श्री क्षत्रिय सभा केकड़ी द्वारा महाराणा प्रताप जयंती मनाई गई

केकड़ी,
श्री क्षत्रिय सभा केकड़ी द्वारा महाराणा प्रताप जयंती आज नगरपालिका रंगमंच पर समारोह पूर्वक मनाई गई,इस समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास थे व
कार्यक्रम की अध्यक्षता लोकसेवा आयोग सदस्य डॉ शिव सिंह राठौड़ ने की व विशिष्ठ अतिथि यशवर्धन सिंह,भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी राजेन्द्र सिंह शेखावत,महेंद्र सिंह कड़ेल,शिव सिंह शेखावत,दशरथ सिंह तंवर, थे,प्रारम्भ में अतिथियों ने महाराणा प्रताप के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया,
अतिथियों का स्वागत श्री क्षत्रीय सभा के संरक्षक पूर्व प्रधान भूपेंद्र सिंह सावर व नरपत सिंह गुलगांव,अध्यक्षअम्बिका चरण सिंह,महेंद्र सिंह ढोस, वीरभद्र सिंह बघेरा,शंकर सिंह गोड़,समरवीर सिंह,वीर विक्रम सिंह देवलिया,शंकर सिंह राठौड़ सरवाड़,दशरथ सिंह पारा,हनुमान सिंह तसवारिया ,बृजराज सिंह कोहड़ा,गोपाल सिंह कादेड़ा,हनुमान सिंह , भवानी सिंह ,गोपाल सिंह कादेड़ा,देवेंद्र सिंह,पृथ्वी सिंह,घीसू सिंह,अमराव सिंह सोलंकी ने किया,साथ ही मिक्कू सिंह,मोनुसिंह सहित युवाओ ने मुख्यातिथि प्रताप सिंह खाचरियावास का स्वागत किया,
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रतापसिंह खाचरियावास ने उपस्थित समाज बन्धुओ से आव्हान किया कि महाराणा प्रताप स्वाभिमानी व्यक्तित्व के धनी थे और अपनी मातृभूमि के सम्मान के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया था उन्होंने सर्व समाज व तबके के लोगो को संगठित किया व मुगलो की भारी व आधुनिक शस्त्रो से सुसज्जित सेना का मुकाबला तीरकमान व भाले बरछे से किया और अपनी मातृभूमि की रक्षा की क्योकि उनका मनोबल ऊंचा था साथ ही सबसे महत्वपूर्ण बात समय प्रबंधन की थी महाराणा प्रताप को जब लगा कि अभी समय युध्द के अनुकूल नही है तो उन्होंने बातचीत व संधि की बातों में मुगलो को उलझाए रखा ओर उचित समय पर युद्ध किया इसलिए समय का सदुपयोग करे,आपसे यही आव्हान है कि हम राजपूतों का कर्तव्य है सभी कमजोर लोगो की सहायता करना व सभी वर्गों को साथ लेकर चले,
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि शिव सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि महाराणा प्रताप ने छत्तीस कोम को साथ लेकर सेना बनाई और मुगलो से मुकाबला किया मेवाड़ की युद्ध परिषद ने महाराणा प्रताप ओर उदय सिंह को किसी दूसरी जगह भेजने का निर्णय लिया लेकिन महाराणा प्रताप ने कहा कि वे खुद अकबर से मुकाबला कर परास्त करने का निर्णय सुनाया,इसीलिए कहते है कि घोड़ा,तलवार और साफे से महाराणा प्रताप के वंसज नही कहलाते हमारे में कमजोर की रक्षा करना मातृभूमि से प्रेम जैसे महाराणा के लक्षण होने चाहिए,युध्द जीते या हरे पर सामने अपने से सौगुना मजबूत सेना से लड़ने का जज्बा होना चाहिए,कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि यशवर्धन सिंह ने कार्यक्रम में बड़ी संख्या में उपस्थित मातृ शक्ति को नमन करते हुए कहा कि त्याग तपस्या ओर बलिदान की महाराणा प्रताप के जीवन से शिक्षा ग्रहण करते हुए हम क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए जरूरतमंद व कमजोर की सहायता करते हुए समाज मे अपनी पहचान कायम रखे।
भूपेन्द्र सिंह शक्तावत ने स्वागत उद्बोधन दिया व शंकर सिंह गोड ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया,
समारोह में अतिथियों ने खेलकूद प्रतियोगिताओं में विजेता रहे खिलाड़ियों,व प्रतिभावान छात्र-छात्राओ तथा समाज को सहयोग देने वाले भामाशाहोंं को स्मृति चिन्ह देकर पुरष्कृत किया गया।
इससे पूर्व सुबह राजपूत छात्रावास से विशाल वाहन रैली निकाली गई जो नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए नगर पालिका पहुंचकर सम्पन्न हुई रैली में दोपहिया व चौपहिया वाहनों पर राजपूत समाज की महिलाएं,बालिकाएं केसरिया ओढ़नी व परिधान में तथा पुरुष व युवा केसरिया पगड़ी बाँधे
हुए चल रहे थे जिसके आगे आगे घुड़सवार ध्वज धारण किये हुए व 2 वाहनों में महाराणा प्रताप की झांकी सजाई हुई चल रहीथी शोभायात्रा नगर
कार्यक्रम का संचालन बहादुर सिंह शक्तावत ने किया,

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