बढ़ रहे हैं बच्चों के गाॅल ब्लेडर में पथरी के मामले

बच्चों में पेट दर्द को अभिभावक गंभीरता से लें
अजमेर, 16 अक्टूबर( )। बच्चा कभी पेटदर्द की शिकायत करे तो उसे स्कूल ना जाने का बहाना समझना अभिभावकों की बड़ी भूल हो सकती है। बच्चों में पित्ताशय (गाॅल ब्लेडर) की पथरी के मामले इनदिनों बढ़ रहे हैं। ऐसा संक्रमित पानी अथवा भोजन करने, खून की वंशानुगत बीमारी होने एवं उच्च वसायुक्त खाना खाने के कारण हो सकता है।
मित्तल हाॅस्पिटल के जनरल सर्जन डाॅ ब्रिजेश माथुर ने सोमवार को एक एकेडमिक चर्चा में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अभिभावकों के लिए सावधान होने का विषय है कि वे बच्चों में पेट दर्द की आम शिकायत को गंभीरता से लेकर उसकी अपेक्षित जांच कराएं। संभव है बच्चा किसी गंभीर पीड़ा से गुजर रहा हो जो कि आगे चलकर उसे नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने बताया कि बच्चों के पेट के ऊपरी हिस्से में दाहिनी ओर दर्द है तो वह गाॅलस्टोन्स का दर्द भी हो सकता है। कई बार पित्त की थैली में पथरी का एहसास नहीं होता जब तक कि उसके लक्षण दिखाई ना दें। इसका उपचार आॅपरेशन ही है, बिना आॅपरेशन पीलिया या पैन्क्रीयटाइटिस होने की संभावना होती है।
डाॅ ब्रिजेश ने बताया कि हाल ही में मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से स्वस्थ्य होकर घर लौटे मुम्बई हाल नाकामदार निवासी वाई. पराडकर के पुत्र दक्ष पराडकर नामक बालक मिश्रित यानी कीटाणुओं के संक्रमण से जनित गाॅल ब्लेडर की पथरियों से पीड़ित था। उसके पित्ताशय से निकली 30 गहरे पीले रंग की पथरियां संभवतः संक्रमित पानी, संक्रमित खाना, अथवा उच्च वसा वाला या फास्ट फूड सेवन से बनी। उन्होंने बताया कि बच्चे का गाॅल ब्लेडर निकाल दिया गया है अब उसे कोई समस्या नहीं है। लेकिन अभिभावक बच्चों के खान-पान पर थोड़ा ध्यान दें तो बच्चों में बढ़ रही इस पीड़ा से बचा जा सकता है।
डाॅ ब्रिजेश के अनुसार सामान्य तौर पर बच्चों में पित्ताशय की पथरियां बहुत कम ( 5 से 15 प्रतिशत) पाई जाती हैं, वह भी उन बच्चों में जिनमें वंशानुगत खून की बीमारियां (पिगमेंट) होती हैं। उन्होंने बताया कि गाॅल ब्लेडर की पथरी तीन तरह की होती है और इनके कारक को पहचाना भी जा सकता है-
1-हाई कोलेस्ट्रोल पथरीः तला हुआ, फास्ट फूड या उच्च वसायुक्त भोजन करने के कारण होती है। यह सिंगल पीस में हल्के पीले रंग की होती है।
2-पिगमेंट पथरीः वंशानुगत खून की बीमारी के कारण होती है। यह गहरे काले रंग की और अनेक टुकड़ों वाली होती है।
3-मिश्रित पथरीः पानी अथवा भोजन में कीटाणुओं के संक्रमण के कारण होती है। इसका रंग गहरा पीला होता है और इसके भी अनेक टुकड़े होते हैं।
पित्ताशय निकालने से शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं-
एक सवाल के जवाब में डाॅ ब्रिजेश माथुर ने बताया कि पित्त की थैली का काम केवल पित्त (बाइल) का संग्रहण करना होता है। खाना खाने के पहले पित्त जो लिवर से बन कर आता है, पित्त की थैली (गाॅल ब्लेडर) में जमा रहता है। जैसे ही व्यक्ति खाना खाता है यह संग्रहित पित्त थैली से निकल कर पित्त नलिका ( सीबीडी) के जरिए छोटी आंत में पहुंच जाता है। जब गाॅल ब्लेडर निकाल दिया जाता है तो (सीबीडी) कुछ चैड़ी होकर गाॅल ब्लेडर का काम करने लग जाती है।

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