चरित्र से इंसान का चरित्र बनता है

केकड़ी:- 25 अगस्त।सत्संग एक पाठशाला है जिसमें इंसान के जीवन का सुधार होता है सत्संग का हर सबक याद कर जीवन में अपनाना होता है। इंसान के चरित्र से ही उसका चित्र प्रकट होता है।उक्त उद्गार संत अशोक ने बणजारा मोहल्ला स्थित राज कमल भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मंडल प्रवक्ता राम चन्द टहलानी के अनुसार सन्त अशोक ने कहा कि इंसान के व्यवहार से,आचरण से,कार्यशैली से उसका चित्र प्रकट होता है क्योंकि आज प्यार,सत्कार,सहनशीलता की जगह निंदा,वैर,विरोध में डेरा जमा रखा है इसलिए इंसान को मानवीय गुणों को अपनाना होगा,उसकी वाणी मिठास भरी हो,उसकी वाणी से किसी का दिल न दुःखे, हर पल सबका हित कर सबका भला मांगना ही उसका आधार होना चाहिए। जिस प्रकार पापी पुन्नी हर बंदे को गंगा स्वीकार करती है ठीक उसी प्रकार सद्गुरु भी पापी से पापी इंसान को भी गले लगाते हैं।सद्गुरु ही परमात्मा का ज्ञान कराकर जीव को भव से पार लगाते हैं।ज्ञान अगर कर्म में ढल जाता है तो जीवन का श्रंगार बनता है।
परमात्मा हर जगह हाजिर नाजिर है कण कण में व्याप्त है पर नादानी के चलते इंसान दर दर भटक रहा है।संतों का संग कर उसके उपदेशों को अपनाने की जरूरत है क्योंकि आज इंसान ही इंसान का बैरी बना हुआ है,हमने जो दिखावे का मुखोटा पहन रखा है उसे उतारना होगा हकीकत का सामना करना होगा दिखावे की दुनिया में दुख ही दुख है हकीकत की दुनिया में,संतो के संग में एवं सत्संग में सुख ही सुख है।
सत्संग के दौरान नमन,गौरव,सान्या,विधी,गीता,भरत,संगीता, रेनू,पायल,नरेश,मोहित,योगिता,सिल्कीआदि ने गीत विचार प्रस्तुत किए संचालन दीपक टहलानी ने किया।

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