मनाया भगवान आदिनाथ का ज्ञान कल्याणक महोत्सव

केकड़ी ” 19 अप्रैल।
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का ज्ञान कल्याणक महोत्सव सकल दिगम्बर जैन समाज द्वारा विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ उल्लासपूर्वक मनाया गया। इस दौरान क्षेत्र के जिनालयों में प्रातःकाल धर्मावलम्बियों ने अभिषेक पूजन के साथ भगवान आदिनाथ का गुणगान कर महोत्सव के प्रति श्रद्धा व भक्ति की समर्पित की। साथ ही महोत्सव की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होकर धर्मावलम्बियों ने पुण्य का संचय करते हुए महोत्सव का आनन्द लिया।
जैन समाज के प्रवक्ता धनेश जैन ने बताया कि महोत्सव की पूर्व संध्या पर गत दिवस 18 अप्रैल की रात्रि को विभिन सांस्कतिक कार्यक्रम हुए
कार्यक्रम का शुभारम्भ आचार्य श्री के चित्रपट के समक्ष किए गए दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।
इस दौरान गायक कलाकारों ने जिनेन्द्र भक्ति से सराबोर रंगारंग भजनों की प्रस्तुति देकर श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।
कार्यक्रम के दौरान गायक कलाकारों द्वारा रहे गुरूवर तेरी जिंदगानी रहे…, दुनियां में गुरू हजारों हैं पर विद्यासागरजी का क्या कहना है…, गुरू तेरे चरणों की भजनों पर श्रद्धालुओं ने नृत्य कर जिनेन्द्र भक्ति की खूब रसधार बहाई।

पंच कल्याणक महोत्सव के शुक्रवार सुबह भगवान आदिनाथ का ज्ञान कल्याणक ज्ञान उत्सव मनाया गया। सुबह जाप्यानुष्ठान, अभिषेक, नित्यग्रह पूजन, तप कल्याणक पूजन आदि कार्यक्रम हुए। दिन में समोशरण की स्थापना की गई। समोशरण में मुनि सुधसागर जी महाराज निष्कंप सागर महाराज महा सागर महाराज गंभीर सागर जी महाराज धैर्य सागर जी महाराज ने प्रवचन दिए। दिन में चतुर्दिक्षु हवन, मंत्र संस्कार, अंक न्यास, न्योंमिलन, सूरि मंत्र, केवलज्ञान संस्कार, समोशरण रचना, देवों का आगमन, दिव्य देशना आदि धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।
मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनायाजाएगा जिसमें कैलाश पर्वत से प्रभु आदिनाथ का निर्वाण, निर्वाण लाडू, मोक्ष कल्याणक पूजन, विश्व शांति महायज्ञ होगा।सुबह नवीन मंदिर में वेदी में श्रीजी की स्थापना कलशारोहण समारोह भी होगा। सुबह श्रीजी की शोभायात्रा आयोजन स्थल से लेकर नवनिर्मित मंदिर निकलेगी शोभायात्रा में महाराज जी भी चलेंगे

ज्ञानीनहीं कैवल्य ज्ञानी बनो : बोहरा कॉलोनी में चल रहे पंच कल्याणक महोत्सव के दौरान श्री सुधा सागर जी महाराज ने कहा कि दीक्षा के उपरांत तीर्थंकर मुनि रूप में मौनपूर्वक घोर तपस्या करते हैं। जब संयम तप और ध्यान की पराकाष्ठा पर पहुंचते है तब वे शुक्ल ध्यान के माध्यम से चार घातियां कर्मों का नाश कर अनंत चतुष्टय रूप लक्ष्मी को प्राप्त करते हैं। जो गहराई में उतर जाता है वह अनमोल मोतियों को पा जाता है। भगवान को ऐसे ज्ञान की उपाधि होती है जिसमें उन्हें संपूर्ण लोक स्पष्ट झलकने लगता है। दर्पण के समान तीनों लोक उनके ज्ञान में झलकते हैं।
विशेष आकर्षण का केंद्र
आज जब सुबह सुबह भगवान ऋषभदेव आहारचर्या पर निकले तो मानो ऐसे लग रहा था जैसे समवसरण ही धरती पर उतर आया हो भगवान ऋषभदेव की आहारचर्या राजा श्रेयांश यहां अश्रु रस यानी गन्ने के रस से हुई आहार के दौरान महाराज श्री सुधसागर जी भी पंडाल में ही विराजमान रहे आज की आहार चर्या श्री सुधासागर जी की तारा चंद टीकम चंद मोनू कुमार के यहां हुई, भगवान केशिखर पर कलश चढ़ाने की बोली महावीर प्रसाद विकास कुमार भीनमाल वालो के यहां हुई,ध्वज चढ़ाने की बोली राकेश कुमार ममता संजीव राजीव शाह ने बोली,छत्र चढ़ाने की बोली राजेंद्र कुमारअमित कुमार अजित कुमार आशीष कुमार, भगवान विराजमान करने की बोली कैलाश पाटनी प्रकाश सुशील संदीप पाटनी ने ली, घंटा लगाने की बोली पदम चंद अरिंजय सेठी के हुई, दूसरे भगवान को विराजमान करने की बोली सुबोध कासलीवाल अशोक कासलीवाल राकेश कासलीवाल ने ली, भगवान को विराजमान करने की बोली हगामी लाल हेमराज अशोक बड़गांव वाले के, भगवान को विराजमान करने की बोली इंद्र मल कैलाश चंद मेवदकला वाले के छूटी।

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