अजमेर। विश्व प्रसिद्ध सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 806 वां सालाना उर्स चांद दिखने के अनुसार 18-19 मार्च से शुरु होगा। यह जानकारी देते हुए ख्वाजा साहब के गद्दीनशीन एस. एफ. हसन चिश्ती ने बताया कि उर्स में देश-विदेश के लाखों जायरीन विभिन्न धर्मों एवं जाति के लोग हिस्सा लेंगे। इस अवसर पर चांद दिखने के साथ ख्वाजा साहब की मजार पर केवडे एवं गुलाबजल से खुद्दाम-ए-ख्वाजा गुसल देंगे व मुल्क की खुशहाली व मौजूदा जायरीनों के लिए दुआ करेंगे। यह सिलसिला चांदरात से लेकर चांद की 5 रात्रि तक चलेगा। 18 मार्च को सुबह जन्नती दरवाजा खोला जायेगा जो कि सालाना उर्स की छठी के कुल के बाद बंद कर दिया जायेगा। हसन चिश्ती ने बतायाकि इस अवसर पर दरगाह सहित पूरे अजमेर में उर्स की रौनक देखने को मिलती है साथ ही साथ दरगाह को विशेष रोशनी से सजाया जायेगा और जायरीन-ए-ख्वाजा अपनी-अपनी श्रद्धा अनुसार बड़ी सख्ंया में ख्वाजा साहब की मजार पर एकत्रित होकर चादर चढ़ाते है। केवडा, गुलाबजल व संदल खुद्दाम-ए-ख्वाजा जायरीनों को प्रसाद के लिए वितरण करते है। 17 मार्च को ख्वाजा साहब की मजार पर सालभर चढ़ाया जाने वाला संदल खुद्दाम-ए-ख्वाजा मजार से उतारकर जायरीनों को वितरण करते है। 14 मार्च को बुलंद दरवाजे पर असर की नमाज के बाद झंडा चढ़ाया जायेगा। 18 मार्च को उत्तर प्रदेश की विभिन्न दरगाहों से छड़ी का जुलूस दिल्ली होता हुआ अजमेर 18 मार्च को पहुंचेगा जहां अजमेर में दरगाह के सभी दरवाजों पर छड़ी (झंडे) लगाये जायेंगे। यह जुलूस उत्तर प्रदेश से मलंग लोग पैदल अजमेर लेकर आते है और उत्तर प्रदेश सहित अजमेर में भी इस महीने को छडिय़ों का महिना कहा जाता है। ज्ञात रहे यह छडिय़ों का जुलूस ख्वाजा साहब के खलीफा हजरत ख्वाजा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी ने शुरु किया था जिनकी दरगाह दिल्ली महरौली स्थित कुतुबमीनार के पास है।
(एस. एफ. हसन चिश्ती)
गद्दीनशीन ख्वाजा साहब
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