अजमेर पोएट्री क्लब की मासिक गोष्ठी पुलवामा में शहीद हुए जवानों को समर्पित

जयपुर // अजमेर पोएट्री क्लब, जयपुर द्वारा आज बोधि प्रकाशन सी -46, सुदर्शनपुरा मेन रोड, चित्रगुप्त नगर, जयपुर के सभागार में अजमेर पोएट्री क्लब की मासिक काव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया ।
अजमेर पोएट्री क्लब की यह मासिक गोष्ठी पुलवामा में शहीद हुए जवानों को समर्पित रही। अजमेर पोएट्री क्लब के सभी सदस्योँ ने देश के हालात पर अपने अपने नज़रिए से अपनी अपनी बात कही। सभी एकमत थे कि देश में ऐसी घटना गद्दारों के कारण ही संभव है इसलिए सबसे पहले उन्हें ही ढूंढ ढूंढ कर सामने लाना है एवं ऐसा दंडित करना है कि आइंदा कभी कोई गद्दारी करने की सोच भी न सके एवं सांप्रदायिक सौहार्द भी बनाए रखा जा सके ।

अजमेर पोएट्री क्लब की मासिक गोष्ठी के कार्यक्रम का आरंभ पुलवामा शहीदों को श्रद्धांजलि सुमन अर्पित कर दो मिनिट का मौन रख किया गया । सुनीता बिष्णोलिया ने इन खूबसूरत पंक्तियों से कार्यक्रम की शुरुआत की “अश्रु आंखों में हम भर लें याद उनको ज़रा कर लें। वतन पर मिट गये हैं जो आओ उनको अमर कर दें। नूतन गुप्ता ने सवाल किया कि चालीस अली बाबाओं को एक चोर ने कैसे लूट लिया? उसको दरवाज़े का पासवर्ड किसने दिया? शकुन्तला शर्मा ने एक सैनिक की पत्नी के जीवन के बारे में बहुत भावपूर्ण रचना सुनाई ।

मनीष मिश्रा ने भी अपने शब्दों “सीना मेरा तन जाता है ए वीर तेरे बलिदान पर” से श्रृद्धांजलि अर्पित की। रवींद्र पारीक गुरगुल ने अपनी कविता से चकित किया। इतनी छोटी सी उम्र में उसके विचारों में जो गहराई है उस पर शब्दों का चयन, उसे अपने साथियों से पंक्ति में अलग खड़ा करता है। शैलेश सोनी ने ज़िन्दगी भर जिसे कांधे पर घुमाया था आज उसे कांधा दे के कलेजा मुंह को आया था” कविता के माध्यम से सबकी आंखें नम कर दीं।

अर्चना जैन वैसे तो प्रेम और विरह की कविताएं कहती है पर आज उन्होंने भी चंद शब्दों में अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। चित्रा भारद्वाज हमेशा प्रभावित करती हैं। उनकी रचना बेहद सराही गई। सुजीत गौड़ ने भी पहली बार मंच पर अपनी प्रभावी उपस्थित दर्ज करवाई। कविराज चेतन ने “जब मिलेगी विरह वेदना तुम न आंसू बहाना सखी” सुनाई जिसने सभी को गहरे सोच में डूबो दिया।

संध्या बख्शी ने भी देश के हालात पर नजर रखते हुए कविता सुनाई और प्रभावित किया। ज्योत्सना सक्सेना ने दोहे और गीत सुनाकर देश प्रेम की बात की। कवयित्री प्रज्ञा श्रीवास्तव प्रज्ञाञ्जलि ने बहुत ही हुंकार भरती हुई ओजपूर्ण कविता से माहौल में जोश और जुनून भर दिया। वहीं संगीता व्यास की कविता ठंडी फुहार सी प्रतीत हुई। उन्होंने लता और पेड़ के परस्पर संबंध पर खूबसूरत कविता सुनाई।

शहरयार बेग ने सांप्रदायिक सौहार्द की बात कही हम कि “उस मुल्क की मिट्टी से बने हैं जहां के लोगों को सर कटा के सुकूं मिलता है सर झुका के नहीं!”और फिर सभी की फरमाइश पर अपनी एक ग़ज़ल भी सुनाई। अय्यूब खान बिस्मिल ने “लगा के मिट्टी चमन की सीने से रखते हैं” सुनकार सबको भाव विभोर कर दिया। अज़ाज़ उल हक़ शहाब ने “तुमने दी जान वतन पर तुम्हें करते हैं सलाम”सुनाकर अपनी शब्दांजलि दी।

शेखर श्रीवास्तव ने अपने मशहूर मुक्तक ‘हवाओं पे भी लिखता हूं’ से शुरुआत करते हुए मातृभूमि की शान में रचना सुनाई। प्रमोद अग्रवाल ने भी अपने देश प्रेम को प्रर्दशित करते हुए कविता सुनाई। भावना सोनी ने आज के हालात पर पैनी नज़र रखते हुए कहा कि ये सियासी लोग तो इशरत में हैं, आपको मुझको रही दुश्वारियां

कर्नल अमरदीप सिंह ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि गंभीर हालातों में धैर्य से काम लेना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। किसी भी भड़काऊ बयान या सोशल मीडिया की पोस्ट से अपना आपा न खोएं। सेना सक्षम है उस पर भरोसा रखें। आनन फानन में उठाया गया कदम हमेशा ग़लत परिणाम देता है। उन्होंने देश वासियों से शांति और समझदारी की उम्मीद जताई और कहा कि अगर आप सैनिकों का सम्मान करते हैं तो ऐसे नागरिक बनें कि जिनके लिए सैनिक जान दे दें। इसके बाद उन्होंने अपने सेवाकाल के कुछ अविस्मरणीय संस्मरण साझा किये और कविताएं भी सुनाई। उन्होंने दीनू कश्यप की कविता “युद्ध से लौटा पिता”सुनाकर आंखें नम कर दीं।

माया मृग ने भी अपने संबोधन में सांप्रदायिक सद्भाव और समझदारी बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा विचलित होते हैं वही हमारी परीक्षा की घड़ी होती है और हम गड़बड़ा जाते हैं। बिना समझे लोगों की बातों में आ जाते हैं। मीडिया और नेता बयानबाजी करते हैं और हम उनके साथ बहने लगते हैं। अगर हम उनके साथ बहेंगे तो उनको रास्ता कौन दिखाएगा? नफरत पैदा करने के दौर से अपने आप को बचाएं और फिर साथ वालों को बचाएं। रचनाकार का धर्म है कि कोई भी बात जल्दबाजी में ना कहें । उन्होंने आज कुछ दोहे भी सुनाए और एक कविता “बात के दोनों सिरे खुले रखना” सुनाई।

अंत में अखिलेश शर्मा ने सभी का धन्यवाद दिया और कहा कि केवल बातें न बनाएं बल्कि अच्छे और सच्चे नागरिक बनें। ईमानदारी से अपने कर्तव्य निभाएं। आज की मासिक गोष्ठी का शानदार संचालन सुनीता विशनोलिया ने किया जिसको सभी ने खूब सराहा एवं सभी ने सुनीता विशनोलिया को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं दी ।

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