रैन बसेरे बने अय्याशियों के अड्डे

अजमेर। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के अनुरूप स्थानीय निकायों ने भले ही बेसहारा और लाचार लोगों के लिए आश्रय स्थल संचालित किये जाने की घोषणा कर दी हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। लाचारों के लिए बनाई गई यह योजना खुद बेसहारा नजर आती है। बात यदि अजमेर नगर निगम द्वारा संचालित किये जा रहे रैन बसेरों की जाए तो यहां के रेन बसेरे बेसहारों की जगह अय्याशियों के अड्डे बने हुए हैं। अजमेर में क्योंकि नगर निगम पर कांग्रेस काबिज है, इसलिए माना जा रहा था की मुख्यमंत्री की सार्थक पहल को गंभीरता से लिया जायेगा, लेकिन अफसोस अजमेर नगर निगम ने मुख्यमंत्री के इस सपने को अय्याशों के भरोसे छोड़ दिया।
लोंगिया इलाके के आश्रय स्थल में कमरे का उपयोग बेसहारा लोगों के लिए नहीं बल्कि स्टोर की तरह किया जा रहा है। नगर निगम द्वारा रखवाई गई पीने के पानी की टंकी का नजारा देखें तो जानवर भी इस पानी को पीना पसंद नहीं करते। पानी की टंकी में डेंगू और मलेरिया को जन्म देने वाले लारवा और कीड़े पनप रहे हैं। भवन का उपयोग बेसहारा लोगों के लिए भले ही न होता हो लेकिन अय्याशी के लिये जरूर किया जाता है। परिसर में यहां वहां दर्जनों शराब की बोतलें और खाली गिलास हकीकत बया कर रहे हैं।
ठीक इसी तरह के ही हाल ट्राम्बे इलाके में आबाद नगर निगम के आश्रय स्थल के हैं। इस भवन की चाबी किसके पास है, यहां रहने वालों तक को पता नहीं। बड़ी मुश्किल से पार्षद के एक मित्र ने चाबी लाकर जब इस भवन को खोला तो यहां भी चारों और बिखरी पड़ी शराब की बोतलें बता रही थी कि इस भवन का क्या उपयोग हो रहा है।
error: Content is protected !!