बज्मे मौसिकी महान गायकों को श्रद्धांजलीं प्रोग्राम रखा गया

दरगाह समपर्क सडक पर बज्मे मौसिकी महान गायकों को श्रद्धांजलीं प्रोग्राम रखा गया सर्वे प्रथम महान सूफी संत हज़रात ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती साहब की मनकबद हसनेन के प्यारे हैं से शुरू हुआ जिसे गायक दिलनिसार खान ने प्रस्तुत किया पहला गीत से मशहूर गायक मोहम्मद रफ़ी साहब को श्रद्धांजलि दी गयी जिसे मोहम्मद शफीक ने गया खादिम नवाज़ ने मुकेश जी का गीत कहीं दूर जॉब दिन ढल जाए गाकर मुकेश जी की आवाज़ में गाकर उनकी यादें ताज़ा की. मोहम्मद रफ़ी का गीत गाकर में निगाहें तेरे चेरे से गाकर मोहम्मद अख्तर ने समां बंधा ये तेरी सादगी ये तेरा बंक पन खूब दाद हासिल की मोहम्मद शफी ने रफ़ी सहाब के विषत में बताय और भरी दुनिया में आखिर दीवाने कहा जाए अपनी दिलकश आवाज़ में पेश किया एक उभरते हुए कलाकार चेतन ने क्लासिकल गीत मेरे डोलना सुन मेरे प्यार की धुन गीत गाकर माहौल को क्लासिकल बनाया.क्लासिकल सिख रहे वसीम खान ने अपनी खनकती हुई आवाज़ में किशोर कुमार का गीत जिंदगी के सफर में सुना कर लोगो को तालियां बजने पर मजबूर किया . साबिर ने आभिजा आभिजा गीत प्रस्तुत किया सभी कलाकारों ने मिलाकर अमर अकबर अन्थोनी की वो क़व्वाली प्रस्तुत की पर्दा हे पर्दा ेश की प्रोग्राम का मुख्य आकर्षण रहा मोहम्मद रफ़ी साहब के चौकीदार गाते कीपर मोहम्मद हनीफ रहे उनका कहना रहा की उनको एक बार मोहम्मद रफ़ी साहब की झूटी चाय पिने का मौका मिला उन्होंने बताया की अगर मेरे गरीब नवाज़ फिल्म में अनवर की गयी गजल कस्मे उनकी याद में गाते चले गए अगर अनवर साहब नहीं गाते तो य मौका उनको दिया जाता. मोहम्मद हनीफ साहब के हाथो ही मोहम्मद रफ़ी साहब की चतर पर माल्या अर्पण कर बज्मे मौसिकी का य प्रोग्राम आरम्भ हुआ. मंच संचालक मोहम्मद शफी और खादिम नवाज़ ने किया.

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