मन, वचन, कर्म से एक बनें- बहन संगीता

केकड़ी :-इंसान को अपने जीवन में मन से,वचन से,कर्म से एक बनना चाहिए,नेक बनना चाहिए। जहां कथनी और करनी में अंतर आ जाता है वहां राग द्वेष पैदा हो जाता है अगर इससे बचना है तो जैसा हमारा कथन हो वैसा ही हमारे कर्म भी होना चाहिए उक्त उद्गार बहन संगीता ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मंडल प्रवक्ता राम चंद टहलानी के अनुसार बहन संगीता ने कहा कि परमात्मा के हर कार्य को पहल दें फिर देखो आपके हर कार्य स्वयं परमात्मा करेंगे आप एक कदम बढ़ाओगे परमात्मा सौ कदम चल कर आएंगे।परमात्मा के चिंतन मनन करने से आत्मा को सुकून मिलता है इंसान एक चित,एक मन होकर परमात्मा के स्मरण में ध्यान लगाए तो उसका बेड़ा पार है सादगी ही जीवन का श्रृंगार है संतो महापुरुषों के वचनों को मानना उनके गुणों को जीवन में धारण करना ही सादगी है इस सादगी में सेवा सत्कार करते हैं तो जग में शोभा भी बढ़ती है और इंसान हर पल दास बनकर ही रहता है तो वह ऊंचाइयों को भी प्राप्त करता जाता है।परमात्मा में श्रद्धा रखने से विश्वास रखने से जीवन में सुंदरता आती है फिर उठना-बैठना,चलना-फिरना,खाना- पीना सभी मुर्शद सिखाता है इंसान अपने जीवन में किसी को गिराऐं नहीं बस उठाने का, संभालने का भाव रखें,किसी को तोड़े नहीं सिर्फ जोड़ने का भाव रखें तो भी उसका जीवन सुंदर बन जाता है परमात्मा ने हमें क्या दिया है यह भाव नहीं रखना हमने क्या अर्पण किया यह मायने रखता है।इंसान को कुछ अर्पण करना है तो अपना लोभ,मोह, अहंकार,काम,क्रोध अर्पण करे तो जीवन सरल बन जाता है अगर ये साथ रहे तो जीवन में विनाश ही विनाश है।
सत्संग के दौरान सानिया,प्रेम, मोहित,गौरव,सुमन,दीपक,रामचंद्र,आरती,हर्षा,रेणू,रतनचंद, रिशिता,मंजू,माया,अक्षिता,शीतल, गोपाल आदि ने गीत, विचार,भजन प्रस्तुत किए संचालन नरेश कारिहा ने किया।

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