निजी स्कूलों में मनमानी फीस वसूली जारी

*शिक्षा मंत्री के आदेशों की भी परवाह नहीं*
*केकड़ी* अजमेर।
राज्य के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी के सख्त निर्देश के बावजूद क्षेत्र के निजी स्कूलों के संचालक बच्चों के प्रवेश के दौरान सालाना फीस मनमाने तरीके से वसूल रहे हैं। शिक्षा विभाग ऐसे निजी स्कूलों के खिलाफ अभी तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाया है। शिक्षा विभाग ने सिर्फ स्कूलों को पत्र लिखकर फीस निर्धारण कमेटी गठन संबंधित जानकारी मांग कर कागजी कार्रवाई जरूर पूरी की है। सूत्रों के अनुसार निजी स्कूल संचालकों ने फीस एक्ट नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रखा है। अभी भी स्कूल संचालक मनमाने तरीके से फीस वसूल रहे हैं। ऐसे में मनमानी फीस वसूली से बच्चों के अभिभावकों का आर्थिक भार बढ़ रहा है।
शहर के कई छोटे-मोटे स्कूल है जिनको राज्य सरकार के फीस एक्ट के आदेश की परवाह नहीं। और तो और यह स्कूल संचालक बच्चों से गर्मी की छुट्टियों की भी फीस सालाना फीस में जोड़कर पूर्व की तरह वसूल रहे हैं जबकि गत वर्ष कोर्ट द्वारा ग्रीष्मकालीन अवकाश की फीस बच्चों से नहीं लिए जाने के आदेश जारी किए गए थे हालांकि निजी स्कूल संचालकों के अनुसार राज्य सरकार द्वारा इस बारे में कोई स्प्ष्ट निर्देश प्राप्त नहीं हुए है।
शहर में मान्यता प्राप्त 18 छोटे-मोटे निजी मिडिल स्कूल संचालित हैं वहीं केकड़ी ब्लॉक में शहर सहित 59 मिडिल स्कूल संचालित हैं। इनके अलावा शहर में करीब एक दर्जन माध्यमिक व उच्च माध्यमिक निजी स्कूलों सहित क्षेत्र में करीब दो दर्जन निजी स्कूल संचालित है। इन स्कूलों के अलावा करीब दो दर्जन स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक मान्यता प्राप्त नहीं की है और वह बिना किसी रोक-टोक के अवैध रूप से संचालित किए जा रहे हैं। ऐसे स्कूलों के खिलाफ भी शिक्षा विभाग ने कोई सख्त कार्रवाई नहीं की है।
इधर बच्चों के अभिभावक निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो स्कूल संचालक बच्चों की टीसी काटने की धमकी देते हैं। अभिभावकों को डर है कि शिकायत करने पर कहीं उनके बच्चों को स्कूल से न निकाल दिया जाए। हर साल 2 साल में यह स्कूल संचालक अपने मनमाने तरीके से फीस बढ़ाते रहे हैं। हर दो साल में स्कूल की यूनिफार्म किताबें बदलना तथा शिक्षा सामग्री सहित यूनिफार्म आदि स्कूल से ही लेने के लिए बाध्य करना आम बात हो गई है।
जिला शिक्षा अधिकारी ने जिले सहित क्षेत्र के सभी निजी स्कूलों को पत्र लिखकर फीस निर्धारित कमेटी गठन करने की जानकारी मांगी है। इसके बावजूद कई स्कूलों ने तो पत्र का जवाब तक नहीं दिया वह सरकारी आदेश क्या मानेंगे ! ऐसे में बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की चिंता में अभिभावकों को स्कूलों की मनमानी सहन करना मजबूरी बन गया है।

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