किसानों की आय दुगुनी करने के लिए हुआ मंथन

अजमेर, 17 मार्च। परियोजना निदेशक आत्मा, कृषि विभाग, कृषि विकास केन्द्र तबीजी एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद राष्ट्रीय बिजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र तबीजी के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को जिला स्तरीय उन्नत किसान मेला, प्रदर्शनी एवं संगोष्ठी आयोजित की गई। इसमें

किसान मेले के मुख्य अतिथि संसदीय सचिव श्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि सरकार किसानों की आय दुगुनी करने के लिए प्रत्येक स्तर पर प्रयास कर रही है। इन प्रयासों को एक सम्मिलित रूप देकर जन आंदोलन बनाने की आवश्यकता है। कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति की परख करने के लिए सोयल हैल्थ कार्ड योजना आरम्भ की है। इससे भूमि की आवश्यकता के अनुरूप खाद एवं अन्य सामग्री देने से किसानों को बचत होगी। साथ ही उत्पादन में भी वृद्धि होगी।

उन्होंने कहा कि भारत की कृषि मानसून पर निर्भर है। मौसमी प्रभाव से फसल को बचाकर किसान आय में वृद्धि कर सकते है। कृषि के साथ-साथ अन्य गतिविधियां अपनाकर आय के अन्य स्त्रौत पैदा किए जा सकते है। किसान पोल्ट्री फार्मिंग, पशु पालन, डेयरी, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, शहद तथा मसालों को सह कृषि आर्थिक गतिविधि के रूप में अपना सकते है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की मांग पर 50 हजार रूपए का कर्जा माफ किया है। सरकार आगे भी किसान हित में कार्य करती रहेगी। किसान बीमा योजना जैसी विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए एक जन आंदोलन की आवश्यकता है।

जिला प्रमुख सुश्री वंदना नोगिया ने कहा कि किसानों को फसल का अधिकतम मूल्य प्राप्त करने के लिए बाजार से सीधा जुड़ाव रखना चाहिए। किसानों की आय दुगुनी करने के लिए प्रधानमंत्री स्तर तक से प्रयास किए जा रहे है। इन प्रयासों का प्रतिफल कुछ समय बाद नजर आने लगेगा। किसानों द्वारा मेले के दौरान सीखी गई उन्नत प्रणालियों का उपयोग खेत में करना चाहिए।

सराधना सरपंच श्रीमती मधु परोदा ने कहा कि परम्परागत तरीके से खेती करना किसान के लिए लाभदायक होता है। पशुओं के गोबर को जलाने के स्थान पर इसका उपयोग कैंचुआ खाद बनाने के लिए करना चाहिए। फव्वारा और बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति अपनाने से कम पानी में अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। श्रीमती परौदा ने आह्वान किया कि प्रत्येक किसान को अपने कम से कम एक बच्चे को कृषि विज्ञान विषय में अध्ययन करवाना चाहिए।

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. जे.एस.संधु ने कहा कि किसानों को बरसाती पानी का अधिकतम उपयोग करने के लिए खेत तलाई बनानी चाहिए। बरसाती पानी को शत प्रतिशत काम में लेने वाला किसान समृद्ध हो जाता है। गेंहू के बेकार बूसे में मशरूम का उत्पादन किया जाना लाभकारी होता है। यह प्रोटिन की अधिकता वाला भोज्य पदार्थ है। पशुओं को दाने के स्थान पर जलीय पादप एजोला खिलाना चाहिए। इसका उत्पादन किसान अपने खेत एवं घर पर पानी में स्वयं कर सकते हैं। एजोला के पत्ते बाजार से लिए जा सकते है। इन पत्तों को पानी की खैली अथवा टब में थोड़ी -थोड़ी मात्रा में डाल देने से कुछ दिनों में ही पूरा जल एजोला के पत्तों से भर जाता है। इन पत्तों को पशु को खिलाने से दाने की आवश्यकता नहीं रहती है। थोड़ी से मात्रा में पत्ते पानी में ही छोड़ देने से कुछ दिनों बाद नए पत्ते पैदा हो जाते है। यह पत्ते ही बीत के रूप में दूसरी जगह भी डाले जा सकते है।

