निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी के विरोध में बड़ा जन आंदोलन चलाया जाएगा

विजय जैन
अजमेर 10 अप्रैल । केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध अजमेर के निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा शिक्षा के नाम पर बेधड़क लूट मनमानी फीस वसूलने के साथ किताबों ड्रेस स्टेशनरी के नाम पर अभिभावकों की जेब से पैसा ऐंठने के विरोध में शहर कांग्रेस केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के खिलाफ आंदोलन का मानस बना चुकी है। कांग्रेस की ओर से निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी के विरोध में बड़ा जन आंदोलन चलाया जाएगा।

शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन का आरोप है कि निजी शिक्षण संस्थान बढ़ती हुई फीस के नाम पर अभिभावकों का वित्तीय दोहन कर रहे हैं जबकि CBSE का नियम है कि स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को विश्वास में लिए बगैर फीस नहीं बढ़ा सकता है लेकिन निजी विद्यालयों द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है प्राइवेट स्कूल नियमों की अनदेखी करके हर बढ़ती क्लास के साथ फीस में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी कर देते हैं यही कारण है कि निजी शिक्षण संस्थानों में पिछले 15 वर्षों में फीस के नाम पर 150 फ़ीसदी बढ़ोतरी की गई है। इतना ही नहीं साल भर किसी न किसी नाम पर स्कूल माता-पिता की जेब काटते ही रहते हैं। आखिर क्यों स्कूल अब शिक्षा केंद्रों की जगह किसी दुकान का सा रूप लेते जा रह हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि एक सरकारी सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से 2017 के बीच स्कूल फीस में बेतहाशा ईजाफा हुआ है। अभिभावकों का स्कूल फीस पर सालाना खर्च 55,00 रुपये से बढ़कर 1,25,000 हो चुका है। स्कूलों की ज्यादा फीस अभिभावको की मुसीबत बन रही है। स्कूलों द्वारा नर्सरी में प्राइमरी से ज्यादा फीस वसूली जा रही है। बच्चों के बढ़ते क्लास के साथ स्कूल फीस में भी बढ़ोतरी करते है। डोनेशन के नाम पर तो कभी बैग, जूतों, कपड़ों के मनमाने दाम लगा कर स्कूलों बच्चों के अभिभावकों से ज्यादा फीस वसूल रहे है। अधिकतर स्कूल किताबों के लिए दुकान तय करते हैं। इतना ही नहीं स्कूल इवेंट्स के नाम पर बार-बार वसूली की जा कर अभिभावकों का वित्तीय दोहन किया जा रहा है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि राजस्थान के अलावा दूसरे प्रदेशों ने प्राइमरी, सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी स्कूलों के लिए फीस की सीमा तय कर दी है। इसके मुताबिक कोई भी प्राइमरी स्कूल सालाना 15,000 रुपये, सेकेंडरी स्कूल 20,000 रुपये और हायर सेकेंडरी स्कूल 22,000 रुपये सालाना से ज्यादा फीस नहीं वसूल सकेंगे। मगर राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने निजी स्कूलों के सामने बिल्कुल घुटने टेके हुए हैं और इन संस्थानों पर राजस्थान सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहा है। शिक्षा में सुधार के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले शिक्षा मंत्री फीस बढ़ोतरी के मामले में चुप्पी साधे हुए हैं जबकि फीस बढ़ोतरी के मामले में कानून बना हुआ है मगर सरकार की लचर स्कूली व्यवस्था के कारण कानून लागू नहीं किया जा रहा है।

शहर कांग्रेस प्रवक्ता मुजफ्फर भारती अनुसार सीबीएसई पैटर्न का सिलेबस एक समान है लेकिन निजी स्कूलों में पब्लिशर्स राइटर्स की संख्या सैकड़ों में है यानी जितने स्कूल उतने प्रकाशकों की किताबें एक ही कक्षा लेकिन स्कूल अलग-अलग तो किताबें भी अलग-अलग नियम अनुसार समान रूप से राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की जो किताबें कोर्स में शामिल की गई हैं समान रूप से सभी स्कूलों को अपने संस्थानों में उन्हीं पुस्तकों को शामिल रखना चाहिए मगर लगातार देखने में आया है कि निजी स्कूल सीबीएसई के निर्देशों को अनदेखा करते हैं जिससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है NCERT की पुस्तकों के मुकाबले निजी प्रकाशकों की किताबें 80 फ़ीसदी महंगी होती हैं और हर बुक सेलर के पास दर्जनों स्कूल का ठेका है। कांग्रेस प्रवक्ता के अनुसार NCERT की पहली क्लास का कोर्स ₹300 है तो प्राइवेट स्कूलों द्वारा निजी प्रकाशकों की पुस्तकों को लागू करने के कारण 15:00 सौ से ₹4000 तक का है मगर 40 से 50 फ़ीसदी कमीशन के चक्कर में निजी शिक्षण संस्थान प्राइवेट प्रकाशकों की पुस्तकों पर जोर देकर एनसीईआरटी की पुस्तकों के नियम का उल्लंघन कर रहे हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार और CBSE के अधिकारी निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी के विरुद्ध केवल आदेश निकालकर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते हैं असल में शिक्षा विभाग की पूरी जिम्मेदारी है कि वह स्कूलों पर पूरा नियंत्रण रखें और अभिभावकों को निजी स्कूलों के वित्तीय शोषण से निजात दिलाने पर निगरानी रखें। पिछले साल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने देशभर के स्कूलों को केवल मात्र चेतावनी दी थी कि बच्चों को निजी प्रकाशकों की महंगी पुस्तकें खरीदने के लिए मजबूर नहीं करें CBSE के उप सचिव के श्रीनिवासन ने बाकायदा अधिसूचना जारी करते हुए कहा था कि जो स्कूल परिसर में विद्यार्थियों को किताबें यूनिफार्म शूज और स्टेशनरी बेचेंगे या किसी विशेष संस्थान से खरीदने के लिए बाध्य करेंगे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी मगर CBSE अधिकारी का यह आदेश केवल कागजी साबित हुआ और आज भी निजी स्कूलों के छात्रों के अभिभावक निजी प्रकाशकों की पुस्तकें खरीदने पर मजबूर हैं जिससे उन्हें आर्थिक हानि हो रही है।

कांग्रेस शिक्षा से जुड़ी मूलभूत समस्याओं को लेकर जल्द अजमेर स्थित केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय को घेरने का मानस बना चुकी है है।

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