी और मौरूसी अमले के बीच का विवाद अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय तक पहुंचते ही दरगाह कमेटी दफ्तर में हलचल शुरू हो गई है अमले का दावा है कि दबाव में नाजिम ने दाखिल खारिज प्रक्रिया शुरू की है मगर अधूरी, शेष मांगों पर बातचीत नहीं होने तक आंदोलन की घोषणा पर कायम रहेंगे।
मौरूसी अमले के वरिष्ठ सदस्य हाजी करीम अली एवं मुजफ्फर भारती ने दावा किया कि उर्स में धार्मिक रस्मों से अमले की बायकॉट करने की घोषणा के बाद सारा मामला केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय तक पहुंचाया गया था । जिसके बाद बुधवार को दरगाह कमेटी दफ्तर में दाखिल खारिज को लेकर हलचल शुरू हुई और फातिहा खां जुबेर अहमद एवं नक्कारची मोहम्मद दिलनवाज़ के आवेदनों पर नोटिस चस्पा किए गए हैं, लेकिन अमले के दोनों सदस्यों का दावा है कि दरगाह नाजिम ने अमले की बहिष्कार की घोषणा के दबाव में दाखिल खारिज प्रक्रिया शुरू की है मगर समस्त लंबित प्रकरणों में कार्यवाही करने के बजाए केवल 2 प्रकरणों मैं नोटिस चस्पा करना दरगाह प्रशासन की नीयत पर सवालिया निशान लगा रहा है।
अमले का आरोप है कि दरगाह नाजिम अभी अपने अड़ियल रवैया पर कायम है और सभी लंबित प्रकरणों तथा अमले की शेष मांगों पर विचार किए बिना दरगाह प्रशासन द्वारा केवल 2 पदों के लिए नोटिस चस्पा करना शेष मांगों को ठंडे बस्ते में डालना है इसलिए किसी सूरत में भी इस प्रकार की आंशिक कार्रवाई स्वीकार नहीं की जाएगी और वह अपनी पूर्व में की गई घोषणा पर कायम है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चस्पा किए गए नोटिसों में 3 मार्च कि दिनांक अंकित है जबकि नोटिस 7 मार्च की शाम को चस्पा किए गए हैं जो दरगाह कमेटी की हड़बड़ाहट जाहिर कर रहा है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सहायक नाजिम मोहम्मद आदिल और सुपरवाइजर शाहनवाज शाह के स्थानांतरण दाखिल खारिज की समयबद्ध प्रक्रिया के निर्धारण पूर्व दरगाह नाजिम अहमद रजा द्वारा निकाले गए आदेश की मौरूसी अमले को एक्ट के मुताबिक मिलने वाले अनुलाभ प्रथागत अधिकार समय पर देने एवं देग व लंगर के ज़रे चाहरम मेडिकल एवं शिक्षा अनुदान प्रदान करने की समय सीमा तय करने से कम पर किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा वह अपनी आंदोलन की घोषणा पर कायम रहेंगे। दरगाह प्रशासन को इस बात पर गौर करना चाहिए कि पिछले दो-तीन वर्षों से लंबित पड़े प्रकरणों के पदों पर कौन खिदमत अंजाम दे रहा है जो दरगाह कमेटी को आंदोलन की धमकी के बाद दाखिल खारिज करने की सुध आई जो लोग इस प्रक्रिया को रोकने लंबित करने के लिए जिम्मेदार हैं उनके विरुद्ध यदि कार्यवाही नहीं होती है तो समझोता किसी कीमत पर भी नहीं होगा

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