कृषि विभाग के उप निदेशक श्री वी.के.शर्मा ने कहा कि किसान मेलों के माध्यम से अनुसंधान एवं तकनीक खेतों तक पहुंचती है। किसान नवाचार देखकर उसे अपनाने की कोशिश करते हैं। राज्य सरकार द्वारा ग्राम का आयोजन इसी प्रकार किए गए थे। इसमें किए गए एमओयू से अजमेर जिले के किसानों को भी लाभ होगा। जिले में कस्टम हॉयरिंग सेन्टर खोले गए है। इन पर उपलब्ध उपकरणों एवं मशीनों को किराए पर लेकर अपना काम कम कीमत में कर सकते है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उद्देश्य हर खेत को पानी पहुंचाकर किसानों की आय 2022 तक दुगुना करना है। वर्तमान में ई मित्र के माध्यम से फॉर्म पोण्ड के लिए आवेदन किया जा सकता है। किसान अपनी बैंक पासबुक, जमाबंदी एवं आधार कार्ड से फॉर्म भर सकते है। सरकार बालिकाओं को कृषि विषय में अध्ययन के प्रोत्साहन के लिए छातर््वृति प्रदान करती है।

उन्होंने कहा कि सरकार न्यनतम समर्थन मूल्य पर चना गेंहू एवं सरसों की खरीद कर रही है। गेंहू भारतीय खाद्यान निगम द्वारा एक हजार 735, राजफैड द्वारा चना 4 हजार 400 तथा सरसों 4 हजार की दर से खरदे जा रहे है। इसके लिए किसानाें को ई मित्र केन्द्र पर पंजीयन कराना होगा। इसमें किसान को मण्डी में आने का समय बताया जाएगा।

किसान विकास केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दिनेश अरोड़ा ने कहा कि किसानों को जैविक खेती अपनाकर आय में वृद्धि करनी चाहिए। किसानों को स्वयं बीज तैयार करना चाहिए। फसल का लगभग 30 प्रतिशत मूल्य बीज के चयन पर निर्भर करता है। बीज उन्नत कोटि का होने से अच्छी फसल उत्पादित होती है। जैव उर्वरकों का उपयोग उत्पादन में वृद्धि करता है। मौसम में बदलाव के अनुसार खेती में भी बदलाव करने से किसान लाभ में रहेंगे।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र तबीजी के निदेशक डॉ. गोपाल लाल ने कहा कि कृषि की लागत कम होने से वह लाभकारी होगी। किसान को बाजार से सीधे जुडतर््कर अपनी फसल बेचनी चाहिए। नवीनतम तकनीक अपनाकर किसान कम लागत में अच्छा उत्पादन कर सकते है।

किसान मेले में विभिन्न श्रेणियों के कृषक पुरस्कार प्रदान किए गए। गुलदाउदी में पीसांगन के श्री टीकमचंद प्रथम, नौरतमल द्वितीय, ओमप्रकाश तृतीय, सफेद गेंदी में टीकमचंद प्रथम, नौरतमल द्वितीय, भवंर लाल तृतीय, नौरंगा में मोहन लाल प्रथम, नौरतमल द्वितीय, भारमल तृतीय, हजारा में टीकमचंद प्रथम, नौरतमल द्वितीय, भंवर लाल तृतीय रहे। टमाटर में लेखराज प्रथम, कनैहया द्वितीय, नंदलाल तृतीय, बैगन में बुद्धाराम प्रथम, नंदलाल द्वितीय, खेमचंद तृतीय, प्याज में नौरतमल प्रथम, लहसुन में हेमराज प्रथम, नौरतमल द्वितीय, फुलगोभी में नौश्रतमल प्रथम, हेमराज द्वितीय, लौकी में गंगाराम प्रथम, लेखराज द्वितीय, बेर में श्याम सुन्दर प्रथम, अमरूद में नंदलाल प्रथम, गरिमा द्वितीय, अनार में नंदलाल प्रथम, गंगाराम द्वितीय, गरिमा तृतीय, नींबू में नौरतमल प्रथम, नंदलाल द्वितीय, पपीता में नंदलाल प्रथम रहे। इसी प्रकार प्रदर्शनियों में कृषि विकास केन्द्र एवं कास्ता की प्रथम, ईफको एवं कुमुद मोटर्स की द्वितीय, बीजीय अनुसंधान केन्द्र एवं क्लाउज सीड्स की प्रदर्शनी तृतीय रही।

मेले में डॉ. आर.एस.मीणा, डॉ.गोपाल लाल, डॉ.एन.के.मीणा, डॉ.ए.के.वर्मा, डॉ.आर.डी.मीणा, डॉ. बी .के.मीश्र, डॉ.मूरलीधर मीणा, डॉ.रमाकान्त शर्मा, डॉ. डी.एस भाटी एव डॉ. आर .पोरवाल के संयुक्त प्रयासों से तैयार की गई स्याह जीरा एवं जीरा के संबंध में नवीनतम उत्पादन प्रौद्योगिकी की पुस्तिकाओं तथा धनिया, मैथी, सौंप, अजवायन, जीरा उत्पादन की उन्नत प्रौद्योगिकी और बाजरे का प्रसंस्करण एवं मूल्य संवद्र्धन से पौष्टिक उत्पाद के प्रसार पत्रकों का विमोचन किया गया।

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