राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को गलत जानकारी देने से नही चूके डाक विभाग के आला अधिकारी

आरटीआई से मिली जानकारी से हुआ खुलासा, रिटायर्ड अधिकारी को हुए एक भुगतान से जुडा है मामला, अब अपनी गलती छुपाने में लगे है पोस्ट विभाग के आला अधिकारी।

अजमेर 19 अप्रैल। अजमेर जीपीओ में कार्यरत रिटायर्ड डिप्टी पोस्ट मास्टर देश बजाज अपने विभाग की उत्पीडन तथा अनावश्यक रूप से परेशान होने करने से व्यतीत होकर प्रेस कान्फ्रेंस के माध्यम से अपने दर्द को आज बताया। बजाज 16.02.2002 को सेवानिवृत हुए और वर्तमान में 75 साल की आयु को प्राप्त कर चुके है। आटीआई से मिली जानकारी और केट के द्वारा दिये गये निर्णय से स्पष्ट होता है कि 57 हजार 732 रूपये 10 पैसे की वेतन एवं भत्तों की अंतर राशी जो की समयावधि 12.03.1984 से 16.08.2002 से सम्बन्धित है, की वसूली करने के तरीके और मिथ्या आरोप लगाने से आकृत होकर के देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति महोदय से न्याय प्राप्त करने हेतु निवेदन कर चुके है। लेकिन विभाग के द्वारा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री महोदय को भी गलत जानकारी देने का मामला आरटीआई से प्राप्त हुआ है। सीएटी जयपुर के द्वारा रिकवरी आदेश को निरस्त करने के बावजुद भी आज दिनांक तक विभाग इनसे वसूली की मांग कर रहा है।
आज की रसोई बैंक्वट हॉल स्वामी कॉम्पलेक्स अजमेर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में आपके द्वारा बताया गया कि पोस्ट ऑफिस में काम करने वाले एक अघिकारी के मामले में चौंकाने वाली बात सामने आई है। इस अधिकारी से जुडे एक भुगतान के मामले में पोस्ट अधिकारियों ने खुद की गलती छुपाने के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमत्री तक को गलत जानकारी देने से नहीं चूके। आरटीआई के तहत मिली जानकारी के बाद अब यह मामला राष्ट्रपति और प्रधानमत्री कार्यालय को गुमराह करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। रिटार्यड अधिकारी ने इस मामले में राष्ट्रपति और प्रधानमत्री से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
क्या है मामला
अजमेर जीपीओ में कार्यरत रिटार्यड डिप्टी पोस्ट मास्टर देश बजाज से जुडा यह मामला 2006 का है। पोस्ट विभाग की ओर से 57 हजार 732 रूपए 10 पैसे की राशि देश बजाज को पे एंड अलाउंसेस के रूप में दी गई थी। इस राशि का भुगतान वेतन चिठठे द्वारा किया गया था। भुगतान के दूसरे ही दिन देश बजाज से यह कहते हुए राशि वापस मांग ली गई कि भुगतान अनियमित हो गया है।
इसके बाद देश बजाज मामले को लेकर 2006 में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेशन ट्रिब्यूनल जयपुर कैट में पहुंच गए। कैट ने मामले मे सुनवाई करते हुए देश बजाज की रिकवरी आदेश को खारिज कर दिया। कैट ने अपने आदेश में विभाग को शोकास नोटिस देने का निर्णय भी दिया।
देश बजाज ने आरटीआई के तहत पोस्ट विभाग से 2006 में इस मामले से जुडे सारे आदेश और नोटिस पर अपना पक्ष रखने की कॉपियां मांगी। लेकिन पोस्ट विभाग के अधिकारी दस्तावेजों की प्रतियां देने से बचते रहे।
2010 में विभाग के अधिकारियों ने अपनी गलती छपाुने के लिए देश बजाज देश बजाज पर गैर कानूनी और बदनीयती से राशि लेने का आरोप लगा दिया। बगैर साबित किये।
2-8-13 को (आर.टी.आई. के तहत मिली वेतन चिटठे भुगतान के बाद की) भुगतान से पहले की दिखाई एस.एस.पी. अजमेर को यह निर्णय में उन्होने नहीं लिखा। दोनों चिट्ठों की सच्चाई क्यों नहीं लिखी ?
देश बजाज ने मामले में डी.जी. पोस्ट, राष्ट्रपति दिल्ली के पास गुहार लगाई। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से पोस्ट विभाग से मामले की सारी जानकारी मांगी गई। पोस्ट विभाग की ओर से ऊपर सभी को गलत तथ्यों की जानकारी दी गई। इस बात का खुलासा देश बजाज को आरटीआई के तहत मिली जानकारियों से मिला। कुछ दस्तावेज 2011-13 में मिले।
नोट: 1985 से टी.बी.ओ.पी. आदेश के बाद सभी एस.एस.पी. अजमेर ने 2005 तक (20 साल तक) स्वीकार कर लिया, कि श्री देश बजाज ने 14-11-84 का जनरल लाईन का ऑपशन दिया। 30-11-83 का कोई ऑपशन नहीं है। बार-बार गलत रिपोर्ट ऊपर क्यों भेजी गयी।
विभाग से रिकार्ड की गायब
