किडनी डे पर मित्तल हाॅस्पिटल से चिकित्सकों ने की जागरुकता वाॅक

रीजनल काॅलेज के सामने चौपाटी पर अंगदान – महादान पर हुआ नुक्कड़ नाटक
अजमेर, 14 मार्च ( )। वल्र्ड किडनी डे के अवसर पर गुरुवार, 14 मार्च 2019 को मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर के तत्वावधान में जागरुकता वाॅक आयोजित की गई। वाॅक में मित्तल हाॅस्पिटल सहित अजमेर के अनेक चिकित्सकों ने हिस्सा लिया। जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं आयुर्विज्ञान महाविद्यालय के जनरल मेडिसिन विभाग के पूर्व प्रोफेसर डाॅ एस. के. अरोड़ा ने हरी झंडी दिखाकर वाॅक को रवाना किया। रीजनल काॅलेज के सामने स्थित चौपाटी पर मित्तल काॅलेज आॅफ नर्सिंग के विद्यार्थियों द्वारा अंगदान-महादान पर नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया जिसे सभी ने सराहा।
निदेशक डाॅ दिलीप मित्तल ने बताया कि यह आयोजन मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर के गुर्दा रोग विभाग के तत्वावधान में किया गया। आयोजन संयोजक गुर्दा रोग विशेषज्ञ (नेफ्रोलाॅजिस्ट) डाॅ रणवीरसिंह चौधरी ने बताया कि इस बार वल्र्ड किडनी डे- 2019 की थीम किडनी हैल्थ फाॅर एव्रीवन – एव्रीवेयर रखी गई है यानी हर जगह हर किसी के लिए गुर्दे की स्वास्थ्य सुरक्षा। उन्होंने बताया कि जागरुकता वाॅक का उद्देश्य लोगों को स्वस्थ्य रहने के लिए नियमित वाॅक एवं व्यायाम का संदेश देना है।
नुक्कड़ नाटक के जरिए डाॅ रणवीर ने अंगदान के लिए लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में सिर्फ बड़े शहरों में ही किडनी प्रत्यारोपण एवं संबंधित अन्य बीमारियों के उपचार की व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं। दूर-दराज के गांवों में किडनी रोगियों को उपचार की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं होती है। मौटे अनुमान के अनुसार 10 लाख की जनसख्या में जहां 800 से ज्यादा ऐसे किडनी रोगी हैं जिन्हें जीवित रहने के लिए डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की जरूरत है। इनमें भी 90 प्रतिशत मरीज तो उचित चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध नहीं होने के कारण इलाज नहीं ले पाते हैं। दुर्भाग्यवश 50 प्रतिशत किडनी मरीजों को तो बीमारी का पता ही तब चलता है जब कि उनकी किडनी 90 प्रतिशत से ज्यादा डैमेज हो जाती है। किडनी फैलियर की अवस्था में डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण ही इलाज होता है। लगभग 10 प्रतिशत मरीज इलाज शुरू करते हैं और उनमें से भी 60 प्रतिशत मरीज एक साल के अंदर इलाज बंद कर देते हैं या मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं।
अजमेर में किडनी रोगियों की स्थिति: वर्ष 2011 की जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार 25 लाख 80 हजार की आबादी वाले अजमेर जिले में किडनी के संभावित मरीजों की संख्या 25 हजार है। इनमें से भी लगभग 2000 रोगियों को डायलिसिस की जरूरत होती हैं। अजमेर में हीमोडायलिसिस यूनिट सिर्फ 10 हैं और किडनी रोग विशेषज्ञ पूरे जिले में सिर्फ एक डाॅ रणवीरसिंह चौधरी, मित्तल हाॅस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर अजमेर में उपलब्ध है।
जागरुकता से करें किडनी रोग बचाव: डाॅ रणवीर ने बताया मरीज जो डायबीटिज, ब्लड प्रेशर, मोटापा, हृदय रोग, लिवर रोग, गठिया रोग से पीड़ित हैं उन्हें हर छह माह में खून में सिरम क्रिएटिनिन व पेशाब में प्रोटीन की जांच करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शरीर में सूजन आने, भूख कम लगने, खून की कमी होने, उल्टी जैसा मन करने, कमजोरी लगने, पेशाब कम आने पर लोगों को लगता है कि उन्हें चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
अपने रोग के खुद ना बने डाक्टरः डाॅ रणवीर ने कहा कि लोग स्वयं ही अपने रोग के डाक्टर बन जाते हैं जिससे उन्हें तकलीफ ओर बढ़ जाती है। 70 प्रतिशत लोग रोग बढ़ने पर ही डाक्टर से सलाह लेने पहुंचते हैं। उन्होंने लोगों को दर्द की दवाइयां कम से कम लेने की भी सलाह दी, वजन नियंत्रण में रखने, प्रतिदिन व्यायाम करने , पेशाब में संक्रमण का सही उपचार लेने, किडनी स्टोन का इलाज शुरुआती अवस्था में ही कराएं जाने, डिहाइड्रेशन से बचने व खूब पानी पीने से किडनी रोगी होने से बचा जा सकता है।
निदेशक मनोज मित्तल ने बताया कि मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर संभाग का एक मात्र एनएबीएच मान्यता प्राप्त हाॅस्पिटल है। मित्तल हाॅस्पिटल राज्य एवं केंद्र सरकार के सभी वर्तमान एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों एवं उनके आश्रितों के इलाज के लिए अधिकृत है। हाॅस्पिटल में भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना अन्तर्गत सुपरस्पेशियलिटी हार्ट, ब्रेन व स्पाइन, पथरी, पेशाब व प्रोस्टेट, गुर्दा, डायलिसिस, कैंसर रोग सेवाओं में निःशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है।

सन्तोष गुप्ता/ जनसम्पर्क प्रबंधक/9116049809

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