ज्ञान की रोशनी में जीवन जीना है

केकड़ी:-संसार की चमक हमें आगे बढ़ने नहीं देती है अगर हमारा ध्यान संसार में उलझा हुआ है तो हम जकड़न में हैं संत ही हमें भक्ति के साथ-साथ जीवन जीने का ढंग सिखाते हैं उक्त उद्गार संत अशोक ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान वक्त किए।
मंडल प्रवक्ता राम चंद टहलनी के अनुसार संत अशोक ने कहा कि बाहरी आवरण हमें हमेशा परेशान करता है संत ही हमें ज्ञान की रोशनी में जीवन जीना सिखाते हैं।
अगर हमारा दिल दिमाग खाली है तो ही ज्ञान समझ में बैठ पाता है और दूसरों की भक्ति का अगर हमें भी आनंद आ रहा है तो यह खुशी की बात है।
अंधविश्वास की वजह से हम परमात्मा को दिशाओं में तलाश करते हैं श्मशान मडियों में ढूंढते हैं भटकन हमारे मन में हैं हमने भ्रम को दिल दिमाग में बैठा रखा है तो हम कैसे दूसरों को समझा पाएंगे। इंसान की भावना शुद्ध है,संतो महापुरुषों का संग है,सत्संग का साथ है तो ही अज्ञानता का पर्दा हटता है वरना हमारा भविष्य सुरक्षित नहीं है हमारे भ्रम के कारण हमारा डूबना निश्चित है।
जब हमारे जीवन में परमात्मा का ज्ञान जुड़ता है तो हमारा उठना-बैठना, चलना-फिरना मुबारक बन जाता है।
संत ही हमें अंधे कुवें से निकालते हैं भरमों से बचाते हैं,फिर इंसान की अवस्था जिधर देखता हूं उधर तू ही तू है,हर शै में तेरा जलवा हूबहू है,वाली बन जाती है।
हमें फिर हर इंसान परमात्मा की मूरत नजर आती है। अपने बेगाने का,जाति पाति का भेद मिट जाता है।
सत्संग के दौरान रामचंद्र, विवेक,सानिया,प्रेम,दिव्या,निशा,आरती,ओम,संगीता टहलानी आदि ने गीत,विचा,र भजन प्रस्तुत किये, संचलन नरेश कारिहा ने किया।

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