विभाग के अधिकारियों ने अपनी गलती छुपाने के लिए बजाज पर ही गलत तरीके से रूपए लेने का आरोप लगा दिया। बजाज को कई बार मांगने के बाद भी विभाग की ओर से की गई कार्रवाई का कोई भी रिकार्ड उपलब्ध नही कराया गया। हालात ऐसे रहे है कि विभाग ने बताया कि इस मामले से जुडा 1989 से 2003 तक का तो रिकार्ड ही उपलब्ध नहीं है। सवाल उठता है कि बजाज से जुडा इतना महत्वपूर्ण रिकार्ड विभाग से गायब कैसे हुआ। कुछ दस्तावेज के प्रति 2011 से 2013 तक टुकड़ों में दी। सी.आई.सी. नईदिल्ली से दबाव के बाद। एक फटे हुए टुकड़े की भी फोटो प्रति दी। एफ.आई.आर. विभाग में क्यों नहीं दर्ज कराई ?
मजेदार बात ये है कि विभाग की ओर से मामले की जांच के दौरान जिन रिकार्ड का विभाग के पास उपलब्ध नहीं होना बताया गया था। उन रिकार्ड को आरटीआई के तहत दे दिया गया। जैसे एएसपी नार्थ अजमेर की रिपोर्ट में इन दस्तावेजों को जब्त दिखाया गया है। देश बजाज का टीबीओपी का फर्स्ट ऑप्शन एसएसपी अजमेर ने 13 सितंबर 1984 में लिखे पत्र में दर्शाया गया है। इसी के साथ इसी पत्र में आफिस नोट में भी इसी बात को बताया गया है। बजाज का कहना है कि इतने सालों के बाद विभाग अपनी बात को कैसे नकार सकता है। मामला कंाच की तरह साफ है। ‘‘हो सकता है कि देश बजाज का ऑपशन नहीं भेजा गया’’ विभाग ने सच्चाई क्यों नहीं लिखी।
टाइम बाउंड वन ऑपशन के प्रमोशन की दिनंाक नहीं लिखकर फिक्शेसन के ऑप्शन की दिनंाक लिखी गई। जो पूरी तरह गलत है। एसएसपी की ओर इस मामले में दिए गए शपथ पत्र में साफ कहा गया कि ए.एस.पी. नॉर्थ की रपट दिनांक 8-3-2006 की पढ़ने लायक नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब रिकार्ड को पढ़ा ही नहीं जा सकता है तो बजाज के खिलाफ निर्णय किस आधार पर दिया गया।
मामले में केट की ओर से विभाग के रिकवरी आदेश को निरस्त कर दिया था। ऐसे में बजाज का कहना है कि विभाग की ओर से नए आदेश लिए जाए। इसके लिए विभाग को जो भी सहयोग चाहिए वो देने के लिए तैयार है।
सेंटल इंन्फोरमेशन कमीशन ने भी विभाग को गलत बताया
सीआईसी नई दिल्ली ने इस मामले की जांच के बाद इसे विभाग की गलती बताई है।
2011 में इस मामले एसएसपी अजमेर गणपत लाल की ओर से भी जांच की गई थी। गणपत लाल ने अपनी रिपोर्ट में दूसरे एसएसपी पीएन मीणा को दोषी ठहराया है। इस रिर्पोर्ट में यह भी लिखा गया है कि निर्दोष छह लोगों से की गई वसूली भी गलत थी। उनकी रिपोर्ट पर उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
बजाज का कहना है कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के सचिवालय की ओर से चीफ पोस्ट मास्टर जनरल को 31-1-11 पत्र लिखा गया। सीपीएमजी ने पोस्ट मास्टर जनरल अजमेर को 14-3-12 पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी चाही। लेकिन इस पत्र पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
मजेदार बात ये है कि डीजी पोस्ट ने 11 जनवरी 2014 को बजाज को पत्र भेजा कि सीपीएमजी की ओर से बजाज की 9 सितंबर 2013 की शिकायत पर इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया गया है। आश्चर्य की बात है कि कम्प्यूटर के युग में एक साल तक छोटे अधिकारी बडे अधिकारियों को कोई जवाब नहीं दे रहे है। क्या यह संभव है ?
फिर लगाई प्रधानमंत्री से गुहार
नरेद्र मोदी के प्रधानमत्री बनने के बाद बजाज की ओर से अपनी पीडा लिखकर कार्रवाई की मांग की गई। विभाग ने प्रधानमत्री कार्यालय को दूसरे जवाब तो भेज दिए लेकिन उन सभी बातों और सवालों का जवाब नहीं दिया जो बजाज ने उठाए। बजाज का कहना है कि जब विभाग के पास रिकार्ड नहीं है। रिकार्ड गायब है तो उसकी एफआईआर दर्ज कयंू नहीं कराई गई। बजाज की मांग है कि इस पूरे मामले में विभाग के अलावा की स्वतंत्र ऐजेंसी से निष्पक्ष जांच कराकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
इनके द्वारा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के आधार पर निष्पक्ष व्यक्ति/एजेन्सी से जांच कराकर दोषी कर्मचारी/अधिकारियों के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही करने की मांग की गयी है। इसके अतिरिक्त रहे हुए बकाया पेशन एरियर का मय ब्याज की राशी की मांग की गयी है। इस प्रेसवार्ता में कश्मीर सिंह, डॉ शेवक टिकयानी, एडवोकेट भगवान नाजकानी उपस्थित थे।

देश बजाज
सेवानिवृत डिप्टी पोस्ट मास्टर
मो. 9460177576

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