महाविद्यालय शिक्षकों की नियुक्ति संबंधी रेगुलेशन का स्वागत

अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ से सम्बद्ध रुक्टा (राष्ट्रीय ) ने यूजीसी द्वारा जारी विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षकों की नियुक्ति हेतु न्यूनतम अर्हता तथा उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव संबंधी रेगुलेशन 2018 का स्वागत करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर एवं यूजीसी अध्यक्ष का धन्यवाद ज्ञापित किया है. तथा मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे से राज्य में इसे लागू कर राज्य की उच्च शिक्षा में कार्यरत शिक्षकों को अविलम्ब सातवें वेतन आयोग का लाभ देने की मांग की है .
रुक्टा(राष्ट्रीय) के अध्यक्ष डा दिग्विजय सिंह ने बताया की उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा संगठन के सुझावों और मांगो में से कई पर सकारात्मक रुख दर्शाते हुए व्यापक शिक्षा और शिक्षक हित में रेगुलेशन जो प्रावधान किए उन पर शैक्षिक महासंघ एवं रुक्टा(राष्ट्रीय) संतोष एवं प्रसन्नता व्यक्त करता है-
1.पिछले रेगुलेशन में अत्यंत विवादित एपीआई योजना विदाई की गई है तथा सीएएस योजना के अंतर्गत पदोन्नति प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।
2.एमफिल और पीएचडी जैसी उच्चतर शैक्षिक योग्यता प्राप्त करने पर प्रोत्साहन स्वरूप दी जाने वाली वेतन वृद्धियों को संगठन के तर्क से सहमत होते हुए पुन: प्रारम्भ किया गया है।
3.उच्च शिक्षा संस्थान में शिक्षकों की ठहराव अवधि पूर्व में प्रस्तावित 7 घंटे के स्थान पर महासंघ की मांग के अनुसार 5 घंटे ही रखी गई है।
4.शिक्षकों का अध्यापन कार्य भार,जो पूर्व में न्यूनतम 14 से 16 घंटे प्रस्तावित था, में से संगठन की आपत्ति के बाद न्यूनतम शब्द हटा दिया गया है।
5.लंबित सीएएस पदोन्नति प्रकरणों में एपीआई की छूट अवधि नवीन रेगुलेशन की अधिसूचना जारी होने की तिथि तक बढ़ा दी गई है।
6.संगठन के निरंतर दबाव के चलते अंततः ओरिएंटेशन /रिफ्रेशर कोर्स में छूट की अवधि 31 दिसंबर 2018 तक की गई है।
7.महाविद्यालयों में प्रोफेसर के पदों की सीमा, जो पूर्व के रेगुलेशन में थी, हटा दी गई है ।
8. स्नातक व स्नातकोत्तर प्राचार्य को एक ही प्रोफेसर ग्रेड में रखा गया है।
9. एक रेगुलेशन से दूसरे रेगुलेशन में स्मूथ मूवमेंट के लिए 3 वर्ष का विकल्प दिया गया है।
10.सभी विश्वविद्यालयों से नवीन रेगुलेशन को 6 माह के भीतर लागू करने की बात कही गई है।
इन सब शिक्षक व शिक्षा हितकारी प्रावधानों के किए जाने के बाद भी कुछ ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जो संगठन के लिए चिंता के विषय हैं तथा उच्च शिक्षा व शिक्षकों के व्यापक हित में जिनके विषय में शीघ्र सकारात्मक निर्णय करना अपेक्षित है –
1. देशभर में उच्च शिक्षा का एक समान स्तर बनाए रखने तथा शिक्षकों की एक समान सेवा शर्तों व वेतनमान के लिए आवश्यक है कि नवीन वेतनमान लागू करने में आए अतिरिक्त वित्तीय भार का न्यूनतम 80% कम से कम 5 वर्ष तक केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को पुनर्भरण किया जाए।
2. उच्च शिक्षा की विशिष्टता को देखते हुए तथा सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए इंडेक्स ऑफ रेशनलाइजेशन न्यूनतम 2.72 रखा जाए तथा वेतन नियतन करते समय न्यूनतम गुणांक 2.67 किया जाए।
3. करियर एडवांसमेंट योजना के अंतर्गत महाविद्यालयों में संसाधनों एवं अवसरों की उपलब्धता की न्यूनता को देखते हुए एसोसिएट प्रोफेसर लेवल तक पीएचडी की बाध्यता को समाप्त किया जाए।
4. फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत पीएचडी आदि डिग्री प्राप्त मे लगे समय को नियुक्ति एवं पदोन्नति हेतु शैक्षणिक एवं शोध अनुभव के रूप में गिना जाए।
5. असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति हेतु विश्वविद्यालयों द्वारा यूजीसी रेगुलेशन 2009 को लागू करने की तिथि तक पंजीकृत अभ्यर्थियों को नेट से छूट प्रदान की जाए।
6. कुलपति पद हेतु विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय में प्रोफेसर पद पर 5 वर्ष के अनुभव या 25 वर्ष के कुल अध्यापन अनुभव के प्रोफेसर को पात्र माना जाए।
7.असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर पारदर्शिता से चयन हेतु अभ्यर्थी की अकादमिक उपलब्धियों को न्यूनतम 50% वेटेज दिया जाए।
8. जर्नल के संपादन, कांफ्रेंस में भाग लेने, लोकप्रिय लेख आदि के लिए रिसर्च पॉइंट्स दिए जाएँ।
रुक्टा(राष्ट्रीय) के महामंत्री एवं एबीआरएसएम के राष्ट्रीय सह सचिव डॉ नारायण लाल गुप्ता ने कहा कि राजस्थान के विश्वविद्यालय व महाविद्यालय शिक्षक राज्य सरकार द्वारा सातवें वेतन आयोग के अनुरूप नवीन यूजीसी वेतनमान दिए जाने का बेसब्री से इन्तजार कर रहे हैं. डा गुप्ता ने बताया कि उच्च शिक्षा में कार्यरत शिक्षकों के अलावा सभी राज्य कर्मचारियों को सातवें वेतन का लाभ दे दिया गया है . उन्होंने मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे से इस संबंध में अविलम्ब आदेश जारी करवा न्याय प्रदान करने की मांग की है .
(डा नारायण लाल गुप्ता)

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